अफजल गुरु का दिल कसाब की फांसी पर कितना धड़का, कितना नहीं ये तो किसी को नहीं पता, लेकिन समाचार एजेंसी आईएएनएस को उसकी खासी फिक्र हो गयी है। ये एजेंसी इस आतंकवादी को न सिर्फ एक बहादुर और निडर लड़ाका साबित करने की कोशिश में हैं, बल्कि उसे धार्मिक भी बताने में जुटी है।
बिन मौसम की बरसात की तरह एजेंसी ने कुछ जेल अधिकारियों से बातचीत के हवाले से ये खबर छाप दी कि अफजल को मौत का खौफ़ नहीं है। मानों अफजल देशद्रोही आतंकवादी नहीं, भगत सिंह हो गया। एजेंसी ने न सिर्फ जेल के आधिकारिक प्रवक्ता सुनील गुप्ता का बयान लिया, बल्कि एक 'अनाम' अधिकारी का भी हवाला दिया है।
अब भला कोई ये बताए कि क्या तिहाड़ जेल ने अफजल का कोई मनौवैज्ञानिक टेस्ट करवाया था जो उसके प्रवक्ता को पता चल गया कि वो फांसी से डर नहीं रहा है? या फिर जेल के अधिकारी ये उम्मीद कर रहे थे कि कसाब के फांसी की ख़बर सुन कर अफजल गश खाकर गिर पड़ेगा?
खास बात ये है कि इस खबर को सबसे पहले और प्रमुखता से छापने वाले समाचार समूह वे ही हैं जो इन दिनों सरकार की खुशामद में जी-जान से जुटे हैं। हिन्दुस्तान, जागरण और जी न्यूज। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कैसे अफजल के सहयोगियों की सजाएं कम कर दी गयीं और कौन लोग फांसी के विरोध में जुटे हैं।
अब जबकि राष्ट्रपति के यहां से भी अफजल की फांसी की सजा माफ करने की उम्मीद खत्म हो चुकी है, ये एजेंसी और समाचार माध्यम क्या साबित करने में जुटे हैं वे ही जानें, मेरा तो मानना है कि ये भी एक तरह का देशद्रोह है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये आलेख उनके फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।)