Mayank Saxena : ये चिट्ठी राहुल गांधी के लिए…. प्रिय राहुल गांधी जी, आप के होर्डिंग और पोस्टर भी देखता हूं, भाषण भी सुनता हूं और आपकी सरकार भी देखी, दिल में कई सवाल उठते हैं और तमाम आक्रोश भी है। आप से सभी कुछ साझा कर देने को जी चाहता है, इसलिए नहीं कि आप कुछ कर सकेंगे बल्कि इसलिए कि आपको पता हो कि जनता सब समझती है। राहुल जी, आज से 10 साल पहले जब कांग्रेस नीत यूपीए सत्ता में आया तो लोगों ने बीजेपी नीत एनडीए की नाकामियों और कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ आपको वोट दिया था। हालांकि बहुमत आपको भी नहीं मिला था लेकिन जनादेश निश्चित तौर पर एनडीए के खिलाफ था।
राहुल जी, आप ने भी चुनाव लड़ा और सांसद बन गए, अप्रत्यक्ष तौर से कांग्रेस पर आपकी माता जी का ही नियंत्रण था लेकिन आपकी सरकार भी कारपोरेट के आगे झुकती ही चली गई। कभी मित्तल, कभी अम्बानी, कभी टाटा तो कभी वेदांता के आगे आप ने भी देश की जनता के हक को गिरवी ही रखा। लेकिन आप चुप रहे। 2 जी घोटाले में सिर्फ डीएमके का एक मंत्री ही शामिल नहीं था बल्कि पीएमओ तक को इस घोटाले की जानकारी थी। किस तरह से पीआर एजेंसी और उनके दलाल पत्रकारों की पहुंच प्रधानमंत्री कार्यालय के अंदर तक थी, इस बारे में सीबीडीटी की रिपोर्ट सबकुछ कहती है। वैसे ये आपको नहीं पता क्या?
यही नहीं 2008 से देश में अचानक महंगाई बढ़नी शुरू हो गई, आप की सरकार ने मौसम से लेकर विदेशी बाज़ार तक को दोष देना शुरू कर दिया। लेकिन आपकी कराह नहीं सुनी गई। अंततः चुनाव आए, देश ने सिर्फ नरेगा के लिए नहीं, महंगाई कम करने की आखिरी कोशिश के लिए भी आपको वोट दिया लेकिन आप उसके बाद छिप गए। आप भूल गए कलावती और दयावती दोनों को… आप इस कदर भूले कि विदर्भ में बीटी कॉटन से सफेद सोने के शहर को किसानों की कब्रगाह बना डालने वाले जेनेटिकली मॉडिफाइड बीज को बैंगन के रास्ते वापस ले आए…वो तो भला हो किसान संगठनों, एक्टिविस्टों और आपकी ही सरकार के ईमानदार मंत्री Jairam Ramesh का कि ये बीज अनिवार्य नहीं हुए…
लेकिन विदर्भ से बुंदेलखंड के किसानों की दुर्दशा जारी रही और आप न जाने कहां थे…कोयला घोटाला तो चल ही रहा था…साथ-साथ जंगलों से आदिवासियों को विस्थापित भी किया जा रहा था…उन पर गोलियां दागी जा रही थी, उन की औरतों का बलात्कार किया जा रहा था लेकिन आप नहीं थे। देश की जनता भ्रष्टाचार से लेकर यौन हिंसा तक के खिलाफ सड़कों पर थी लेकिन आप नज़र नहीं आते थे राहुल गांधी। असम में जब हिंसा का नंगा नाच हो रहा था, तब भी आप कहां थे माननीय राहुल जी…???
राहुल जी, हम में से ज़्यादातर समझदार लोग जानते हैं कि गुजरात का विकास गढ़े गए आंकड़ों पर आधारित है लेकिन ज़रा बताइए तो कि इसका सच सामने लाने के लिए गुजरात कांग्रेस की राज्य कमेटी ने क्या किया…क्या आप मोदी और बीजेपी पर आरोप लगाते वक्त ये ज़िम्मेदारी लेंगे कि आप और आपकी पार्टी चूंकि गरीब और आम आदमी की ज़िंदगी आसान करने में असफल रहे, इसलिए मोदी और धार्मिक साम्प्रदायिक ताकतें आज मज़बूत हुई हैं…
क्यों आज आप और आपकी माता जी सेक्युलर ताकतों को जिताने के नाम पर जनता से वोट मांगते हैं, जब उसी जनता के आरोपों का कभी आपने जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा…जब आपकी आंख के सामने कॉमनवेल्थ से लेकर कोयले तक गरीब का पैसा आपके नेता लूटते रहे… आप आज गांधी के रास्ते की बात करते हैं लेकिन आखिर कैसे मुजफ्फरनगर से ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद पटना जला और आप देखते रहे…मिर्चपुर का नाम सुना है राहुल जी…वहां जब दलितों का गांव जलाया जा रहा था…केंद्र और हरियाणा दोनो जगह आप ही की सरकार थी…कभी हो कर आए आप वहां,,,कभी पूछा हुड्डा जी से कि अपने राज्य में वो खाप पर लगाम क्यों नहीं कसते?
वो आप ही के नेता और सरकारें थी न जिन्होंने तमाम राज्यों में ज़मीन घोटाले किए, गरीबों की ज़मीनें पूंजीपतियो को बेच दी…लेकिन कुछ तो कहिए राहुल जी… आपको लगता है कि क्या हम नहीं जानते हैं कि महंगाई को शुरुआत में सिर्फ इसलिए नियंत्रित नहीं किया गया कि वालमार्ट जैसी चेन्स के ज़रिए रीटेल में एफडीआई लाई जा सके…लेकिन न तो ये हुआ और न ही उसके बाद महंगाई आपके हाथ में रह गई…लेकिन क्या ये सब भी आपको पता नहीं था…
ऐसे में जब आप लगभग हर मौके पर मनमोहन स्टाइल चुप रहे तो अब आप आखिर किस मुंह से वोट मांगने हमारे बीच आए हैं… कोई बात नहीं राहुल जी, लेकिन ये भी आपको पता नहीं होगा कि कोई बिल फाड़ देने और लोगों के बीच जाकर अब ढोंग करने से कुछ नहीं होगा…हो सकता है कि आप दिल से बदलाव चाहते हों लेकिन पिछले 10 सालों में इस देश ने जो भोगा है, उसको लेकर आप और आपकी माता जी अपनी ज़िम्मेदारी से दामन नहीं छुड़ा सकते….
इसलिए इस बार बस लोगों के बीच रहिए, उनकी दिक्कतें देखिए…और हां, रॉबर्ट वढेरा की भी जांच करवाइए…जिस दिन आप में ये नैतिक साहस आ जाएगा कि आप अपने जीजाजी के करप्शन के बारे में सख्त हो जाएं…उसी दिन लोगों के सामने फिर से आइएगा…और तब कहिएगा कि आप औरों से अलग हैं…वरना हम जानते हैं कि सब एक जैसे ही हैं…
पवारों, कलमाड़ियों, बंसलों, राजाओं, वाड्राओं से त्रस्त एक आम आदमी…जो नहीं चाहता है कि मोदी सत्ता में आएं लेकिन आपके भ्रष्टाचार से भी उतना ही डर लगता है…
पत्रकार और एक्टिविस्ट मयंक सक्सेना के फेसबुक वॉल से.