Dinesh Shakya : छेड़खानी के लिये सख्त कानून बन जाने के बाद भी छेड़खानी की वारदातों पर ब्रेक लगने का नाम नहीं ले रहा है… अगर छेड़खानी कोई पढा लिखा करे तो माना जा सकता है कि उसकी भावना दूषित है…. ऐसी ही दूषित भावना से ग्रसित डाक्टर का कारनामा देखिये जिसके कारण उसको मजनू डाक्टर के तौर पर पुकार सकते हैं। आरोपी डाक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
मामला आगरा मंडल के इटावा जिले का है। यहां के इकदिल इलाके के आजादनगर में लड़की से छेड़खानी करने के मामले में एक झोलाछाप डाक्टर की लात घूसों जूतों चप्पल से पूजा कर दी गई। डाक्टर की पिटाई के बाद मौके पर आई पुलिस आरोपी डाक्टर को पकड़ करके ले गई। पुलिस ने डाक्टर की क्लीनिक को भी बंद करा दिया है। आरोपी डाक्टर का नाम अनुज शुक्ला है जिसने लड़की को देखने के बाद उसके हाथ में आई लव यू लिखा हुआ पर्चा थमा दिया। इस पर्चे में लड़की से डाक्टर के लिये कॉल करने के लिये संदेश भी लिखा हुआ था।
इटावा के पत्रकार दिनेश शाक्य के फेसबुक वॉल से.
उपरोक्त प्रकरण पर भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह की अपने फेसबुक वॉल पर टिप्पणी…
Yashwant Singh : थोड़ी सी उल्टी बात करूंगा. एमबीबीएस वाले डाक्टर साहब लोग गांव में रहना नहीं चाहते, तो ये झोला छाप वाले डाक्टरजी लोग ही हैं जो गांव में बीमारों को फर्स्ट एड यानि प्राथमिक चिकित्सा देकर जान बचाने का काम करते हैं फिर शहर ले जाने को कहते हैं. बिना एमबीबीएस को गांव में रोके अगर झोला छाप डाक्टरों का खात्मा कर दिया गया तो गांव की बहुत बड़ी आबादी बेइलाज मर जाएगी. इसलिए तरह-तरह के अभावों से शापित इस देश में झोला छाप डाक्टर होना शर्म की बात नहीं, अच्छी बात है. दूसरी बात. अगर किसी झोला छाप डाक्टरजी ने एक परची पर दिल का हाल लिख कर अपने इश्क का इजहार कर दिया तो क्या गुनाह कर दिया कि हंगामा बरपा हो गया. इश्क का इजहार करना कहां की छेड़खानी है भई… ! ये अलग बात है कि डाक्टर साब ने जिसको पसंद किया और लिखित में अपने हाल-ए-दिल का बयान सुनाया, वह ऐसी निकली कि भरे बाजार उनकी इज्जत उतरवा दी. ये नौजवान डाक्टर रेपिस्ट तो बिलकुल नहीं हो सकता है क्योंकि अगर वह रेपिस्ट होता, छेड़खानी करने वाला होता तो लिख कर इश्क कुबूल करने जैसा निहायत भावुक काम न करता. यह नौजवान डाक्टर काफी संवेदनशील जान पड़ता है. सिर्फ लव लेटर थमा देने के कारण किसी को गिरफ्तार कर लेना शर्म की बात है. यूपी पुलिस ने वाकई ऐसी हरकत की है, जैसा कि दिनेश शाक्य ने लिखा है, तो यह पुलिस की मध्य युगीन और सामंती सोच का परिचायक है. यूपी में वैसे भी आप पुलिस से किसी प्रगतिशीलता, आधुनिकता और तार्किकता की उम्मीद नहीं कर सकते. वहां हर वक्त जंगल राज कायम रहता है, सरकार चाहे जिस किसी की भी हो. मैं लड़की और उसके परिजनों की डाक्टर पर चप्पलबाजी की भी निंदा करता हूं. मैं इस डाक्टर के प्रेम-इश्क का समर्थन करूंगा. हां ये सच है कि कई बार शक्ल से ठीक लगने वालियों के दिल-दिमाग इतना कूड़ा-कबाड़ा होते हैं कि सच्चाई पता चलने पर खुद को तकलीफ होती है कि अमां यार किससे दिल लगाने को चले थे, उधर तो बेदिल हैं जनाब. इस प्रकरण के बारे में दिनेश शाक्य की टिप्पणी से जितनी जानकारी मिलती है, उतने के आधार पर अगर राय बनाऊं तो डाक्टर की गिरफ्तारी बेहद निंदनीय, अमानवीय और मानवाधिकार का हनन है.