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parsing error के कारण indian express की किसी भी खबर के url के साथ ऐसी छेड़छाड़ संभव

इतने मूर्ख भी नहीं हैं पत्रकार या अखबार. अखबारों के बीच की स्पर्धा जरूर मूर्खतापूर्ण होने लगी है. उपर्युक्त प्रकरण के तकनीकी पक्ष को समझ लेने के बाद ऐसा कहा जा सकता है. मारकण्डे काटजू से इस पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद मैंने अपने तकनीकी-मित्रों के एक समूह के बीच यह प्रकरण रखा. अधिकांश मित्र वहां भी इस खेल का तकनीकी पक्ष समझ नहीं पाए. फिर बर्क्ली, कैलिफोर्निया में कार्यरत इंडियन स्टैटिस्टिकल इन्स्टीट्यूट के एक पूर्व छात्र डॉ अनिरुद्ध गुप्ता ने यह बताया कि इंडियन एक्सप्रेस की किसी भी खबर के URL के साथ ऐसी छेड़छाड़ की जा सकती है। ऐसा 'parsing error' नामक त्रुटि के कारण होता है. इस तृटि के कारण URL में संख्या के ठीक पहले के हिस्से में कुछ भी डाल देने पर भी वही पृष्ट खुलेगा. इसी उदाहरण को लीजिए : 

इतने मूर्ख भी नहीं हैं पत्रकार या अखबार. अखबारों के बीच की स्पर्धा जरूर मूर्खतापूर्ण होने लगी है. उपर्युक्त प्रकरण के तकनीकी पक्ष को समझ लेने के बाद ऐसा कहा जा सकता है. मारकण्डे काटजू से इस पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद मैंने अपने तकनीकी-मित्रों के एक समूह के बीच यह प्रकरण रखा. अधिकांश मित्र वहां भी इस खेल का तकनीकी पक्ष समझ नहीं पाए. फिर बर्क्ली, कैलिफोर्निया में कार्यरत इंडियन स्टैटिस्टिकल इन्स्टीट्यूट के एक पूर्व छात्र डॉ अनिरुद्ध गुप्ता ने यह बताया कि इंडियन एक्सप्रेस की किसी भी खबर के URL के साथ ऐसी छेड़छाड़ की जा सकती है। ऐसा 'parsing error' नामक त्रुटि के कारण होता है. इस तृटि के कारण URL में संख्या के ठीक पहले के हिस्से में कुछ भी डाल देने पर भी वही पृष्ट खुलेगा. इसी उदाहरण को लीजिए : 

यूआरएल में हम लिख देते हैं कि भड़ास और अफलू खा गए गच्चा… देखिए, यहां क्लिक करने पर भी पेज खुल जाएगा…

http://www.indianexpress.com/news/bhadas-aur-afloo-kha-gaye-gachcha/947835/

अब फिर लौट आइए तकनीक से अखबारनवीसी पर. इस प्रकरण की शुरुआत मेरे मित्र अखिलेश ने की, मालूम नहीं parsing error समझकर या बिना समझे. वे द हिन्दू में हैं और मामला एक्सप्रेस का, यह भी विचारणीय हो सकता है.

Aflatoon   
अफ़लातून ,
समाजवादी जनपरिषद ,
5, रीडर आवास, जोधपुर कॉलॉनी,
काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी


संबंधित मूल खबर- साले मद्रासी फिर जीत गए, इंडियन एक्सप्रेस की भाषा

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