Nadim S. Akhter : जिस देश में मंत्री-विधायक-सांसद-बड़े अफसर की गाड़ी रोकने तक पर-चेकिंग करने पर पुलिस वाले चुटकियों में सस्पेंड कर दिए जाते हैं, लाइन हाजिर कर दिए जाते हैं, जिस धरा पर मंत्री-मुख्यमंत्री राज्य पुलिस के आला अफसरों से अपने कुत्ते नहलवाते हों और अपने लिए खैनी-तम्बाकू बनवाते हों, उसी देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री के लाख कहने के बावजूद तीन पुलिस वाले ना तो सस्पेंड किए जाते हैं और ना ही उनका ट्रांसफर किया जाता है.
मजबूरन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के दफ्तर के सामने साथी मंत्रियों और विधायकों के साथ धरने पर बैठने का फैसला लेना पड़ता है. दुनिया का यह आठवां अजूबा अभी-अभी भारत देश में घटित हो रहा है. देश चला रही जनता द्वारा चुनी गई एक केंद्र सरकार, देश की राजधानी के लोगों द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री और उनके साथी मंत्रियों की नहीं सुन रही. हद तो ये है केंद्र सरकार ने, कार्यपालिका यानी दिल्ली पुलिस के जरिए एक मुख्यमंत्री की -भद्द पिटवाने- में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है.
जो हो रहा है, वह अभूतपूर्व है. अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि इस देश को और यहां के सिस्टम को out of the box तरीके से ही सुधारा जा सकता है. जनता को भी ये आइडिया खूब भा रहा है. वह गदगद है, निहार रही है इन नए तरीके-सलीके वाले जनप्रतिनिधियों को. लेकिन जंग खाई पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को ये सब नहीं दिख रहा. दिल्ली चुनाव नतीजों के बाद भी उनकी आंखें नहीं खुलीं हैं. शायद लोकसभा चुनाव के बाद कोहरा हटे तो वो देख पाएं कि चाय पिलाकर और सिलिंडर बेचकर जनता का दिल नहीं जीता जा सकता. इस देश को वोटर्स को इतना भी मूरख ना समझो भाई लोगों.
युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार नदीम एस. अख्तर के फेसबुक वॉल से.