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कुछ लोगों को मालूम ही नहीं होता कि वे भाग्यशाली हैं

पिछले एक महीने में जिनके बारे में मैंने सबसे ज्यादा बात की है, वे हैं, मेरे एक मित्र की टोपी, एक बस कंडक्टर जो बहुत झगड़ालू है, शक्ल से भाग्यशाली लोग और मेरा पुराना रेडियो। इन सब बातों का आपस में दूर-दूर तक कोई गहरा रिश्ता नहीं है लेकिन इनमें ऐसा कुछ है जिनकी वजह से मैं इन्हें याद रखता हूं। इस सूची में मेरे मित्र आशीष की टोपी पहले नंबर पर है। यह एक पुरानी टोपी है लेकिन यह और टोपियों से कहीं ज्यादा आकर्षक है। यह मुझे किसी प्राचीन पोप की याद दिलाती है। जब मैंने इसका इतिहास जानना चाहा तो यह काफी चौंकाने वाला था, क्योंकि उनके मुताबिक इसका अतीत अज्ञात है। उन्होंने संभावना व्यक्त की है कि अब्राहम लिंकन ने जब अमेरिका के राष्ट्रपति की शपथ ली, तो यह टोपी उनके सर पर थी। वे यह भी मानते हैं कि महान योद्धा सिकंदर इसी टोपी को पहनकर दुनिया घूमा था। बाद में यह उससे खो गई। अगर ऐसा है तो यह बहुत चिंता की बात है, क्योंकि सिकंदर भविष्य में इस टोपी को मांग भी सकता है। अब तक वह अपनी सेना काफी बढ़ा चुका होगा। वह एक टोपी के लिए युद्ध भी कर सकता है।

पिछले एक महीने में जिनके बारे में मैंने सबसे ज्यादा बात की है, वे हैं, मेरे एक मित्र की टोपी, एक बस कंडक्टर जो बहुत झगड़ालू है, शक्ल से भाग्यशाली लोग और मेरा पुराना रेडियो। इन सब बातों का आपस में दूर-दूर तक कोई गहरा रिश्ता नहीं है लेकिन इनमें ऐसा कुछ है जिनकी वजह से मैं इन्हें याद रखता हूं। इस सूची में मेरे मित्र आशीष की टोपी पहले नंबर पर है। यह एक पुरानी टोपी है लेकिन यह और टोपियों से कहीं ज्यादा आकर्षक है। यह मुझे किसी प्राचीन पोप की याद दिलाती है। जब मैंने इसका इतिहास जानना चाहा तो यह काफी चौंकाने वाला था, क्योंकि उनके मुताबिक इसका अतीत अज्ञात है। उन्होंने संभावना व्यक्त की है कि अब्राहम लिंकन ने जब अमेरिका के राष्ट्रपति की शपथ ली, तो यह टोपी उनके सर पर थी। वे यह भी मानते हैं कि महान योद्धा सिकंदर इसी टोपी को पहनकर दुनिया घूमा था। बाद में यह उससे खो गई। अगर ऐसा है तो यह बहुत चिंता की बात है, क्योंकि सिकंदर भविष्य में इस टोपी को मांग भी सकता है। अब तक वह अपनी सेना काफी बढ़ा चुका होगा। वह एक टोपी के लिए युद्ध भी कर सकता है।

जयपुर की सिटी बसों में पिछली सरकार ने कंडक्टर के पद पर काफी युवाओं को भर्ती किया था। इनमें से ज्यादातर गांवों से आए हैं। जिस बस से मैं रोज जाता हूं उसकी कंडक्टर बहुत झगड़ालू है। वह बस में सख्त अनुशासन लागू करती है। यहां तक कि अगर बस में कोई उपद्रवी किस्म का इन्सान बैठ जाए तो वह उससे झगड़ा कर लेती है। दो शराबियों को उसने गर्दन पकड़कर नीचे उतारा था। शायद बस कंडक्टर की नौकरी उसके लिए ठीक नहीं है। उसे फौज या पुलिस में होना चाहिए था। एक बार मैंने उसे नौकरी बदलने का सुझाव दिया तो वह उसे पसंद आया। कुछ लोगों को अपनी योग्यता का तब तक अहसास नहीं होता, जब तक कि उन्हें इसके बारे में बताया नहीं जाता। इस मामले में अच्छी बात यह रही कि उसने मेरे साथ कभी झगड़ा नहीं किया।

कुछ लोग सच में बहुत भाग्यशाली होते हैं। हालांकि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं लेकिन मैं ऐसे लोगों को जानता हूं जो बहुत भाग्यशाली होते हैं और शक्ल से ऐसे लगते भी हैं। इस मामले में मेरे अनुभव हमेशा सही साबित हुए हैं। इनमें मेरी छोटी बहन टिंकू भी शामिल है। वह हमेशा मेरे लिए भाग्यशाली साबित हुई है। गांव में जब मैंने लाइब्रेरी शुरू की तो उसका उद्घाटन उसने ही किया था। यहां इस बात की गलतफहमी न पालें कि हमारा कभी झगड़ा नहीं हुआ। एक बार उसने मेरी बिल्कुल नई शर्ट फाड़ दी थी। उसकी शादी के बाद मुझ पर मुसीबतों का अंबार टूट पड़ा था। अक्सर ऐसे भाग्यशाली लोगों को बहुत कम मालूम होता है कि वे भाग्यशाली हैं। मेरे प्रदेश के एक नेता के बारे में भी मेरा यही मानना है। इसके अलावा एक और व्यक्ति के बारे में भी मेरा यही आकलन है। मैंने सुना है कि वह बहुत क्रोधी भी है।

मेरे निजी खजाने की सबसे ज्यादा कीमती चीजों में एक रेडियो भी था। वह मुझे मेरे पापा ने दिलाया था। उससे मैं देश-विदेश के समाचार सुनता था। मुझे लिखने की प्रेरणा भी उसी से मिली। हर शाम वह बहुत अच्छे गाने सुनाता था। उसकी खबरें सुनने के बाद ही मुझे मालूम हुआ कि भारत की राजधानी नई दिल्ली है। उससे पहले मैं मेरे गांव को ही देश समझता था। एक दिन रेडियो काफी दबी जुबान से खबरें सुना रहा था। दूसरे दिन वह बंद हो गया। उसके बाद वह कभी नहीं बोला। मैंने उसे कुछ दिन अलमारी में रखने का फैसला किया। इस सिलसिले में गर्मियों का मौसम बीत गया। एक दिन जब मैं स्कूल से लौटा तो मालूम हुआ कि मेरा रेडियो कबाड़ी को बेच दिया गया है। इस पर मैंने काफी विवाद खड़ा किया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिरकार मैंने अखबार पढ़ना शुरू कर दिया। इतने वर्षों बाद भी उस रेडियो को मैं भूला नहीं हूं। जब कभी मैं किसी कबाड़ी की दुकान के आगे से गुजरता हूं तो उधर देखता हुआ चलता हूं। मुझे भरोसा है कि मेरा रेडियो कहीं इंतजार कर रहा है। अगर किसी दिन वह मुझे दिखा तो किसी भी कीमत पर उसे घर ले आऊंगा। इसके लिए मैंने काफी पैसे भी इकट्ठे कर लिए हैं।

 

लेखक राजीव शर्मा का ब्लाग पता ganvkagurukul.blogspot.com है।

 

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