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बेटे को मरता नहीं देख सकते मां-बाप, परिवार ने की इच्छामृत्यु की मांग

सीहोर, मध्य प्रदेश। शासन की तमाम स्वास्थ्य योजनाएं एक मासूम का इलाज नही करवा पा रही है। मजबूर माता-पिता को अपने बच्चे के इलाज के लिए मदद मांगनी पड़ रही है। लेकिन बीमारी का इलाज इतना मंहगा है कि अब लोगों की मदद भी कम पड़ रही है। मदद के सभी दरवाजे बंद देख, बेहद मजबूर औऱ निराश माता-पिता ने अपने परिवार सहित अपनी जीवनलीला समाप्त करने का मन बना लिय़ा है। मासूम की मां ने 22 फरवरी को परिवार सहित आत्मदाह करने के लिए आवेदन जिला-कलेक्टर को दिया है।

सीहोर, मध्य प्रदेश। शासन की तमाम स्वास्थ्य योजनाएं एक मासूम का इलाज नही करवा पा रही है। मजबूर माता-पिता को अपने बच्चे के इलाज के लिए मदद मांगनी पड़ रही है। लेकिन बीमारी का इलाज इतना मंहगा है कि अब लोगों की मदद भी कम पड़ रही है। मदद के सभी दरवाजे बंद देख, बेहद मजबूर औऱ निराश माता-पिता ने अपने परिवार सहित अपनी जीवनलीला समाप्त करने का मन बना लिय़ा है। मासूम की मां ने 22 फरवरी को परिवार सहित आत्मदाह करने के लिए आवेदन जिला-कलेक्टर को दिया है।

                                        अपने माता-पिता और बहन के साथ विष्णु
अपने बड़े बेटे को खो चुके, हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी जयप्रकाश शर्मा का सात वर्षीय बेटा विष्णु प्रायमरी इंमोडेन्सरी सिंड्रोम नामक बीमारी से जन्म से पीड़ित है। इस बीमारी में व्यक्ति के शरीर में सफेद रक्त कणिकाएं बनना बंद हो जाती हैं। उन्होनें बताया कि अब तक विष्णु के इलाज के लिए वह अपनी जमीन, घर और पत्नी के गहने व अन्य कीमती सामान बेच चुके हैं। विष्णु का बड़ा भाई जो इसी बीमारी से पीडित था, इलाज न मिलने के कारण इस दुनिया से चला गया। पीड़ित विष्णु के पिता जयप्रकाश शर्मा ने बताया कि बेटे के उपचार के लिए हर महीने 30 हजार रूपए के इंजेक्शन लगते हैं। उन्होनें बताया कि भोपाल के कुछ समाजसेवियों ने मदद कर कुछ महीनों के लिए इंजेक्शनों का इंतजाम करवा दिया था। लेकिन अब आगे के इलाज के लिए उनके पास कुछ भी नहीं बचा है।

पीड़ित विष्णु के पिता ने बताया बेटे के इलाज के लिए उन्हें महीने में एक बार चंडीगढ़ जाना पड़ता है। प्रायमरी इंमोडेन्सरी सिंड्रोम बीमारी के स्थायी इलाज में 25 लाख रुपए का खर्च आता है। इतनी राशि परिवार के लिए जुटाना मुमकिन नहीं है। विष्णु की बीमारी का स्थायी इलाज होने में अभी सात साल का लंबा इंतजार करना होगा। इस बीमारी से निजात एक आपरेशन के बाद ही संभव है और यह आपरेशन 14 साल या उससे अधिक की उम्र में ही किया जा सकता है। विष्णु की उम्र अभी सात साल है। विष्णु को अभी सात साल और  इंजेक्शनों के सहारे रहना होगा लेकिन अब परिवार के पास इंजेक्शन खरीदने के पैसे नहीं हैं। विडबना यह है कि जैसे—जैसे विष्णु की उम्र बढ़ेगी, इंजेक्शन का डोज़ भी बढ़ता जाएगा। आगामी सालों में प्रतिमाह एक लाख रुपए इंजेक्शन का खर्च आएगा। मंहगे इलाज के चलते परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। ऐसे में विष्णु का जीवन बचाना मां बाप के लिए असंभव हो गया है। वे अपने बेटे को तिल—तिल कर मरता हुआ नहीं देखना चाहते, इसलिए उन्होंने पूरे परिवार के साथ इच्छामत्यु की मांग की है।  

पीड़ित परिवार ने राज्य सरकार से भी मदद की गुहार की है। जिलाधिकारी ने बताया उनके पास पीड़ित परिवार का आवेदन आया था। इस आवेदन की जांच एसडीएम को सौंपी गई थी। एसडीएम की जांच के बाद शासन स्तर से पीड़ित परिवार को हर संभव मदद मुहैया कराने के प्रयास किए जाएंगे।

 

लेखक आमिर खान सीहोर(मध्य प्रदेश) के पत्रकार है।

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