मीडिया एक कीचड़ बन चुका है और इस कीचड़ के हम्माम में सब नंगे हैं. पुण्य प्रसून बाजपेयी और अरविंद केजरीवाल की कथित सेटिंग की खबर पर कई चैनल पिले पड़े हैं. ये साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि एक पत्रकार ने "आप" के लिये सारी पत्रकार बिरादरी की इज़्ज़त उतरवा दी… साथ ही ये भी कि किस तरह से सैटिंग के जरिये नेताओ की आवाज़ जनता तक पहुँचाई जाती है.
इन्हीं चैनलों में से एक चैनल के संपादक साहब के बारे में बताता हूं. वो कभी एक चैनल में "सहारा" पाये हुए थे और उसके ब्यूरो चीफ़ हुआ करते थे. मैं उनकी टीम में बतौर संवाददाता था. मुझे हरियाणा चुनाव कवर करने के लिये भेजा गया. वहां मैंने "भजन लाल, बंसी लाल, देवीलाल" के उत्तराधिकारियों पर "लालो के लाल" नाम से प्रोग्राम बनाया जिसमें बताया कि अजय चौटाला (देवीलाल का पोता), कुलदीप बिश्नोई (भजनलाल का बेटा) और सुरेंद्र सिंह (बंसीलाल का बेटा) में से सबसे कमज़ोर सुरेंद्र सिंह हैं.
उस खबर के बाद मेरे ब्यूरो चीफ़ साहब ऐसा बिलबिलाये कि मुझे सुरेंद्र सिंह के पास भिवानी माफ़ी मांगने भेज दिया और माफी न मांगने की सूरत में नतीजे भुगतने के लिये तैयार रहने को कहा. हम भी पहुँच गये भिवानी. अलबत्ता माफ़ी तो नहीं मांगी लेकिन सुरेंद्र सिंह से सरेआम बीच बाज़ार में जलील होकर जरूर आया. अपने साथ लेकर आया अपने ही ब्यूरो "चीप" की सैटिंग गैटिंग का कच्चा चिठ्ठा.
तो इसलिये, "संपादक" साहब हो हल्ला मचाने से पहले अपनी गिरेबान में ज़रुर झांक लें. एक उंगली प्रसून की तरफ़ हैं तो बाकि उंगलियां आपकी अपनी तरफ हैं….दूध के धुले ना बनें…
वरिष्ठ पत्रकार रजत अमरनाथ के फेसबुक वॉल से साभार।