सैफई। प्रदेश की समाजवादी सरकार के पसंदीदा कार्यक्रम सैफई महोत्सव का समापन रंगारंग तरीके से हुआ। बॉलीवुड के दबंग सलमान और डेढ़ इश्किया की बेगम पारा यानि माधुरी के ठुमकों ने सैफई का पारा चढ़ा दिया | इन दोनों का साथ दिया गलियों की रास-लीला वाले राम ने| इन फ़िल्मी कलाकारों के ठुमकों का मज़ा लेने के लिये सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ, प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनका पूरा कुनबा मौजूद था। महोत्सव में चमकती लाईटों और तेज़ संगीत के शोर में माधुरी अपने घाघरे को आगरे पहुंचा रही थीं। सलमान खान बीइंग ह्यूमन की टी शर्ट में अपनी दबंगई दिखा रहे थे। वहीं इस तड़क-भड़क से करीब 200 किलोमीटर की दूर मुजफ्फरनगर और शामली के राहत शिविरों के टेंट में कुछ ज़िंदगियाँ अपने जीवन को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही थी।
8 दिसंबर को महोत्सव का आखरी दिन था वहीं मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के लिये इस जाड़े की सबसे ठंडी रात। पारा माइनस में जाने को बेक़रार था लेकिन जेठ की गर्मी सैफई में उतरने को तैयार बैठी थी| आज बॉलीवुड के चमकते सितारे मुलायम सिंह यादव की जन्म स्थली में उतरने वाले थे। मुम्बई से इन सितारों को लेकर उड़े 7 चार्टर्ड विमान सैफई की हवाई पट्टी पर जब उतरे तो नेताओं और सपाइयों के गले से मफलर और दुशाले अपने आप उतर गए। अब इसे मुम्बइया सितारों के जलवों की गर्मी कहा जाये या पांडाल को गर्म रखने को किये गए के विश्व स्तरीय इंतज़ाम को जिनमें जनता के वोटो से चुने गये प्रतिनिधि विराजमान थे। सलमान आये और हुड़ दबंग दबंग पर ऐसे नाचे कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और कन्नौज की सांसद अपने भावनाओं पर काबू न रख सकी और हलके-हलके सुरूर में झूमने लगी।
27 अगस्त को मुजफ्फरनगर के कवाल कसबे से उठी दंगो की आग अभी भी सियासत और राहत शिविरों के साथ मीडिया में तैर रही है। कुछ दिनों पहले तक राहत शिविरों से बच्चो के मरने की खबरें आती रहती थी। सरकार और अधिकारी इन ख़बरों के खंडन में जुटे रहते थे। बीते कुछ दिनों से सर्दी के सितम और सरकार के सैफई महोत्सव में व्यस्त हो जाने से इन ख़बरों में आग में घी का काम किया। समय के साथ मुजफ्फरनगर दंगो की चिंगारी जो कहीं दब गई थी फिर से धीरे-धीरे सुलगने लगी। आग भभकी सैफई महोत्सव में हो रहे रंगारंग कार्यक्रमों और उन कार्यकर्मो में शिरकत कर रहे नेताओं की मौजूदगी को लेकर। सपा के बड़े से छोटे नेता की गाड़ियों का रुख सैफई की तरफ घूम गया| सैफई की तरफ जाती गाड़ियों के रोकने का दुस्साहस कुछ टोल प्लाज़ा वालों ने किया तो उनको उनकी औकात बताने में भी सपाई पीछे नहीं रहे। मुजफ्फरनगर काण्ड को करीब 5 महीने बीत गये हैं, इस दौरान प्रदेश सरकार के मुखिया सिर्फ एक बार मुजफ्फरनगर के आधिकारिक दौरे पर गये| वहीँ, समाजवाद की नई परिभाषा गढ़ने वाले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तो दंगा पीड़ितों की तरफ नज़रें भी नहीं डालीं।
सैफई महोत्सव की तैयारियों के लिए प्रदेश सरकार के मुखिया अखिलेश यादव वहां 51 बार गये, तो उनके चाचा और सरकार में नंबर तीन की हैसियत वाले शिवपाल यादव ने 46 बार सैफई में अपनी आमद दर्ज कराई। लेकिन इन नेताओं के पास मुजफ्फरनगर पीड़ितों का हाल जानने का समय नहीं था। मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों को प्रदेश सरकार के मुखिया और जिम्मेदार मंत्रियों ने उनको अपने हाल पर छोड़ दिया। आज देश और प्रदेश की सियासत में मुजफ्फरनगर दंगो को लेकर तरह तरह की बातें चल रही है, लेकिन प्रदेश की सपा सरकार के मुखिया अपने गांव में बॉलीवुड सितारों को नचाने में मस्त है। सैफई महोत्सव के आयोजन पर करीब 250 करोड़ रुपयें खर्च का अनुमान लगाया जा रहा है जो जनता से वसूले टैक्स के पैसे से ही खर्च हुआ होगा। सैफई महोत्सव उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग में दर्ज न होने के बावजूद प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है। इस महोत्सव की छठा प्रदेश में सपा सरकार के काबिज रहने के दौरान ही दिखती है।
प्रदेश में लगने वाले आयुर्वेद झाँसी महोत्सव, वाराणसी में लगने वाले गंगा महोत्सव, लखनऊ में लगने वाले लखनऊ महोत्सव, सारनाथ और कुशीनगर में लगने वाले बुद्ध महोत्सव, वाराणसी और इलाहाबाद में लगने वाले वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल के साथ आगरा में लगने वाले ताज़ महोत्सव की जानकारी कितने प्रदेशवासियों को होती है। लेकिन सैफई महोत्सव की धूम और प्रशासनिक धमक के साथ बड़े पुलिस अधिकारियों के बूटों की आवाज भी सुनाई पड़ती है। कहते हैं जहां सरकार बैठती है वहीँ प्रशासनिक अमला भी बैठता है| यही हुआ इस बार के सैफई महोत्सव में| सरकार बीते 14 दिनों से सैफई में गिरी रही| कलाकार और स्टार आते रहे ठुमके लगाते रहे| अधिकारी नेताओं के पैर में पड़े रहे और पूरा प्रदेश अपने हाल पर आंसू बहाता रहा।
हमने संवेदनहीन हो चुके नेताओं के कानों तक मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों की कराह पहुंचाने से अच्छा उस सलमान खान तक अपनी आवाज पहुंचाने की कोशीश की जो नर्म दिल हैं और अपने स्वयं सहायता समूह बीइंग ह्यूमन के माध्यम से गरीबो की मदद में आगे रहते है। सलमान खान शायद उन गरीबों की आवाज उन नेताओं के कानों तक पहुंचा दें जिन्होंने इस कड़कती ठण्ड में अपने कान मफलर और काबुली टोपियों से बंद कर लिए है।
लेखक से संपर्क [email protected] पर किया जा सकता है।