Vikas Kumar : अगर आधी रात के बाद कार्यक्रम की घोषणा करने के बाद अगले दिन दोपहर दो बजे तक 32 लोग जंतर मंतर पर न केवल जुट जाएँ बल्कि लगभग पाँच घंटे तक मिल-जुलकर आगे की रणनीति तय करें तो इसका मतलब है कि मुद्दे में सचमुच दम है। मुद्दा है सीएनएन-आईबीएन के लगभग 350 मीडियाकर्मियों को रातों-रात नौकरी से निकाल दिए जाने का। मुद्दा है उन गर्भवती महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का जिन्हें अचानक नौकरी चले जाने के बाद स्वास्थ्य से लेकर गृहस्थी तक के तमाम मोर्चों पर संघर्ष करना है।
मुद्दा उन लोगों के श्रम की गरिमा की रक्षा का है जिन्हें अनुबंध की तमाम अटपटी शर्तों को आँख मूँदकर स्वीकार करके अपना पेट पालना पड़ता है। मुद्दा तो जनता को गूँगा बनाने की साज़िश के विरोध का भी है जिसके तहत ऐसे लोगों को चुन-चुनकर नौकरी से निकाला जाता है जो जनवादी पत्रकारिता की हत्या में शामिल होने से इनकार करने की हिम्मत दिखा सकते हैं। अगर आप ऐसे मौकों पर चुप बैठे रहते हैं तो कल आपके लिए भी शायद ही कोई आवाज़ उठाएगा।
इस बैठक में ही हमारे मंच का नाम तय किया गया। अभी 'पत्रकार एकजुटता मंच (Journalists' Solidarity Forum)' नाम पर सहमति बनी है। यह भी तय किया गया कि हमारा संघर्ष केवल छँटनी के मसले तक सीमित नहीं रहेगा। हमें अनुबंध में मनचाही शर्तें डालकर नौकरी पर रखने की व्यवस्था का भी विरोध करना है। हालाँकि अभी हमें अपना ध्यान छँटनी के मुद्दे पर ही केंद्रित रखना है। उम्मीद है कि आप 21 अगस्त को दोपहर दो बजे नोएडा में CNN IBNसीएनएन-आईबीएन और IBN7आईबीएन-7 के ऑफ़िस के सामने विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के बाद 31 अगस्त की जनसभा में भी मौजूद रहेंगे।
युवा पत्रकार विकास कुमार के फेसबुक वॉल से.
Dilip Khan : "तो साहिबान, 12 घंटे की सूचना पर पहले जंतर-मंतर और फिर कॉफी हाउस में जमा हुए 35 पत्रकारों-सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पत्रकार एकजुटता मंच यानी Journalist Solidarity forum के बैनर तले फिलहाल IBN7 और CNN-IBN के सवाल को उठाने का फ़ैसला किया है। बुधवार को 2 बजे नोएडा, फ़िल्म सिटी में इनके दफ़्तर के सामने प्रदर्शन तय हुआ है। फिर इसके चार दिनों के बाद एक मीटिंग की जाएगी। कल की बैठक में जिन बातों पर सहमति बनीं, उनमें देश भर के मीडिया संस्थानों से निकाले जा रहे पत्रकारों का डाटाबेस तैयार करने, मीडिया के मुद्दों पर लिखने-पढ़ने-बोलने वाले लोगों को इस पहल से जोड़ने, मीडिया संस्थानों के भीतर यूनियन बनाने के अधिकार को उठाने, संबंधित संस्थानों/विभागों को ज्ञापन सौंपने के अतिरिक्त इन प्रश्नों के साथ छात्र संगठनों के अलावा PUCL और PUDR जैसे संगठनों को जोड़ना प्रमुख है। अलग-अलग मीडिया संस्थाओं (मसलन BEA, NBSA, EDITORS GUILD, PRESS COUNCIL) से भी ऐसे हर मुद्दे पर न सिर्फ़ रायशुमारी की जाएगी बल्कि ऐसे हर मुद्दे पर उनके स्टैंड को लोगों के सामने लाया जाएगा। [पूर्व सूचना नहीं होने के कारण कई इच्छुक लोग नहीं आ पाए, ऐसे साथियों से अपील है कि वो बुधवार 2 बजे फ़िल्म सिटी पहुंचे]"
दिलीप खान के फेसबुक वॉल से.