Nadim S. Akhter : लीजिए अब महाखजाने के महारहस्य की महाकवरेज की गूंज देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में सुनाई देगी. किसी अतिउत्साही ने खुदाई की निगरानी के लिए यहां एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट के अतिविशिष्ट सम्मानीय जजों ने स्वीकार कर लिया है. ये भी पीपली लाइव, पार्ट-2 का एक्सटेंशन है. क्या आपको पता है कि सुप्रीम कोर्ट में रेप, हत्या, लूटपाट, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराधों के कितने मामले पेंडिंग पड़े हैं. इन पर सुनवाई के लिए कोर्ट के पास समय नहीं है. लंबी वेटिंग लिस्ट है. मामले ज्यादा हैं, जज कम.
लेकिन महाखजाने की महाखुदाई पर सुप्रीम कोर्ट भी फिदा है. ना जाने कितनी जनहित याचिकाएं हमारा सुप्रीम कोर्ट मेरिट के आधार पर खारिज कर देता है यानी सुनवाई के लायक नहीं समझता. लेकिन लगता है इस मामले में याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के जजों को ये समझाने में 'सफल' रहे कि देश के लिए ये मामला कितना महत्वपूर्ण है. कितना जरूरी है. कितना आवश्यक है. कितना अर्जेंट है. कितना अहम है. सो कोर्ट ने अहमियत दे दी है. अपना समय दे दिया है. याचिका स्वीकार हुई.
हुर्रेर्रेर्रे….सचमुच. रंग-रंगीला अपना परजातन्तर्रर्र….जय हो. अब कोर्ट का कीमती समय इस बात में लगेगा कि सपना सच है या नहीं. वहां सोना है या नहीं. खजाना है कि नहीं…फिर कोर्ट तय करेगा कि अगर खजाना है तो इसकी कैसी और कितनी बड़ी निगरानी हो…ये बात मैं अपने मन से नहीं कह रहा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार की है, तो इन मुद्दों पर बहस लाजिमी है कोर्ट में.लेखक नदीम एस. अख्तर युवा और तेजतर्रार पत्रकार हैं. कई अखबारों और न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं. नदीम से संपर्क 085 05 843431 के जरिए किया जा सकता है.
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