प्रिय यशवंत जी, बहुत दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के मुसाबनी प्रखंड के जादूगोड़ा (जहां यूसिल का माइंस है) इलाके में अवैध चिट-फंड संचालक कमल सिंह एवं दीपक सिंह द्वारा राज-कॉम कंपनी खोलकर निवेशकों का लगभग पन्द्रह सो करोड़ रुपये हड़प लिया गया. अब दोनों भाई फरार हो गए हैं. यह सब कुछ गोरखधंधा जादूगोड़ा थाना से मात्र कुछ गज की दूरी पर हो रहा था.
इन अवैध चिटफंड संचालकों द्वारा कई वर्षों से यहाँ यह धंधा किया जा रहा था जिसमें निश्चित रूप से पुलिस प्रशासन की मिलीभगत रही है. अखबार वाले भी इस रैकेट में शामिल रहे हैं और पैसे मिलने के कारण पहले कुछ नहीं लिखते थे. जबसे कंपनी के संचालक फरार हुए हैं और अखबार वालों को पैसा मिलना बंद हुआ है, तबसे अखबार वालों ने भी कंपनी के खिलाफ छापना शुरू कर दिया है. यानि पैसा मिलना बंद और छपाई शुरू.
ऐसा भी नहीं कि आला अधिकारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी. पर निजी स्वार्थ की खातिर इन अवैध संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं किया गया. इसका नतीजा यह है कि ये आराम से लोगों की गाढ़ी कमाई लेकर फरार हो गए. कुछ पत्रकारों को थाना प्रभारी द्वारा पहले कहा जाता था कि कोई लिखित शिकायत ही नहीं कर रहा इसलिए कार्रवाई नहीं कर पा रहा हूं जबकि सच्चाई यह है कि यह सब पैसों का खेल था और संचालकों से मोटा पैसा संरक्षण के नाम पर वसूला जा रहा था. जो कोई शिकायतकर्ता थाने आता, उसे थाना परिसर से डांट कर भगा दिया जाता. इस खेल में स्थानीय नेताओं की भी बड़ी भूमिका रही है जो संचालकों से मासिक पैसा वसूलते थे. प्रशासन, प्रेस और नेताओं की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा रैकेट चलाना नामुमकिन है.
यशवंत जी, आपको यह सूचना देने का कारण है कि जनता जागे और इन नान-बैंकिंग, चिटफंड कंपनियों से दूर रहे क्योंकि यहाँ सिर्फ धोखा ही मिलेगा. दूसरा कारण है कि यह पढकर देश की बड़ी जांच एजेंसियों की आंखें खुले और जांच कर पूरे मामले का खुलासा करें. संचालको के साथ उनके सभी एजेंटों को पकड़ा जाए. स्थानीय प्रशासन के इस रैकेट में शामिल होने के कारण स्थानीय स्तर पर धोखेबाजों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई होना असंभव है. आपको बताता हूं कि यह कंपनी क्या करती थी. जादूगोड़ा के रहने वाले कमल सिंह यूसिल कंपनी में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी था. इसने करीब सात साल पहले एक धंधा शुरू किया. वह यह कि मुझे एक लाख दो, बदले में पांच हज़ार मासिक दूंगा. साथ ही जो मुझे पैसा दिलाएगा उसे एक प्रतिशत अलग से दूंगा.
इसी तरह से इसका यह धंधा चल निकला और इसने इसी तरह से अपने सैकड़ों एजेंटों के माध्यम से करीब पन्द्रह सौ करोड़ रुपये मार्केट से उठा लिए. इसने मोबाईल कंपनी और कई अन्य कंपनियां खोल दी जिससे निवेशकों का विश्वास इन पर बढता चला गया. इतने दिनों से सब कुछ ठीक चल रहा था कि जून २०१३ से इसने पैसा वापस करना बंद कर दिया. पैसा वापस मांगने पर अलग-अलग बहाने बनाने लगा और लोगों से कहा कि आपका पैसा 25 सितम्बर तक वापस कर दूंगा. परन्तु ये 24 सितम्बर को ही अपने भाई और परिवार के साथ यहाँ से फरार हो गया जिसके बाद जादूगोड़ा में हंगामा मच गया. निवेशकों ने तोड़फोड़ एवं हंगामा शुरू कर दिया. इसकी खबर पाकर बड़े अधिकारी जादूगोड़ा पहुंचे एवं 50 की संख्या में निवेशकों ने कमल और उसके भाई पर मामला दर्ज करवाया जिसके बाद जादूगोड़ा थाना में धारा ४१९ /४२० /४०६ /४६७ /४६८ /४७१ /१२० के तहत २५ /०९ /२०१३ को मामला दर्ज किया गया है.
यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि सब कुछ जानते हुए भी इतने वर्षों से अखबार केवल निजी स्वार्थ एवं विज्ञापन के लोभ में कुछ भी नहीं छाप रहे थे. लेकिन कंपनी के भाग जाने के बाद जिस तरह से अखबारवालों ने छापना शुरू किया है, यह जादूगोड़ा क्षेत्र में बहुत बड़ा चर्चा का विषय बन गया है. लोग कह रहे हैं कि कि जबतक पैसे मिलते थे, कुछ भी नहीं छापा और पैसा मिलना बंद होते ही विरोध में छापना शुरू कर दिया.
जादूगोड़ा से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.