Pradeep Mishra: इन्दौर में एक कोयले औऱ ट्रांसपोर्ट का व्यसायी है नाम है पुरषोत्तम अग्रवाल। इनकी शैक्षिक योग्यता मात्र चौथी क्लास है। पिछ्ले कुछ वर्षो से ये शहर में, अपने पैसे के बल पर तीन स्कूल संचालित कर रहे है। अग्रवाल पब्लिक स्कूल, चमेली देवी पब्लिक स्कूल पार्ट एक और पार्ट दो। चमेली देवी पब्लिक स्कूल पार्ट दो, नर्सरी से 5वीं क्लास तक है। ये, यशवंत प्लाज़ा बिल्डिंग जो रेलवे स्टेशन के पास है, उसकी तीसरी मंज़िल की दुकानो व गलियारे मे चलाया जा रहा है। जहां न खेलने का मैदान है, ना ही प्रकतिक हवा व प्रकाश की व्यवस्था है। ये तीनो स्कूल सीबीएसई से मान्यता पात्र हैं।
स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताबों और कॉपियों के धंधे मे 400 प्रतिशत से ज़्यादा मुनाफ़ा दिखने की वजह से, एक सोंची समझी योजना के तहत ये लालची व्यापारी खुद लेखक भी बन गया है। जबकि वह सिर्फ चौथी क्लास तक ही पढ़ा है। इसने एलबीफ पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एख कंपनी खोली है औऱ नर्सरी से 8वीं तक की पाठ्य पुस्तकों का स्वयं को लेखक व प्रकाशक बता कर पूरे देश मे बेचने का जाल बनाया है।
कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जो पाठ्य पुस्तकें निकाली उनमे ग़लत, भ्रामक और अर्थ का अनर्थ सिखाने वाले तथ्यों और पाठों का समावेश किया गया। जब एक मासिक पत्रिका ने इसका खुलासा किया तब इस लालची व्यापारी ने किताबों को फाड़कर फेकने के बजाए हर किताब के पहले पन्ने पर एक स्लिप चिपका दी की किताब में ये-ये ग़लत जानकारी हैं। कृपया इसकी जगह ये पढ़े। इस मूर्ख आदमी को कोई ये बताए की 2री, 3री, 4थी, 5वीं क्लास के अबोध बच्चों को तेरी ग़ल्तियों की स्लिप देखने का ध्यान रहेगा। और इस चैथी कक्षा पढ़े लालची व्यापारी की कितबें खरीदना कम्पल्सरी है। शर्म आनी चाहिए इस प्रशासन, सरकार और स्कूली शिच्छा विभाग तथा पालको को जो इस स्कूली शिच्छा के लालची व्यापारी कोशह दे रहे हैं। उसके खिलाफ कोई कारवाई करने के बजाए उसके सामने नतमस्तक होकर तलवे चाट रहे है। इसकी कंपनी का नाम तो होना चाहिए लर्न बाइ फूल एंड फ्राड(एलबीएफ)।
इंदौर के पत्रकार प्रदीप मिश्रा के फेसबुक वॉल से।