पिछली साल ही ख़त्म हो गए थे एनडीएमसी पार्किंग ठेके, अब हो रही अवैध वसूली

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नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के तहत चलने वालीं 16 पार्किंग लॉट से पार्किंग ठेकेदार पिछले एक सप्ताह से अवैध रूप से वसूली कर रहे हैं। इस गोरखधंधे में उनके साथ प्रवर्तन विभाग के अफसर भी मिले हुए हैं। जानकारी के मुताबिक पिछले सप्ताह ग्रुप पांच के पार्किंग कांट्रेक्टर ने इन पार्किंगों को आगे चलाने से इनकार कर दिया था। इस ग्रुप में बाराखंबा रोड और जनपथ इलाके की कुल 14 पार्किंग आती हैं। उस पार्किंग ठेकेदार पर लाइसेंस फीस के रूप में एनडीएमसी के करोड़ों रुपये बकाया हैं। मजेदार बात यह है कि अपनी चिट्ठी दे कर वह पार्किंग ठेकेदार अपनी आगे की देनदारी से तो बच गया, लेकिन वह अभी भी वहां आने वाले लोगों की पर्ची अवैध रूप से काट कर पैसा अपनी जेब में रख रहा है।

नई दिल्ली इलाके में पार्किंगों को कुल पांच ग्रुपों में बांटा गया हैं। इनमें से केवल ग्रुप वन की पेमेंट अप-टू-डेट हैं। बाकी के पार्किंग कांट्रेक्टरों पर कमेटी का करीब आठ करोड़ से ज्यादा का बकाया हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली के पांच पार्किंग ग्रुप बने हैं। ग्रुप वन कनॉट प्लेस के इनर और आउटर सर्कल का है। उसमें 37 पार्किंग हैं। ग्रुप टू में कनॉट प्लेस के आसपास की पार्किंग आती हैं। इसमें 16 पार्किंग हैं। ग्रुप तीन में नई दिल्ली का साउथ वेस्ट इलाका है। इसमें 14 पार्किं आती हैं। ग्रुप चार इंडिया गेट के आसपास का इलाका है। इसमें 18 पार्किं लॉट हैं। इसी तरह ग्रुप पांच में बीके रोड और जनपथ का इलाका आता है। उसमें 16 पार्किंग हैं।

आरोप है कि यहां तैनात अफसरों की मेहरबानी से पिछले 11 महीने के दौरान पार्किंग माफिया पर करीब आठ करोड़ का बकाया हो चुका है, लेकिन उनके डिफाल्टर होने के बावजूद हमेशा की तरह मिलने वाली एक्सटेंशन जारी है। आरोप है कि आला अफसर अपने निजी हितों की खातिर पार्किंग ठेकेदारों से मिले हुए हैं और एनडीएमसी को चूना लगवा रहे हैं। ऐसे हालात में कानूनी प्रक्रिया अपनाकर भी उन लोगों से इस आठ करोड़ की वसूली आसान नहीं है। ऐसा घोटाला कुछ पार्किंग ठेकेदार एमसीडी में कर चुके हैं। अनुमान है कि कुल डिफाल्टर अमाउंट करीब आठ करोड़ से ज्यादा हो चुका है।

सूत्रों के अनुसार, एनडीएमसी इलाके में पार्किंग के ठेके 31 मार्च, 2013 को ही खत्म हो चुके हैं। चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने की खातिर टेंडर करने के बावजूद उसे खोला नहीं गया है। इससे एनडीएमसी को लाखों रुपये महीना का नुकसान हो रहा है। हालात यह है कि लोग पार्किंग करने के लिए भुगतान करते हैं, तो पूरा का पूरा पार्किंग ठेकेदारों की जेब में जा रहा है।

हैरानी की बात यह है कि कनॉट प्लेस इलाके का पार्किंग टेंडर दो बार हो चुका है। उस टेंडर में डिफाल्टर ठेकेदारों ने हिस्सा नहीं लिया था। इस वजह से उसे अब दोबारा कैंसिल करने की तैयारी चल रही है। इस संबंध में सालाना प्रेस कान्फ्रेंस में एनडीएमसी चेयरममैन जलज श्रीवास्तव ने स्वीकार किया था कि कुछ पार्किंग कांट्रेक्टर लाइसेंस फीस नहीं दे रहे हैं। लेकिन इस संबंध में कार्रवाई कराने में वह भी असफल साबित हुए। अफसर नई योजना की बात तो करते हैं, लेकिन पुराना पैसा कैसे वसूला जाएगा, इसका कोई एक्शन प्लान एनडीएमसी के पास नहीं है।

 

दिल्ली से पीयूष जैन की रिपोर्ट। संपर्क astroguruji@gmail.com

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