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सामूहिक आंदोलन करने की तैयारी में लोकमत श्रमिक संगठन

लोकमत श्रमिक संघठन पिछले 17 सालों से कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहा है. इस रजिस्टर्ड और सरकारी मान्यता प्राप्त संघठन से जुड़े 61 कर्मचारियों को लोकमत प्रबंधन ने 21 नवंबर को गैरकानूनी तरीके से टर्मिनेट कर दिया. इनमें 10 पत्रकार सहित 31 स्थायी और 30 ठेकेदारी कर्मचारी हैं. इन कर्मचारियों में संघठन के अध्यक्ष, महासचिव से लेकर कार्यकारिणी सदस्य और सक्रिय कार्यकर्ता तक शामिल हैं. 
लोकमत श्रमिक संघठन पिछले 17 सालों से कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रहा है. इस रजिस्टर्ड और सरकारी मान्यता प्राप्त संघठन से जुड़े 61 कर्मचारियों को लोकमत प्रबंधन ने 21 नवंबर को गैरकानूनी तरीके से टर्मिनेट कर दिया. इनमें 10 पत्रकार सहित 31 स्थायी और 30 ठेकेदारी कर्मचारी हैं. इन कर्मचारियों में संघठन के अध्यक्ष, महासचिव से लेकर कार्यकारिणी सदस्य और सक्रिय कार्यकर्ता तक शामिल हैं. 
इनका कसूर बस इतना था कि ये लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे. केंद्र सरकार द्वारा लागू पालेकर,(1979) बछावत,(1988) मणिसाना सिंह (1998) और मजीठिया( 2010) वेज बोर्ड की सिफारिशें अभी तक लोकमत प्रबंधन ने लागू नहीं की हैं. संघठन ने रीक्लासीफिकेशन का मामला अदालत में दायर कर रखा है, जो अब अंतिम दौर में है. इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकमत प्रबंधन ने अब तक अपनी बैलेंस शीट तक अदालत में पेश नहीं की है.
 
इसके अलावा, गैरकानूनी ढंग से सालों से ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी और नियमित करने की मांग को लेकर भी मामला न्यायालय में विचाराधीन है. लोकमत श्रमिक संगठन ने हाल में अकोला और गोवा में अपनी शाखाएं प्रारंभ की हैं. मैनेजमेंट चाहता था कि संघठन ये शाखाएं बंद कर दे और ठेका कर्मचारियों को नियमित करने तथा वेज बोर्ड लागू करने की मांग को लेकर दायर मामले वापस ले लिए जाएं. संघठन ने जब इन मांगों को मानने से इंकार कर दिया तो प्रबंधन ने न सिर्फ नागपुर, अकोला और गोवा के 61 कर्मचारियों को फर्जी और आधारहीन आरोप लगाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया, बल्कि अपने प्यादो कों आगे कर लोकमत श्रमिक संघठन पर अवैध रूप से कब्जा भी कर लिया.  
 
हटाए गए कर्मचारी कानूनी तरीके से न्याय प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं, मगर जरूरी है कि लोकमत प्रबंधन की लगातार जारी कर्मचारी विरोधी गैरकानूनी नीतियों और दमन तंत्र का पर्दाफाश करने के लिए सामूहिक आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया जाए. इसी संदर्भ में विचार करने के लिए आगामी 29 दिसंबर 2013 को सुबह 11 बजे पत्रकार भवन, पंचशील चौक के सभागृह में नागपुर के सभी श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया है. अत : आपसे निवेदन है कि बैठक में हिस्सा लेकर न्याय की इस लड़ाई में अपना सक्रिय योगदान दें और मालिकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ प्रभावशाली आवाज उठाने में और कर्मचारियों को न्याय दिलाने में सहयोग करें.  रविवार 29 दिसंबर 2013, सुबह 11 बजे, पत्रकार भवन, पंचशील चौक, नागपुर. 
 
भवदीय
 
अध्यक्ष    
महासचिव
कामगार एकता जिंदाबाद
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