Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

प्रिंट-टीवी...

पंजाब केसरी मांगे असम में मुफ्त पत्रकार, सिकुड़ रहा नार्थ-ईस्ट एडिशन

पिछले दिनों पटना में एक होर्डिंग देखा था, जो बता रहा था कि सबसे महंगा अखबार यहीं यानी बिहार में मिलता है। बाद में गुवाहाटी आया तो पता चला कि 12 पेज का एक अखबार सात रुपय में उसमें भी अखबारों में सैलून खुलने की खबर और फलां के माताजी या पिता जी के स्वर्गवास का विज्ञापन और फिर नेशनल पेज पर दो दिन पुरानी खबर।
पिछले दिनों पटना में एक होर्डिंग देखा था, जो बता रहा था कि सबसे महंगा अखबार यहीं यानी बिहार में मिलता है। बाद में गुवाहाटी आया तो पता चला कि 12 पेज का एक अखबार सात रुपय में उसमें भी अखबारों में सैलून खुलने की खबर और फलां के माताजी या पिता जी के स्वर्गवास का विज्ञापन और फिर नेशनल पेज पर दो दिन पुरानी खबर।
देखने से लगा कि 7 रुपए का अखबार नहीं बल्कि डमी हो। फिर अपने पत्रकार भाईयों से पूछना शुरू किया कि सबसे महंगा अखबार कहां मिलता है। कुल मिला कर जो जानकारी मिली उसे पता चला कि विश्व का सबसे बड़ा महंगा अखबार  गुवाहाटी का हिन्दी अखबार है। जिसे अखबार की जगह अखबार का कबाड़ कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 
सोचा कि महंगे अखबारों में शायद कर्मचारियों का वेतन ज्यादा हो। लेकिन ऐसा नहीं है। एक बुजुर्ग पत्रकार ने बताया कि पत्रकारों का पेट चलाना मुश्किल होता है। एक पुराने मित्र हैं वे कभी सेंटिनल हिंदी में काम करते थे। शायद यहां का यह पहला हिंदी अखबार है। मुकेश कुमार इसके कभी संपदाक होते थे। इस अखबार के तो क्या कहने। एक सैलून में इस अखबार को पड़ा देखा। वो पीछे का पन्ना बड़े गौर से देख रहा था। पीछे के पेज में अभिनेत्रियों का खुले बदन वाली तस्वीर छपती हैं। सैलून वाले से मैंने पूछा कि अखबार में क्या लिखा है? उसने तपाक से कहा कि सर! हमको पढ़ने कहां आता है। ई तो ग्राहक सब के लिए लेते हैं। हम त समझिए ई फटू सब देख लेते हैं, बस।
 
यहां से चार हिंदी अखबार निकलता है। शुरू में नाम कमाने वाला सेंटिनल खराब स्थिति में है। किसी तरह से निकल रहा है। मुश्किल से दो -तीन आदमी कट -पेस्ट करके निकाल लेते हैं। दूसरे अखबारों की स्थिति भी अच्छी नहीं है, न्यूज के मामले में। हालांकि पन्नों में विज्ञापन चौंकाने वाला हैं। अहिन्दी क्षेत्र में हिन्दी अखबार में इतना विज्ञापन। मैने कुछ लोगों से पूछा कि साहब इतना विज्ञापन कैसे मिलता है तो लोगों का कहना था कि हिन्दी अखबारों के लिए विज्ञापन की कमी नहीं है। आधे साल का खर्च तो स्वर्गवासी लोगों का विज्ञापन छापने से निकल जाता है। 
फिर अगले दिन मैने अपने होटल में अखबार ले कर आने वाले हाकर से पूछा कि राष्ट्रीय अखबारों में कौन सब है? तो उसने बताया कि साहब! जागरण का आना बंद हो गया, हिन्दुस्तान, नवभारत तो कब के बंद हो गया। बस पंजाब केसरी और जनसत्ता आता है। उसने मुझे पंजाब केसरी का एक पुराना अंक दिया। गुवाहाटी में पहुंच कर इसका दाम 10 रुपया हो जाता है। बावजूद इसके यह पेपर यहां खूब बिकता है।  एक दिन बाद पहुंचने वाले इस पेपर के ऊपर में नार्थ-ईस्ट एडिशन लिखा देख मैं चौंका। फिर बीच के पन्नों पर देखा नार्थ- केसरी के लिए एजैंट और संवाददाताओं की वैकेंसी। फिर अपने कई मित्रों को फोन लगाया और इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीने से पंजाब केसरी यह विज्ञापन दे रहा है। शुरू में नार्थ-ईस्ट के लिए एक पेज खबर होती थी। लेकिन धीरे-धीरे सिकुड़ता जा रहा है। यानी पूरे पेज में एजेंसी की एक आध -खबर के बाद खेल की खबरें।
मैने उनसे पूछा कि आखिर राष्ट्रीय अखबार में यहां से कोई आवेदन क्यों नहीं दे रहा है तो उन्होंने बताया कि कई लोगों ने शुरूआत में न्यूज भेजना शुरू  किया था। लेकिन दो से तीन महीने तक प्रबंधन की ओर से कुछ न मिलने के बाद लोगों ने लिखना छोड़ दिया। शायद पंजाब केसरी चाहता है कि कार्ड का तमगा लेकर संवाददाता अपने भी कमाए और अखबार को भी दे।
हालांकि मुझे बहुत कुछ समझ नही आया। सोचता रह गया  कि आखिर पंजाब केसरी की मंशा क्या है? पेज सिकुड़ता क्यों चला गया? हालांकि गुवाहाटी से निकलने वाले अखबार बता रहा है कि यहां राष्ट्रीय अखबारों की शख्त जरूरत है। अच्छे अखबारों के लिए माता कामाख्या की भूमि उर्वर है। यहां के अंग्रेजी अखबार देश का पहला ऐसा अखबार है जिसने  अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेतन आयोग दे रहा है। हिन्दी अखबारों को साल का 7 से 8 करोड़ का सिर्फ निजी क्षेत्र से विज्ञापन मिल रहा है। असमिया, अंग्रेजी व हिन्दी को मिला कर 25 से ज्यादा अखबार है और असम सहित समूचे पूर्वोत्तर के राज्य में उद्योग धंधे बढ़ रहे हैं। खासकर रियल स्टेट से विज्ञापन खूब आ रहा है।
 
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. 
 
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement