न्यूज़ 11 एवं केयरविजन से जुड़े तमाम लोग हो जाएं सावधान, नहीं तो कभी भी वे फंस सकते हैं. उन्हें फंसाने वाला कोई और नहीं बल्कि इस चैनल के कर्ताधर्ता अरूप चटर्जी होंगे. वैसे भी अरूप के जीवन का नारा रहा है- ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको अरूप ने ठगा नहीं. न्यूज़11 के आधार स्तम्भ कहे जानेवाले और शुरुआती दिनों से न्यूज़ 11 में काम कर रहे एक वरिष्ठ सदस्य को जब महिंद्रा फायनांस के लीगल डिपार्टमेंट से फोन आया तब उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी.
फोन करने वाले ने जब फोन पर उन्हें जेल भेजने की बात की तब उन्होंने उससे अगले दिन उसके ऑफिस में आकर मिलने का वादा किया. अगले दिन जब वे महिंद्रा फायनांस के ऑफिस (मेन रोड, सुशीला ऑटोमोबाइल के बगल में) पहुंचे तब शायद उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगा होगा. अरूप ने न्यूज़ 11 के लिए कुछ महीनों पहले दो गाड़ियों (मारुती-इको) का फायनांस वहां से करवाया था, जिसकी किश्त पिछले छह-सात महीनों से बाकी थी. सबसे मज़े की बात कि यह वरिष्ठ सदस्य इस फायनांस प्रक्रिया में गारंटर थे, वे भी बिना उनकी जानकारी के. उनका फोटो, ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी और उनके जाली हस्ताक्षर की बदौलत दोनों गाड़ियों का फायनांस सम्भव हो पाया था.
अरूप ने बातचीत के क्रम में अपने मोबाइल से उनका फोटो खींच लिया था, ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी एचआर डिपार्टमेंट की फाइल से उसने निकाल लिया था और यह बताने की जरूरत नहीं की जाली हस्ताक्षर भी उसी ने किये थे. इस जालसाजी ने न्यूज11 के उस वरिष्ठ कर्मी को मजबूर कर दिया कि वे इस संस्थान को जितनी जल्दी हो सके बाय-बाय कर दें, अन्यथा उन्हें जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता था. जब इतने पुराने लोगों के साथ ऐसा विश्वासघात हो सकता है तो बाकी लोग कहाँ से सुरक्षित हो सकते हैं.
किया गया गुनाह कभी पीछा नहीं छोड़ता है. सुनने में यहाँ तक आ रहा है कि अरूप चटर्जी के दिन गिने चुने ही हैं. बाबा कंस्ट्रक्शन के मनोज सिंह से लिए गए पैसों के लिए उसे देवघर में मजिस्ट्रेट एवं दो गवाहों के सामने इकरारनामा करना पड़ा जिसके तहत बाबा कंस्ट्रक्शन को अरूप चटर्जी मासिक किस्तों में ब्याज समेत रुपये वापस करेंगे. न्यूज़ 11 के शुरुआती दिनों में एडिटर इन चीफ सुशील भारती (वर्तमान में सम्पादक, प्रभात खबर, देवघर संस्करण) को भी उनकी सैलरी बकाया का भुगतान इसीलिए किया जा रहा है कि प्रभात खबर में केयर विजन के बारे में कुछ अन्यथा नहीं छप जाए, क्योंकि झारखंड में नॉन-बैंकिंग कंपनियों पर सरकारी लगाम दिनों दिन कसा जा रहा है. ऐसे में जब तक भोली भाली जनता से पैसे लुटे जा सकते हैं तब तक लूट लो.
अरूप चटर्जी को उसके गुनाह उसका पीछा कितनी तेज़ी से कर रहे हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि न्यूज़ 11 में जिसके पैसे लगे हैं वह व्यक्ति मधु कोड़ा प्रकरण में अभी जेल में बंद है लेकिन पिछले दिनों पेशी के लिए जब उसे कोर्ट लाया गया था तब उसने भी अरूप को फोन करके अनौपचारिक बातचीत में सूचित कर दिया था कि बाहर निकलने के बाद सबसे पहला हिसाब-किताब उसी के साथ किया जाएगा. रोज वैली (नॉन बैंकिंग कंपनी) के खिलाफ खबर दिखाने के मामले में भी करोड़ों के मानहानि का कानूनी नोटिस भी न्यूज़ 11 को मिल चुका है. सुनने में यहाँ तक आ रहा है कि चैनल हेड बनाने के लिए उसने मीडिया के कुछ वरिष्ठ लोगों से बात की तब उनमें से कुछ ने तो साफ़ मना कर दिया और कुछ लोगों ने ऐसी शर्त (छ महीने की सैलरी सेक्युरिटी के तौर पर एडवांस) रख दी जिसे पूरा करना अरूप के स्वभाव में नहीं है. इन परिस्थितियों में तो यही कहा जा सकता है की शोर्टकट से पायी गयी सफलता भी शोर्टकट के रास्ते ही वापस हो जाती है.
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. भड़ास ने पत्र में उल्लखित तथ्यों-बातों का अपने स्तर पर सत्यापन कर लिया है. बावजूद इसके अगर किसी को कुछ कहना है तो अपनी नीचे दिए गए कमेंट बाक्स के जरिए या [email protected] पर मेल करके कह बता सकता है.