Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

सुख-दुख...

1936 में हजरतगंज में पुलिस लाठी खाने वाले इशरत अली सिद्दीकी को प्रशासन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं मानता

लखनऊ, 04 जनवरी। वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय इशरत अली सिद्दीकी को आज यू.पी. प्रेस क्लब में आयोजित शोक सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर यू.पी. प्रेस क्लब ने उनके सम्मान में अच्छी पत्रकारिता के लिए हर वर्ष एक अवार्ड देने की घोषणा की। सभा ने एक प्रस्ताव द्वारा दिल्ली उर्दू अकादमी से मांग की कि उर्दू पत्रकारिता अवार्ड इशरत अली सिद्दीकी के नाम पर दिया जाय।

लखनऊ, 04 जनवरी। वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय इशरत अली सिद्दीकी को आज यू.पी. प्रेस क्लब में आयोजित शोक सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस अवसर पर यू.पी. प्रेस क्लब ने उनके सम्मान में अच्छी पत्रकारिता के लिए हर वर्ष एक अवार्ड देने की घोषणा की। सभा ने एक प्रस्ताव द्वारा दिल्ली उर्दू अकादमी से मांग की कि उर्दू पत्रकारिता अवार्ड इशरत अली सिद्दीकी के नाम पर दिया जाय।

वक्ताओं ने स्वर्गीय इशरत अली सिद्दीकी की उच्च स्तरीय पत्रकारिता और सादी जीवन शैली की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय सिद्दीकी ने समाज से कुछ लिया नहीं उसे दिया ही था। नयी पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेना चाहिए।

शोक सभा में दैनिक आग के संपादक अहमद इब्राहिम अलवी के अलावा वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव, आविद सुहैल, रवीन्द्र कुमार सिंह, हसीब सिद्दीकी, जे.पी. तिवारी, कुतुब उल्लाह, उबैद उल्लाह नासिर, नाहिद फरजाना, और हेमन्त तिवारी ने श्रंद्धाजलि अर्पित करते हुए इशरत साहब के बारे में अपनी यादें साझा की। सभा में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी, गोविन्द पंत राजू, सिद्धार्थ कलहंस, इफ्तिदा भट्टी, आर..एन. वाजपेयी, फाकिर किदवई, और जावेद काजिम आदि बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थै।

श्री विक्रम राव ने कहा कि आडम्बरहीनता उनका सबसे बड़ा गुण था। उन्होंने दो कौमी नजरिये का डटकर विरोध किया। यह विचित्र बात है कि 1936 में हजरतगंज में पुलिस की लाठी खाने वाले इशरत अली सिद्दीकी को प्रशासन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं मानता है। श्री आबिद सुहैल ने कहा कि वह विचारधारा की इज्जत करते थे। मैं कट्टर कम्यूनिस्ट था, लेकिन कांग्रेस के अखबार में काम करते हुए भी यह मेरे आड़े नहीं आया। श्री अहमद इब्राहिम अलवी ने कहा कि उन्होंने उर्दू पत्रकारिता को नये आयाम दिए।  वह कहते थे कि अखबार के लिए प्रसार से अधिक उसकी विचारधारा महत्वपूर्ण है। कौमी आवाज जैसा अखबार न निकला है न निकलेगा।

श्री कुतुब उल्लाह ने बताया कि स्वर्गीय सिद्दीकी ने आपातकाल में अधिकारियों द्वारा एक खबर रोकने के लिए दबाव डालने पर अखबार से खबर निकाल कर स्थान रिक्त छोड़कर प्रशासन को तमांचा मारा था। श्री रवीन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि उनका पितातुल्य आचरण था तो नाहिद फरजाना ने बताया कि वह नये पत्रकारों को स्वयं प्रशिक्षित करते थे। श्री जे.पी. तिवारी ने मिसाल देते हुए बताया कि वह अपने कर्मचारियों का बेहद ख्याल रखते थे। श्री हसीब सिद्दीकी ने बताया कि वह वास्तविक गांधीवादी थे और कपड़े अपने हाथ से धोते थे। अन्त में दो मिनट का मौन धारण कर उनकी आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना की गयी।

प्रेस रिलीज

प्रेषक

बी.सी. जोशी

कार्यालय सचिव

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement