ऐसा लगता है जैसे सभी मीडिया मालिकों ने तय कर लिया है कि सब अपने अपने यहां भारी मात्रा में स्टाफ निकाल बाहर करेंगे, वह भी बिना किसी चेतावनी और बिना किसी नोटिस और बिना किसी भुगतान के. टाइम्स आफ इंडिया ने एसेंट बंद किया और कई लोगों को सड़क पर आना पड़ा. आउटलुक ग्रुप ने तीन मैग्जीनें बंद कर दी और सैकड़ों को निकाल बाहर किया. अब ताजी सूचना पायनियर दिल्ली से आ रही है.
बताया जाता है कि यहां करीब 35 पत्रकारों की छंटनी की गई है. इसके पीछे कारण कास्ट कटिंग बताया जा रहा है. छंटनी के शिकार लोगों में असिस्टेंट एडिटर लेवल के भी लोग हैं. प्रबंधन इस बारे में चुप्पी साधे हैं और छंटनी के शिकार लोग भी कुछ नहीं बोल रहे. आउटलुक ग्रुप के छंटनी के शिकार मुंबई वाले कर्मचारी तो तुरंत लेबर कोर्ट गए और स्टे लाकर आउटलुक मैनेजमेंट के मुंह पर करारा तमाचा मारा, लेकिन लगता है दिल्ली वाले लड़ने के बजाय चुप रहना ज्यादा बेहतर मानते हैं. शर्मनाक ये है कि दिल्ली में दर्जन भर से ज्यादा सक्रिय पत्रकार संगठन होंगे लेकिन सभी छंटनी आदि के मसले पर चुप्पी साधे रहते हैं. ऐसा लगता है जैसे ये संगठन सिर्फ बकबक करने के लिए पैदा हुए हों, इनका पत्रकारों के दुख व संकट से दूर-दूर तक का कोई नाता नहीं है.
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