देश के 18 प्रमुख समाचार पत्र प्रकाशकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर पिछले सप्ताह जारी किए गए इंडियन रीडरशिप सर्वे 2013(आईआरएस) के नताजो की भर्त्सना की है। प्रकाशकों का कहना है कि सर्वे का नतीजों में चौंकाने वाली ग़ल्तियां हैं। इन 18 प्रकाशकों में शामिल हैं: द टाइम्स ऑफ इंडिया, जागरण, भास्कर, इंडिया टुडे, आनंद बाज़ार पत्रिका, लोकमत, आउटलुक, डीएनए, साक्षी, द हिन्दू, द ट्रिब्यून, अमर उजाला, बर्तमान पत्रिका, आज समाज, मिड डे, द स्टेट्समैन, नई दुनिया और दिनकरन।
प्रकाशकों ने कहा ये सर्वे लम्बे समय से प्रचलित और ऑडिट किए हुए प्रसार आंकड़ों के विपरीत है। उन्होनें कहा कि सर्वे में गल्तियों की भरमार है लेकिन वे कुछ की तरफ ही ध्यान आकर्षित करा रहे हैं। सभी राज्यों की रीडरशिप आंकड़ों में भारी उलट-फेर हुआ है। जहां पंजाब नें पिछले एक साल में अपने एक-तिहाई पाठक खो दिए वहीं हरियाणा में 17 फीसदी पाठकों की बढ़ोत्तरी हुई है। आंध्र प्रदेश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों के प्रसार और पाठक संख्या में 30 से 65 फीसदी की कमी आई है।
इसी तरह शहरों के स्तर पर भी असमानता देखी जा सकती है। मुंबई में अंग्रेज़ी पाठकों की संख्या 20.3 फीसदी बढ़ी है, वहीं दिल्ली में(जो कि हर मापदण्ड पर तेजी से बढ़ता हुआ शहर है) पाठकों की संख्या 19.5 फीसदी कम हुई है। नागपुर का प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र हितवाद जिसकी प्रमाणिक प्रसार संख्या 60,000 है, इस सर्वे से अनुसार उसका अब कोई पाठक ही नहीं है। इसी प्रकार हिन्दू बिज़नेस लाइन के, मणिपुर में चेन्नई के मुकाबले तीन गुना अधिक पाठक हैं।
प्रकाशकों ने सभी विज्ञापनदाताओं और मीडिया ऐजेन्सीज़ से सर्वे के नतीजों पर भरोसा न करने की अपील की। उन्होने सर्वे करने वाली संस्थाओं आरएससीआई और एसआरयूसी से तुरन्त अपने सर्वे को वापस लेने के लिए कहा। प्रकाशकों ने भविष्य में ऐसे सर्वों पर रोक लगाने की अपील की, यदि ऐसे सर्वे करना जारी रहा तो स्थापित समाचार पत्रों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा।