मंगलोर में कस्तूरी टीवी के रिपोर्टर नवीन सूरिन्जे की गिरफ्तारी पर दक्षिण भारत के लगभग सभी पत्रकार संगठन एकजुट होने लगे हैं। नवीन को 28 जुलाई को शहर में हुई एक बर्थ डे पार्टी में लडकियों पर हमला करने वाले हमलावरों के साथ ही 7 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया है।
दिलचस्प बात ये है कि नवीन को साढ़े तीन महीने बाद उसी मामले में 44वां आरोपी बनाया गया है जिसके बाकी 43 आरोपियों की पहचान उसी टेलीविजन फूटेज से की गयी है जिसे नवीन ने अपने कैमरामैन के साथ मिल कर रिकॉर्ड किया था। मंगलोर, बंगलौर और कर्णाटक के कई शहरों में पुलिस की इस उटपटांग कार्रवाई की तीखी आलोचना हो रही है। जांच में ये भी पता चला है कि नवीन को जुलाई में लड़कियों पर हो रहे हमले की सूचना उपद्रवियों में से किसी ने नहीं दी थी। इसका मतलब ये हुआ कि दंगाइयों से सांठ-गांठ का आरोप पूरी तरह निराधार है।
उधर नवीन की जमानत याचिका पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है क्योंकि 13 नवम्बर को मंगलोर की निचली अदालत ने सुनवाई टल गयी। नवीन के समर्थकों का कहना है कि कर्नाटक की भाजपा सरकार अपने समर्थक उत्पातियों की गिरफ्तारी से बौखला गयी है और बदला लेने के लिए खबर दिखाने वाले पत्रकार को ही फंसा रही है।