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मीडिया क्रुक्स के पोल में दीपक चौरसिया सबसे बेकार पत्रकार चुने गए

मीडीया क्रुक्स डॉटकॉम नामक एक वेबसाइट द्वारा कराए गए पोल "India’s Worst Journalists-2014"(भारत के सबसे बेकार पत्रकार-2014) में नंबर एक पर रहे इंडिया न्यूज़ के दीपक चौरसिया को लोगों ने सबसे घटिया पत्रकार के रूप में चुना है। आसाराम बापू को ले कर इंडिया न्यूज पर दीपक चौरसिया ने जिस तरह के कार्यक्रम दिखाए उससे चौरसिया की खूब आलोचना हुई है। आरोप है चौरसिया ने आसाराम के एक विडियो के साथ छेड़छाड़ की और उसे आपने एक कार्यक्रम में दिखाया। इससे आसाराम की छवि खराब हुई है। ट्विटर पर लोगों ने चौरसिया को #ArrestCHORasia के नाम से कैम्पेन चलाया हुआ था। बहुत कम लोग जानते हैं कि चौरसिया एक बहादुर पत्रकार हैं जिन्होनें 2003 का अमरीका-ईराक युद्ध कवर किया था। चौरसिया एक सैनिक की तरह वर्दी, हैलमेट आदि पहन के युद्ध के मैदान में नज़र आ रहे थे। बस एक ही गड़बड़ थी, युद्ध ईराक में लड़ा जा रहा था और चौरसिया कुवैत से रिपोर्टिंग कर रहे थे, वे युद्ध के बीच में नहीं थे जैसा के टीवी पर दिखाया जा रहा था। पत्रकारिता को थिएटर समझने वाले चौरसिया इस कारण न सिर्फ पहली बार इस लिस्ट में शामिल हुए हैं बल्की साधे नंबर एक की पोजीशन पर पहुंच गए।

मीडीया क्रुक्स डॉटकॉम नामक एक वेबसाइट द्वारा कराए गए पोल "India’s Worst Journalists-2014"(भारत के सबसे बेकार पत्रकार-2014) में नंबर एक पर रहे इंडिया न्यूज़ के दीपक चौरसिया को लोगों ने सबसे घटिया पत्रकार के रूप में चुना है। आसाराम बापू को ले कर इंडिया न्यूज पर दीपक चौरसिया ने जिस तरह के कार्यक्रम दिखाए उससे चौरसिया की खूब आलोचना हुई है। आरोप है चौरसिया ने आसाराम के एक विडियो के साथ छेड़छाड़ की और उसे आपने एक कार्यक्रम में दिखाया। इससे आसाराम की छवि खराब हुई है। ट्विटर पर लोगों ने चौरसिया को #ArrestCHORasia के नाम से कैम्पेन चलाया हुआ था। बहुत कम लोग जानते हैं कि चौरसिया एक बहादुर पत्रकार हैं जिन्होनें 2003 का अमरीका-ईराक युद्ध कवर किया था। चौरसिया एक सैनिक की तरह वर्दी, हैलमेट आदि पहन के युद्ध के मैदान में नज़र आ रहे थे। बस एक ही गड़बड़ थी, युद्ध ईराक में लड़ा जा रहा था और चौरसिया कुवैत से रिपोर्टिंग कर रहे थे, वे युद्ध के बीच में नहीं थे जैसा के टीवी पर दिखाया जा रहा था। पत्रकारिता को थिएटर समझने वाले चौरसिया इस कारण न सिर्फ पहली बार इस लिस्ट में शामिल हुए हैं बल्की साधे नंबर एक की पोजीशन पर पहुंच गए।

पिछले पोलमें नंबर एक रहीं बरखा दत्त को इस बार नंबर दो की पोजीशन से संतोष करना पड़ा। बरखा के साथ कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है, उन्होने कई साल लगा दिए राहुल गांधी की परिपक्व इमेज को बनाने में लेकिन जब मौका आया तो राहुल ने अपना पहला टीवी इन्टरव्यू अरनब गोस्वामी को दिया। बरखा ने दिल्ली चुनाव में गूगल हैंगआउट पर शीला दिक्षित का कैंपेन भी सम्हाला पर कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई। तीसरे नंबर पर रहीं सीएनएन-आईबीएन की सगारिका घोष। वे पिछले सर्वे में दूसरे नंबर पर थीं। गुड-फ्राईडे पर ईस्टर ऐग्स और सुप्रीम के न्यायधीशों के लिए "क्रैकपॉट" जैसे शब्द, सगारिका के मुंह से सभी कुछ सुना जा सकता है। नए पत्रकारों से कहा जाता है कि वे सगारिका को देख के सीखें कि पत्रकारों को क्या-क्या नहीं करना चाहिए और नहीं बोलना चाहिए।

पोल में चौथे नंबर पर नई ऐन्ट्री हुई है आशुतोष की। आशुतोष के बारे में खास बात ये है कि वे एक साधारण शुरुआत करके टॉप पर पहुंचे है। कहा भी जाता है कि आपने कहां से शुरुआत की यो महत्वपूर्ण नहीं है, बल्की आप कहां पहुंचे यह महत्वपूर्ण है। आप पार्टी के पॉलिटिकल एक्टिविस्ट के तौर पर काम करते रहे आशुतोष हमेशा अपने आप को एक पत्रकार के रूप में पेश करते रहे। उन्हे पत्रकारिता के बाहर होना ही था और अब वे एक फुल-टाइम पॉलिटीशियन बन गए हैं। पॉलिटीशियन बनने के बाद उन्होने एसी बहुत सी बातों पर यू-टर्न मारा है जिन्हे वे पहले कहा करते थे। नंबर पांच पर हैं राजदीप सरदेसाई। राबर्ट वाड्रा से ले कर गांधी परिवार के हर सदस्य का बचाव करने वाले राजदीप आजकल आप पार्टी के कैंपेनर के रूप में नज़र आ रहे हैं। पिछले दो सालों में राजदीप का सबसे बड़ा काम मोदी का इन्टरव्यू रहा है जो एक बस के अन्दर लिया गया था। गौरतलब है कि मोदी के मुंह से उनके लिए “Sar-ka-dard-esai” निकल गया था।

छठे नंबर पर रहे हैं भारत के एक मात्र "बो-टाई" पहनने वाले पत्रकार करन थापर। पिछले पोलमें नंबर दस पर रहीं एनडीटीवी की निधि राज़दान इस बार नंबर सात पर हैं। नंबर आठ पर सीधे ऐन्ट्री मारी है आईबीएन-लोकमत के निखिल वागले ने। आजकल वागले अपनी पत्रकारिता के लिए कम बल्की अपनी ट्वीट्स और नितिन राणे के आरोपों के लिए अधिक जाने जाते हैं। नंबर नौ पर हैं कुमार केतकर, वे पिछले पोल में भी केतकर इसी स्थान पर थे। कांग्रेस के स्पीच-राइटर के रूप में प्रसिद्ध केतकर आरएसएस-हिन्दुत्व के विरोधी के रूप में भी जाने जाते हैं। नंबर दस पर हैं सिद्धार्थ वरदराजन। हाल समय तक द हिन्दू के एडिटर रहे सिद्धार्थ अपने एंटी-हिंदू लेखों के लिए जाने जाते हैं। आजकल टीवी पैनलिस्ट के रूप में नज़र आने वाले सिद्धार्थ 2002 के दंगों के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराने के लिए नई-नई थ्योरी गढ़ते रहते हैं।

मीडिया क्रुक्स द्वारा किया गया अपनी तरह का ये तीसरा पोल है। इससे पहले 2010 और 2012 में ये सर्वे किया गया था। 2002 में सिर्फ 938 लोगों ने इस पोल में हिस्सा लिया था, इस बार 9429 लोगों ने सर्वे में हिस्सा लिया।

साभारः माडियाक्रुक्स डॉटकॉम

पिछली बार के पोल में स्थान बनाने वाले अर्नब गोस्वामी, विनोद शर्मा, वीर सांघवी और शेखर गुप्ता इस बार सबसे बेकार पत्रकारों का लिस्ट में अपना स्थान नहीं बना पाए। अर्नब ने अपनी स्थिति में सुधार किया है, एक पत्रकार के रूप में उनका सम्मान बढ़ा है। कांग्रेस के एजेंट के रूप में जाने जाने वाले विनोद शर्मा और राडिया के स्टोनोग्राफर के रूप में प्रसिद्धि पाए वीर सांघवी को इस सर्वे में शामिल करने लायक नहीं समझा गया।

 

पोल को इस लिंक  http://www.mediacrooks.com/2014/02/indias-worst-journalists-2014.html#.Uu3w3vuOf0F पर पढ़ा जा सकता है।   

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