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आवाजाही, कानाफूसी...

फेसबुक और ब्लॉग कितनी सफाई कर पाएंगे.. साफ-साफ क्यों नहीं गरियाया..?

सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया की गिरफ्तारी को ज़ी न्यूज़ ने मीडिया का गला घोंटने वाला बताया और रात दस बजे पुण्य प्रसून बाजपेयी हाथ मलते हुए गला फाड़ चिल्लाते हुए हाय-तौबा मचाने लगे.. 

आज की तुलना एमरजेंसी के दिनों से करने लगे.. कई दिग्गजों के फोनो भी लिए गये। क़मर वहीद नक़वी, राहुल देव, एनके सिंह.. आदि-आदि.. ज्यादातर लोगों ने इन गिरफ्तारियों को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया।

सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया की गिरफ्तारी को ज़ी न्यूज़ ने मीडिया का गला घोंटने वाला बताया और रात दस बजे पुण्य प्रसून बाजपेयी हाथ मलते हुए गला फाड़ चिल्लाते हुए हाय-तौबा मचाने लगे.. 

आज की तुलना एमरजेंसी के दिनों से करने लगे.. कई दिग्गजों के फोनो भी लिए गये। क़मर वहीद नक़वी, राहुल देव, एनके सिंह.. आदि-आदि.. ज्यादातर लोगों ने इन गिरफ्तारियों को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया।
 
बस, मानो यहीं से पुण्य प्रसून को आत्मबल मिल गया। कहने लगे सब इसे दुर्भाग्यपूर्ण ठहरा रहे हैं.. नैतिक समर्थन दे रहे हैं… पत्रकारों पर हमला मान रहे हैं.. और भी न जाने क्या-क्या.. 
 
जब नक़वी जी और राहुल देव से पूछा गया कि वो कुछ ही दिनों पहले इसी मसले पर हुए एक सेमिनार में दिए अपने उस बयान से कैसे पलट गये जिसमें ज़ी न्यूज़ के संपादकों को गलत ठहराया था.. तो उन्होंने फौरन अपना फेसबुक पर सफाई दी… स्टेटस अपडेट डाला.. "हमने कभी सुधीर-समीर की तरफ़दारी नहीं की… वो हमारे बयान तोड़े-मरोड़े गये थे.."
 
अब सवाल ये उठता है कि इन दिग्गजों ने ऐसे राजनेताओं की तरह के बयान दिये ही क्यों थे जिन्हें तोड़ा-मरोड़ा जा सके..? सीधा-साफ कहते, "भइया, तुम्हारे संपादकों ने जो ब्लैकमेलिंग की कोशिश की थी, हम उसकी निंदा करते हैं.." या फिर अपनी स्थिति फोनो पर पैच किये जाने से पहले ही स्पष्ट कर देते तो शायद उनका फोनो शामिल ही नहीं किया जाता। 
 
आम आदमी तो चोर को मुंह पर चोर नहीं कह पाता, लेकिन पत्रकार, खासकर वरिष्ठ पत्रकारों से साफगोई की उम्मीद की जाती है। ऐसे में सामने वाले से अपने संबंधों के नाते चुप रह जाना न सिर्फ समाज को गलत संदेश देता है, बल्कि अपनी उस छवि के लिए भी नुक़सानदेह होता है जो उन्होंने बरसों मेहनत करके बनायी है।
 
वैसे ये दिग्गज तो बड़े हैं.. नामचीन हैं.. और अनुभवी भी.. हम उन्हें भला क्या सीख देंगे..? लेकिन बात सोच-समझ कर बोलने की है.. अगर उसी में चूकेंगे तो फेसबुक और ब्लॉग कितनी सफाई कर पाएंगे..?
 
Comments:
 
Qamar Waheed Naqvi: धीरज जी, बेहतर होता कि आप मेरा फ़ोनो सुनने के बाद कुछ कहते.
 
Yogesh Garg: जी न्यूज के सम्पादक दोषी भले ही हो लेकिन कोल स्केम में नवीन जीन्दल का बच निकलना अधिक दुर्भाग्य पूर्ण है।
 
Dhiraj Bhardwaj: सर क्षमा करें अगर मैंने कुछ गलत कह दिया हो तो.. पुष्कर जी की वेबसाइट मीडियाखबर.कॉम पर और आपकी वॉल पर देखने से ऐसा महसूस हुआ कि पुण्य प्रसून को आपके बयान को तोड़ने-मरोड़ने का मौका मिल गया..
 
Deepak Singh: agree with Yogesh Garg.
 
Yogesh Garg: कोल स्केम पर अब चैनल मीडिया की खामोशी ये स्पष्ट करने के लिये पर्याप्त है कि जी न्यूज मैनेज नही हो पाया या उसने ज्यादा रकम मांग ली थी । इस हमाम में सब नंगे है ।
 
Qamar Waheed Naqvi: कल रात में ही मैंने न्यूज़ 24 को भी फ़ोनो दिया था और आज दिन में लाइव इंडिया को. उनसे तो मुझे कोई शिकायत नहीं हुई. वे फ़ोनो भी सुने जा सकते हैं. मैं ख़ुद तो देख नहीं पाया, लेकिन कल रात ही किसी ने बताया था कि ज़ी सम्पादकों के इस कृत्य की राहुल जी ने काफ़ी कड़े शब्दों में भर्त्सना की थी.
 
Dhiraj Bhardwaj: हक़ीकत यही है योगेश जी.. लेकिन जमाने का दस्तूर है.. जो पकड़ा गया वही चोर है.. अगर छोटी-मोटी रकम पर मान जाते तो वहां भी कुछ नहीं दिखता..
 
Yogesh Garg: भ्रष्टाचार को बढावा देने के लिये वो नपुसंक मीडिया चैनल सबसे ज्यादा दोषी है जो कोल स्केम की खबरे दिखाने के बजाय जी न्यूज के सम्पादको की गिरफ्तारी पर ताली पीट पीट कर हंस रहे है।
 
Pushkar Pushp: धीरज जी , नकवी जी ने ज़ी न्यूज़ की तरफदारी कभी नहीं की. मैंने उनका फोनो सुना था. पुण्य प्रसून जी ने उनसे बात की थी. नकवी जी ने साफ़ शब्दों में इसे मीडिया और पत्रकारिता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था. लेकिन ज़ी न्यूज़ ने शातिराना तरीके से एकाध शब्दों को इधर – उधर करके लिख दिया कि संपादकों की गिरफ्तारी दुर्भाग्यपूर्ण . वैसे नकवी जी स्टेटमेंट यहाँ चस्पा कर दे रहा हूँ ताकि किसी तरह का शक – सुबहा खतम हो जाए. दरअसल गलती आपकी नही , ज़ी न्यूज़ की है. ज़ी न्यूज़ अपनी साख बचाने के लिए नकवी जी की साख के साथ खिलवाड कर रहा है. “My phono on arrest of Zee News Editor Sudhir Chaudhaary and Zee Buisness Editor Sameer Ahulwalia is being misreported by Zee Channels. I strongly condemned the conduct of two editors in this case and said that it is an unfortunate event for all us journalists. I also said that in my view police decided to arrest them after it has fully satisfied that a prima facie case of extortion and criminal conspiracy exists against these two journalsits. I also said since police acted after forensic investigation of the CD, there is now no doubt on the authenticity of the CD on the basisi of whichthis case stands . I was asked that police didn’t take any action against those journalists whose conversations were there in Radia tapes, I said that case was related with ethical misconduct of the journalists and I condemned the conduct of those journalists but Sudhir and Sameer’s case is of criminal misconduct. Therefore police action doesn’t seem wrong to seem wrong to me. – Q.W.Naqvi.”
 
Gh Qadir: giraftari jis vajah se huyee hai voh media k liye durbhagypoorn hai..
 
Dhiraj Bhardwaj: मैंने भी ज़ी न्यूज़ की शरारत पर ही उंगली उठाने की कोशिश की है नक़वी सर.. लेकिन आप भी ये मानेंगे कि उन्हें ये स्पेस मिल पाया इसके लिए बयानों की साफगोई में कमी ही जिम्मेदार है.. आपने फेसबुक जैसे खुले मंच पर इतना कुछ कहा, इसके लिए भी साधुवाद के हक़दार हैं.. महाभारत की लड़ाई में अश्वत्थामा के वध की घोषणा की तरह ही ये मामला पेचीदा है.. हमने कहीं आपकी नीयत पर सवाल नहीं उठाया है..
 
Satish Pancham: "दुर्भाग्यपूर्ण" शब्द कोई कायमचूर्ण तो नहीं है कि हर उम्र, वर्ग, पेशे के लिये बिंदास इस्तेमाल किया जा सके ….. अब पत्रकार धरे गये तो धरे गये….जी न्यूज वाले उसे अपने हिसाब से कायमचूर्ण की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं….हद है। रही बात मीडिया के लिये दुर्भाग्य होने की तो किस किस के दुर्भाग्यता कहा जाय……छोड़िये……की फर्क पैंदा ऐ 🙁
 
Satish Pancham : लोग यदि भूल गये हों तो याद दिला दूं कि निर्मल बाबा को बड़ा करने में न्यूज चैनल ही थे, सुबह से वह News channels पर किसी को लड्डू बांटता, किसी को समोसे खिलाता…किसी को कचौड़ी खिलाकर ठीक करता लेकिन तब यही सौभाग्यपूर्ण मीडिया मुंह बंद कर बैठा रहा….वो तो जब फेसबुक, इंटरनेट पर मोर्चा खुलना शुरू हुआ उस शख्स के खिलाफ तब जाकर मीडिया की मजबूरन आंख खुली और ऐसे बोला जैसे उसे सोते से जगाया गया हो. तब मीडिया का दुर्भाग्य नहीं था शायद….संभवत: तब सौभाग्यकाल चल रहा था।
 
Qamar Waheed Naqvi: धीरज जी, ये कुछ एसएमएस हैं, जो कल रात मुझे मिले. आप उसे नहीं सुन पाये, यह मेरा दुर्भाग्य है:
Great Phono Dada! Intni bebaki se shayd aur koi yeh batein nahi kah pata. It was real pleasure to hear you on Zee News. Rakesh
Ur statement is being run by zee news in wrong contest. It looks that ur against Sudhir and Sameer's arrest. Rakesh
Sir, aapka phono kuchh aur kah raha hai aur Zee me flash chala raha hai- sampaadko ki giraftari durbhaagyapoorn- Qamar Wahi Naqvi (Naval, Lucknow)
Dada amazing comment on Zee awesome . Regards Manish
 
Vipin Rathore: कुछ लोग इंटरनेट पर जी न्यूज़ के संपादकों की गिरफ्तारी की चर्चा करते समय यह भूल जाते हैं कि नवीन जिंदल कितने दूध के धूले हैं और देशहित में कितना काम कर रहे हैं। हिम्मत है तो जिंदल के भी राजनीति और व्यवसाय की जांच करा लो…शर्म आती है देश की मीडिया जगत की दोगलई पर..
 
Ramakant Roy: मैं कहूँगा कि जिंदल पर भी उसी तत्परता से कार्यवाई होनी चाहिए.
 
Dhiraj Bhardwaj: नक़वी सर, आपकी साफगोई का मैं भी कायल हूं, लेकिन अगर ऐसा ही था तो आपको ज़ी न्यूज़ से शिकायत क्यों है..? आपका फोनो तो रात को चला था.. आज सुबह का किस्सा सुनिये.. ज़ी न्यूज़ वालों ने भाजपा के मीडिया सैवी नेता मुख्तार अब्बास नकवी से अपने पक्ष में बयान दिलवा लिया, फिर फुल प्लेट में खबर चला दी कि "नक़वी ने कहा: एमरजेंसी जैसे हालात.." मेरे पास भी कई मित्रों के फोन आए जिन्होंने आपका फोनो पूरा सुना है.. सबने आपकी तारीफ की, लेकिन उनकी भी ये शिक़ायत रही कि अगर आप उन्हें दो टूक सुना देते तो ज़ी वालों को मनमानी व्याख्या करने का मौका नहीं मिलता.. अगर अब भी आपको इस आलेख से शिक़ायत हो तो कहें, मैं इसे वापस ले लेता हूं क्योंकि मैंने इसे आपके खिलाफ नही लिखा था..
 
Qamar Waheed Naqvi: मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं.

 
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये आलेख और प्रतिक्रियाएं उनकी फेसबुक वॉल पर हैं। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है)
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