शुक्रवार कि सुबह-सुबह रायपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों का भारी हुजूम देखकर मुझे आश्चर्य हुआ, कि जो पत्रकार अपने आपको सबसे व्यस्त बतलाते हुए थकता नहीं है वो इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहा है। जब मैंनें उसी तरह के अन्य अपवाद किस्म के पत्रकारों को टोली बना कर प्रेस क्लब के बाहर घूमते देखा तो मुझे पूरी तरह से यकीन हो गया कि हो न हो फिर इन लोगों को अध्यक्ष महोदय और कार्यकारणी के सदस्यों द्वारा लॉलीपॉप थमाने की कोशिश कि गई है। मैंने पूरा माजरा समझने के लिए पास के ही पान की दूकान की ओर अपना रुख किया। वहाँ खड़े हमारे एक पत्रकार साथी ने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा क्या बात है आपको भी आज चाभी मिलने वाली है क्या?………ये वाक्य सुनते ही मैंने उनसे पूछा ……किस चीज की चाभी…..? तो उन्होंने कहा …….अरे आप को नहीं मालुम? आज मुख्यमंत्री पत्रकारों को चाभी देने वाले हैं। नई राजधानी में, जो पत्रकारों के लिए मकान बने हैं उसकी चाभी दी जायेगी ……..इतना सुनते ही मुझे पूरा खेल समझ में आ गया ……मैंने उनसे कहा की भाई साहब पहले जमीन तो अलॉट हो जाने दो तभी तो उसमें मकान बनेगा। तभी तो उसकी चाभी आपको और अन्य पत्रकारो को प्रदान की जायेगी …..तो उन्होंने कहा ……नहीं यार सब बन चुका है। लगता है आप उस तरफ गए नहीं हो।
मैंने उनसे पूछा कब आ रहे है मुख्यमंत्री …….उन्होंने कहा ……..साढ़े दस बजे का समय दिया गया है …….मैंने कहा अभी पंद्रह मिनट और बचे है…….इसके बाद सबको मिलेगा…..बाबा जी का ठुल्लु ………….आप सब को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में भीड़ बढ़ाने के लिए बुलाया गया है ……यहाँ कुछ नहीं मिलने वाला। मैं अपने ऑफिस में आप लोगो के मुर्ख बनकर आने का इंतज़ार करूँगा ….इतना कहकर मैं वहाँ से निकल गया ……लगभग ग्यारह बजकर पांच मिनट पर मेरे पास चार पत्रकार पहुंचे ….तो मैंने ताना मरते हुए उनसे पूछा क्यों भाई जी कौनसे फलोर में मिला मकान ….उन्होंने बड़ी ही बेरुखी से खीजते हुए जवाब दिया …….बाबा जी का ठुल्लु पकड़ा दिया गया है हम लोगो को ……..मुझे इतनी बात सुनते ही हंसी आ गई और मैंने कहा …..अगर इतना ही भरोसा है आपको अपने अध्यक्ष के ऊपर तो उसे दुबारा प्रेस क्लब का चुनाव करवाने के लिए क्यों नहीं कहते ….दो ढाई सालो से कुर्सी में फेविकोल लगा कर बैठ गया है ……नेता मंत्री की तरह इनसे भी कुर्सी का मोह नहीं छूट रहा है क्या?
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