पत्रकार अगर दिल से और ईमानदारी से रिपोर्टिंग करे तो वह भविष्य की आहट को सूंघ-समझ लेता है और उसे सामने लाकर सरकार, समाज और देश को आगाह कर देता है. पर अगर सिस्टम सड़ा, सरकार सोई व समाज सुन्न हो तो कुछ नहीं हो सकता. बात वर्ष 2004 की है. उन दिनों पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद पंत दैनिक जागरण अखबार के देहरादून एडिशन में काम किया करते थे.
लक्ष्मी प्रसाद पंत पढ़ने लिखने वाले और संवेदनशील पत्रकार हैं. उनकी लिखी एक खबर उस साल दो अगस्त को दैनिक जागरण, देहरादून में पहल्ले पन्ने पर टाप बाक्स में प्रकाशित हुई. इस खबर में केदारनाथ पर आने वाले संकट के बारे में बड़ी बेबाकी से बताया गया था. हेडिंग से ही जाहिर है कि सबको सब कुछ पता था.
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लेकिन सरकारें सोई रहीं और मनुष्य द्वारा निर्मित 'विकास' से विनाश हो गया. इस खबर को पढ़कर अगर आपका भी लक्ष्मी प्रसाद पंत को ऐसी रिपोर्टिंग के लिए बधाई देने का मन करे तो जरूर दे दीजिएगा क्योंकि इससे अच्छे पत्रकारों का मनोबल बढ़ेगा.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया