सिगरेट तथा सभी प्रकार के तम्बाकू पदार्थों के निर्माण, बिक्री, आयात आदि पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाए जाने हेतु आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पीआईएल दायर किया गया है।
याचिका के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित तमाम अन्य अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों द्वारा यह बात पूरी तरह प्रमाणित हो गयी है कि इन पदार्थों से कैंसर तथा अन्य गंभीर बीमारियाँ होती हैं और औसत आयु 10-12 वर्ष तक घट जाने की सम्भावना रहती है।
भारत सरकार ने इन तथ्यों को स्वीकार करते हुए सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध तथा व्यापर तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय तथा वितरण का विनियमन) अधनियम, 2003 बनाया जिसकी धारा 4 में सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान तथा धारा 5 (1) में इन उत्पादों का विज्ञापन पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया।
श्री अमिताभ तथा डॉ. ठाकुर के अनुसार जब सरकार इन उत्पादों के गंभीर हानिपरक प्रभावों को जानती है और सभी उत्पादों पर “तम्बाकू जानलेवा है” और “तम्बाकू मारता है” जैसी चेतावनी लिखने को कहती है तो जाहिर है कि उसे अपने नागरिकों को इस प्रकार का जानलेवा पदार्थ बेचने की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है।
अतः उन्होंने इन पदार्थों को भी नारकोटिक ड्रग्स की तरह ही पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग की है।