दैनिक जागरण संस्था को अपना मामू का घर समझने वाले निशिकांत ठाकुर के करीब पांच-सात दर्जन भाई-भतीते, साले व उनके गांव से संबंध रखने वाले कर्मचारी इस वक्त दुबके हुए हैं क्योंकि इस वक्त उनके चापलूसों की संस्था से सफाई करने का अभियान शुरू हो गया है। इसलिए ऐसे लोगों की अंदर भगदड़ मची हुई है। बिहारी कर्मचारियों के एक सबसे बड़े संरक्षणकर्ता की पिछले दिनों संस्थान से छुट्टी कर दी गई। कुछ कर्मचारियों ने तो दूसरे जगहों पर नौकरी खोजनी शुरू भी कर दी है। निशिकांत ठाकुर के साले कविलाश मिश्र और उनके मजबूत सिपहसालार अरूण सिंह के बाद अब फरीदाबाद में सालों से पैर जमाए बैठे संतोष ठाकुर की कुंडली खुलनी शुरू हो गई है।
संतोष ठाकुर कुछ साल पहले जब बिहार से नौकरी की तलाश में दिल्ली आया था, तो उस वक्त उसके पास डीटीसी की बसों में चलने तक के पैसे नहीं हुआ करते थे। लेकिन कुछ ही सालों में उसने फरीदाबाद में अपना साम्राज्य खड़ा कर दिया है। बेहिसाब सम्पत्ति बना ली है। संतोष ठाकुर खुद को निशिकांत ठाकुर का भतीजा बताता है। जिस तरह से निशिकांत की घेराबंदी की जा रही है उससे बाहर के यूनिटों में काम करने वाले उनके चेले-चपाटे लगातार नोएडा कार्यालय पर नजर रखे हुए हैं। निशिकांत के आदमियों की घेराबंदी का मुख्य कारण विज्ञापन के पैसों में भारी हेराफेरी बताया जा रहा है। हाल ही में दैनिक जागरण के विज्ञापन में 14 करोड़ की गड़बड़ी का मामला सामने आया है जिसके तहत यह फैसला लिया जा रहा है। बताया जाता है कि अरुण सिंह को भी इसी कारण इस्तीफा देना पड़ा है।
रमेश ठाकुर की रिपोर्ट.