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सादगीपूर्ण जीवन की मिसाल ये मुख्यमंत्री

सादगी में आठवा अजूबा नहीं केजरीवाल

देश के दूसरे गांधी कहे जाने वाले अन्ना हजारे द्वारा देश कि जनता के अंदर दूसरी आजादी का जो जूनून भरा उस का लाभ लेने कि मंशा से अपना दल बनाने वाले केजरीवाल ने सत्ता में रह कर भ्रष्टाचार ख़त्म करने कि योजना बनाई है। उनकी योजना को लोगो ने हाथो हाथ लिया और लंगड़ी ही सही पर सरकार बनाने का मौका दिया है। लेकिन केजरीवाल जिस तरह से महज़ दो दिनों में जनता से किये वादों को दरकिनार किया है वो उनकी छवि बताने के लिए पर्याप्त है। वे राजनीती में क्यों आये है दिखाने लगा है। राजनीती में आकर सादगी से जीवन जीने वाले केजरीवाल आठवां अजूबा नहीं है। राजनीति में इनसे बहुत सीनियर और मुख्यमंत्री भी है जिनके पास रहने के  के नाम पर महज दो कमरे के घर है जिसमे रहते हुए वो एक बार नहीं तीन-तीन बार से सत्ता में है और जनता कि सेवा पैदल चलकर कर रहे है। पेश है इन महान नेताओ सादगी जो केजरीवाल कि नक़ल नहीं है:

सादगी में आठवा अजूबा नहीं केजरीवाल

देश के दूसरे गांधी कहे जाने वाले अन्ना हजारे द्वारा देश कि जनता के अंदर दूसरी आजादी का जो जूनून भरा उस का लाभ लेने कि मंशा से अपना दल बनाने वाले केजरीवाल ने सत्ता में रह कर भ्रष्टाचार ख़त्म करने कि योजना बनाई है। उनकी योजना को लोगो ने हाथो हाथ लिया और लंगड़ी ही सही पर सरकार बनाने का मौका दिया है। लेकिन केजरीवाल जिस तरह से महज़ दो दिनों में जनता से किये वादों को दरकिनार किया है वो उनकी छवि बताने के लिए पर्याप्त है। वे राजनीती में क्यों आये है दिखाने लगा है। राजनीती में आकर सादगी से जीवन जीने वाले केजरीवाल आठवां अजूबा नहीं है। राजनीति में इनसे बहुत सीनियर और मुख्यमंत्री भी है जिनके पास रहने के  के नाम पर महज दो कमरे के घर है जिसमे रहते हुए वो एक बार नहीं तीन-तीन बार से सत्ता में है और जनता कि सेवा पैदल चलकर कर रहे है। पेश है इन महान नेताओ सादगी जो केजरीवाल कि नक़ल नहीं है:

देश के  गरीब मुख्यमंत्री मानिक सरकार

देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री कहे जाने वाले त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार दो कमरों के छोटे से मकान में रहते हैं। 1998 से लगातार चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने सरकार को तो देश के बाकी नेताओं की तरह अकूत संपत्ति और भड़काऊ जीवन शैली छू तक नहीं गई है। उनके पास महज ढाई लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है। राज्य विधानसभा चुनाव के समय दिए गए हलफनामे में उनके पास महज 1080 रुपये नकद और 9720 रुपये बैंक बैलेंस था। पार्टी की ओर से सिर्फ 5000 रुपये में खर्चा चलाने वाले और पैदल सचिवालय जाने वाले सरकार सही अर्थों में वामपंथी हैं।

पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी

पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री एन. रंगास्वामी भी सादगी की मिसाल हैं। वो आल इंडिया एनआर कांग्रेस के नेता हैं। सादगी, निष्पक्षता और पारदर्शिता उनकी पार्टी का नारा है। यही उनकी लोकप्रियता की मुख्य वजह भी है। 61 साल के रंगास्वामी अविवाहित हैं। हालांकि जायदाद के मामले में वो करोड़पति हैं लेकिन उनकी सादगी पसंद जिंदगी एक मिसाल भी है। एन रंगास्वामी निजी जिंदगी में बेहद अनुशासित शख्स माने जाते हैं। वो सुबह वक्त पर दफ्तर जाते हैं, और शाम करीब 7 बजे दफ्तर से वापस घर भी आ जाते हैं। 2011 में उन्होंने अपने पास कुल 5 करोड़ की संपत्ति होने का ऐलान किया था, जिसकी वजह उन्होंने पुड्डुचेरी में अचल संपत्ति की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को बताया था। ऐलान के मुताबिक 2006 में उनकी कृषि भूमि की कीमत 7 लाख थी, 2011 में जिसकी कीमत 3.45 करोड़ आंकी गई थी। 2006 में उनके जिस घर कीमत 15 लाख थी, 2011 में वो घर 1.32 करोड़ को हो गया। हालांकि एन रंगास्वामी सादगी से जिंदगी बिताते हैं लेकिन गाड़ियों को शौकीन जरूर हैं। उनके पास टोयटा इनोवा और होंडा सिटी कार है, इसके अलावा यामाहा की दो बाइक भी है, जिसपर वो अक्सर पुड्डुचेरी की सड़कों पर घूमते देखे जाते हैं। इस दौरान कोई भी शख्स उन्हें रोककर अपनी समस्या उन्हें बता सकता है।

एक और 'आईआईटी' सीएम: मनोहर पार्रिकर

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर साधारण रहन-सहन में यकीन रखते हैं। हाल ही में उन्हें कार्यालय जाने के लिए एक शख्स से स्कूटर पर लिफ्ट लेते देखा गया। आईआईटी मुंबई से स्नातक पार्रिकर के कार्यकाल में बड़े-बडे़ अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने पर बख्शे नहीं जाते हैं। जनता से अपनी ई मेल आईडी के जरिये खुद संवाद करने वाले पार्रिकर के पास न तो लालबत्ती की गाड़ियों की लंबी कतारें हैं और न ही वीवीआईपी सुरक्षा की तामझाम। वह मीडिया और कैमरों की नजर से दूर ही रहना पसंद करते हैं।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

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सूती साड़ी, पैरों में हवाई चप्पल, कंधे पर कपड़े का थैला और चेहरे पर आम आदमी जैसे संघर्ष के भाव कुल मिलाकर यही पहचान है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की। 34 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज वाम मोर्चे की सरकार को 2011 में हटाकर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने वाली ममता अपनी राजनीति की वजह से कद्दावर नेताओं की जमात में आगे खड़ी हैं। फैसले लेने में विरोधी उन्हें तानाशाह भले ही कहते हों, मगर उनकी ईमानदारी बाकी नेताओं के लिए एक मिसाल भी है।

 

लेखक संजय चौहान से संपर्क उनके ईमेल [email protected] पर किया जा सकता है।

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