अपने आप को यादव विरादरी का क्षत्रप समझने वाले मुलायम सिंह यादव की जमीन दरकती नजर आ रही है। सपा के गढ़ में मुलायम के खिलाफ और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के पक्ष मे यादव बन्धुओं के मुंह से निकली आवाज हैरान करने वाली है। मुलायम के हर संघर्ष मे कदमताल करने वाले यूपी खासकर इटावा और औरैया के यादव बन्धुओं के मुंह से मोदी का गुणगान मुलायम और अखिलेश के भविष्य के लिए खतरे की घंटी का एहसास करा रहा है। अपने घर से अपनो के द्वारा निकली विरोध की आवाज यदि दूर तक गई तो मुलायम की मुसीबत बढ़ सकती है। इतिहास पर यदि गौर करें तो साफ समझ मे आता है कि समय ने सबको झटका दिया है। यदि वक्त ने करवट बदली तो मुलायम भी इसके झटके का शिकार हो सकते हैं।
सपा के गढ़ में टंगा काला बैनर
गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले राजनीतिक दलों के नेताओ को काले रंग से परहेज रहता है। चुनाव सिर पर हो और गांव में काले झंडे या बैनर टंगे हों तो चिंता बढ़ना लाज़मी है। ऐसा ही कुछ दिखाई दे रहा है सपा के गढ़, इटावा संसदीय क्षेत्र में। इटावा लोक सभा क्षेत्र में पड़ने वाले औरैया जिले के घसारा गांव के कई मजरों में बिजली और सड़क ना होने से नाराज वहां के यादव जाती के लोगों में भारी नाराजगी दिखाई दे रही है। वर्षों से समाजवादी पार्टी को वोट देते आये यादव जाति के लोगों द्वारा काले बैनर में लिखे तीखे शब्द बता रहे हैं कि लोग बहुत नाराज़ हैं। आज़म खान को सूबे का असली राजा और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बाजा बजाने वाला नेता बताया गया है। मुलायम सिंह यादव भले ही प्रधानमंत्री बनने का सपना संजो रहे हों लेकिन उनके अपनो ने मुलायम की बजाय मोदी को जरूरी बताया है। सरकार के मुखिया अखिलेश यादव और कैबिनेट मंत्री आज़म खान के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुये ग्रामीणों ने चुनाव से पहले विकास ना होने पर सपा का विरोध करने की चेतावनी दी है।
मुलायम के गढ़ में उनके अपनों द्वारा काला बैनर टांगने से सपा की मुश्किले बढ़ गई हैं। मुलायम के गृह क्षेत्र से उन्ही के अपनों द्वारा सपा के खिलाफ शुरू की गई आवाज सूबे मे सपा का खेल बिगाड़ सकती है। यदि ऐसा हुआ तो मुलायम के प्रधानमंत्री बनने के अरमानों पर एक बार फिर पानी फिर सकता है।
सुरेश मिश्रा की रिपोर्ट।