नई दिल्ली। हिन्दुस्थान समाचार संवाद समिति के पूर्व मार्गदर्शक स्व. श्रीकांत शंकर जोशी की प्रथम पुण्यतिथि पर बुधवार को हिन्दुस्थान समाचार के केन्द्रीय कार्यालय द्वारा श्रद्धांजलि सभा तथा हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्व. जोशी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया तथा पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।
स्व. श्रीकांत शंकर जोशी
कार्यक्रम में हिन्दुस्थान समाचार के निर्देशक मंडल के सदस्य व समाज सेवी दीनदयाल अग्रवाल, अनिरुद्ध शर्मा (कार्यकारी अधिकारी, हिन्दुस्थान समाचार), चन्द्रमोहन भारद्वाज, महेश चढ्ढा, राकेश बहल, राम दास, राजेश मिश्रा, मनोज जी, शोभनाथ, दिलीप पांडेय, अभिनव श्रीवास्तव, अभिषेक श्रीवास्तव, ज्ञानशंकर त्रिपाठी, दिल्ली कार्यालय के वरिष्ठ कर्मचारी किशोरी लाल, रामराज आदि उपस्थित रहे।
श्रीकान्त शंकर जोशी का संक्षिप्त परिचय
श्रीकान्त शंकर जोशी जी का जन्म 21 दिसम्बर 1936 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले के देवरुख गांव में हुआ था। श्रीकांत जोशी अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिये मुम्बई में आये। मुम्बई विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र से स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने जीवन बीमा निगम में कार्य करना शुरु किया।
संघ परिचय
जीवन बीमा में कार्य करने के दौरान वह मुम्बई में ही संघ के प्रचारक शिवराज तेलंग के संपर्क में आये। उन्हीं की प्रेरणा से नौकरी से त्यागपत्र देकर 1960 में पूरा समय संघ कार्य को समर्पित कर प्रचारक बन गये। प्रारम्भ में प्रचारक के नाते नान्देड गये, कुछ समय महाराष्ट्र में काम करने के बाद श्री जोशी को 1963 में संघ कार्य हेतु असम भेजा गया। विषम परिस्थियों में वह निरन्तर पच्चीस साल तक वहां संगठन को गति प्रदान किया। प्रारम्भ में तेजपुर के विभाग प्रचारक फिर शिलांग के विभाग प्रचारक बने। इस दौरान श्रीजोशी 1971 से 1987 तक असम के प्रान्त प्रचारक रहे। 1987 में उन्हें तत्कालीन सरसंघचालक माननीय बाला साहेब देवरस जी के सहायक का उत्तरदायित्व दिया गया। 1997 से 2004 तक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का दायित्व संभालने के बाद उन्हें 2004 में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य बनाया गया।
हिन्दुस्थान समाचार की पुनरसंरचना
श्रीकांत जोशी के प्रयासों से 2002 में मूर्च्छित हो चुकी भारतीय भाषाओं की एक मात्र संवाद समिति हिन्दुस्थान समाचार को पुनः सक्रिय करने का उपक्रम प्रारम्भ किया गया। यह संवाद समिति 1975 के आस-पास सरकारी हस्तक्षेप के कारण बंद हो गई थी। जब जोशी जी ने इस समिति को पुनर्जीवित करने के प्रयास प्रारम्भ किये तो पत्रकारिता जगत में बहुत लोग कहते सुनें गये कि यह कार्य असम्भव है। लेकिन जोशी जी ने अपने संगठन कौशल और कार्य कुशलता से कुछ ही वर्षों में ही इस असम्भव कार्य को ही सम्भव कर दिखाया। उनके अथक परिश्रम से गत् एक दशक में इस संवाद समिति ने न केवल अपना विस्तार किया अपितु भारत सहित विदेशों में भी अपनी धाक जमाने में सफल रही। उनकी प्रेरणा से आज भारत सहित मारिशस, नेपाल, त्रिनिनाड, थाईलैण्ड सहित कई देशों में इस संवाद समिति के ब्यूरो कार्यालय सफलता पूर्वक चल रहे हैं।
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