देहरादून।। उत्तराखण्ड के जेपी जोशी यौन प्रकरण में भले ही पीड़िता सहित कई लोगो की गिरफ्तारी हो गई हो लेकिन पुलिस अभी भी इस कांड में कई लोगो के चेहरों से नकाब हटाने में नाकामयाब रही है। इस प्रकरण में बनाई गई सीडी किस स्थान पर और किस मीडिया हाउस के इशारे पर बनाई गई इसका पर्दाफाश भी किया जाना बेहद जरूरी है। इस कांड में उत्तराखण्ड के कई पत्रकारों के नाम भी सामने आते दिख रहे हैं जिसके चलते प्रदेश की मीडिया के साथ साथ जनता भी उन लोगो के चेहरो को जानना चाहती जिनके इशारे पर इस घटनाक्रम को अंजाम दिया गया।
कांग्रेस की महिला नेत्री रितु कंडयाल के साथ साथ सचिवालय के एसएस वलदिया और उसके बाद संजय मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद ये तो तय हो गया है कि अभी पुलिस की पकड़ से कई गुनाहगार खुले घूम रहे हैं। पुलिस को पीड़ित युवती द्वारा मिले पत्र में 9 लोगों के नामों का खुलासा किया गया और ये 9 लोग कौन हैं पुलिस उनके नामो को जांच के चलते बताने से इंकार कर रही है लेकिन इस प्रकरण के बाद उत्तराखण्ड के सचिवालय से लेकर प्राइवेट संस्थानो में भी महिलाओ को लेकर सुरक्षा की दृष्टि अपनाई जानी शुरू हो गई है लेकिन उत्तराखण्ड के इस प्रकरण ने यह बात भी उजागर कर दी है कि नोटो की खनक के आगे जिस तरह से हथकंडो को अपनाया जा रहा है वह उत्तराखण्ड की देवभूमि के लिए शुभ संकेत नहीं।
इस पूरे प्रकरण में जिस तरह से मीडिया को लेकर नाम उजागर होते जा रहे हें उससे उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। दो दिन पूर्व देहरादून से प्रकाशित समाचार पत्र अमर उजाला ने 9 लोगों के नामों की तरफ इशारा कर सान्ध्य दैनिक लोकजन टुडे के सम्पादक अभिषेक सिन्हा के नाम का खुलासा इस प्रकरण में किया था लेकिन रविवार को समाचार पत्र ने अभिषेक सिन्हा के नाम को इस प्रकरण में ना होने की बात लिखि। सवाल इस बात का उठ रहा है कि यदि इस प्रकरण में कोई व्यक्ति मौजूद नही है तो किसके इशारे पर इस तरह के हथकंडो को अंजाम दिया जा रहा है।
समाचार पत्र की ऐसी खबरों को प्रकाशित करने के साथ साथ विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में आती नजर आ रही है और यह भी साबित हो रहा है कि ऐसी खबरों को लिखने वाले पत्रकार आखिर जनता को क्या सामग्री परोस रहे है। पुलिस इस प्रकरण में अभी तक इस बात का खुलासा नही कर पाई है कि इस सीडी को किस मीडिया संस्थान के कार्यालय में तैयार किया गया और जिस कार्यालय में इस सीडी को तैयार किया गया वहां के कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क भी पुलिस ने अभी तक कब्जे में नहीं ली है। माना जा रहा है कि संजय मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को कुछ और नामों के खुलासा होने की उम्मीद भी बनी हुई है जिससे पुलिस जल्द ही इस मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी करने की तैयारी में जुटी हुई है। अब तक इस मामले में उत्तराखण्ड के एक राजनेता का नाम भी सामने आता दिख रहा है लेकिन पुलिस अभी तक उस नेता की गिरफ्तारी नहीं कर पाई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस देहरादून के उस न्यूज चैनल के कार्यालय की हार्ड डिस्क भी हासिल नही कर पाई है जहां इस प्रकरण की वीडियो फिल्म को बनाए जाने का खेल अंजाम दिया गया है और उस राजनेता का नाम भी अभी तक कहीं उजागर नही हुआ है जिसके तार इस प्रकरण से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं। यह भी जानकारी हासिल हो रही है कि इस राजनेता के नाम के सहारे उत्तराखण्ड में कई सरकारी कामों से लेकर ठेकों का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और इसी राजनेता के इशारे पर उत्तराखण्ड में कई और लोगों को भी पूर्व में निशाना बनाया जा चुका है लेकिन कोई भी इस मामले में अभी तक पुलिस के पास शिकायत लेकर नही पहुंचा है। इस प्रकरण में यदि उत्तराखण्ड के बड़े नेता की गिरफ्तारी होती है तभी इस प्रकरण की हकीकत खुलकर सामने आ सकती है।