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बढ़ रहा सोशल मीडिया का प्रभाव, सुरक्षा मानक तय करना ज़रूरी

आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया एक क्रांति के रूप में उभर कर सामने आया है। फिर चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो सोशल मीडिया ने अपनी अलग और महत्तवर्ण पहचान बना ली है। आज चाहे युवा वर्ग हो, राजनैतिक क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, तकनीकी का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो या कोई अन्य क्षेत्र हो सोशल मीडिया ने हर एक क्षेत्र में अपने को स्थापित कर लिया है। सोशल मीडिया ने मुख्य तौर पर वैचारिक क्रांति को जन्म दिया है, इस माध्यम ने अयोग्य सरकारों को अपदस्थ करने, बेहतरीन सोच विकसित करने, नव निर्माण के लिए संघर्षों और सामाजिक समझ के दायरे को विकसित किया है, इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के परे राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह बदल कर रख दिया है। आज राजनीतिक परिदृश्य और युवाओं की स्थिति को सोशल मीडिया ने एक नया रूप रंग दिया है।

आज के आधुनिक युग में सोशल मीडिया एक क्रांति के रूप में उभर कर सामने आया है। फिर चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो सोशल मीडिया ने अपनी अलग और महत्तवर्ण पहचान बना ली है। आज चाहे युवा वर्ग हो, राजनैतिक क्षेत्र हो, शिक्षा का क्षेत्र हो, तकनीकी का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो या कोई अन्य क्षेत्र हो सोशल मीडिया ने हर एक क्षेत्र में अपने को स्थापित कर लिया है। सोशल मीडिया ने मुख्य तौर पर वैचारिक क्रांति को जन्म दिया है, इस माध्यम ने अयोग्य सरकारों को अपदस्थ करने, बेहतरीन सोच विकसित करने, नव निर्माण के लिए संघर्षों और सामाजिक समझ के दायरे को विकसित किया है, इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के परे राजनीतिक परिदृश्य को भी पूरी तरह बदल कर रख दिया है। आज राजनीतिक परिदृश्य और युवाओं की स्थिति को सोशल मीडिया ने एक नया रूप रंग दिया है।

अगर सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जो इसकी पहुंच से अछूता होगा शहरों से लेकर गांवों, कस्बों, ज़िलों यहाँ तक की दूरदराज के इलाकों तक में इसकी गहरी  पैठ बन गई है। और इसका आकार निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। अगर इस माध्यम का लाभ देखें तो इसने दूरियों को काफी हद तक कम कर दिया है, यह एक दूसरे से अपनी बात कहने का एक सशक्त प्लैटफॉर्म है। ताकतवर सरकार भी इस माध्यम से उठने वाली आवाज को अनसुना नहीं कर सकता। सोशल मीडिया राजनीतिक परिवर्तन में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इस सन्दर्भ में देखें तो सबसे बड़ा उदाहरण हमें चुनावों के समय मिलता है जब सोशल मीडिया से जुडी साइटों पर लोग अपने विचार को व्यक्त करते हैं, अच्छे बुरे की पहचान के लिए लोगों का ग्रुप तैयार करते हैं, उनकी प्रतिक्रियाएं जानते हैं, सभी एक दूसरे के विचारों को महत्व देते है। इसलिए यह साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि राजनीति को बदलने और लोकतांत्रिक अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने में सोशल मीडिया ने एक अहम भूमिका निभाई है।

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर अगर गौर करें तो हम देखतें है, 2013 के आइरिस नॉलेज फाउंडेशन एवं भारतीय इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक सर्वेक्षण के अनुसार, आज फेसबुक उपयोगकर्ताओं की सम्भावित संख्या लगभग 160 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में रह रहे लोगों के बराबर है, साथ ही अगर गौर करें तो यह संख्या 2009 के संसदीय चुनावों की जीत के मार्जिन की तुलना में काफी अधिक है। साथ ही बाकी बचे 67 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में राजनैतिक दलों को सोशल मीडिया की शक्ति का सामना करना पड़ा था। माना की आज हमारे देश में इंटरनेट केवल 10 फीसदी लोगों तक ही पहुँच पाया है। लेकिन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में भारत, अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। जोकि अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 140 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता और करीब 65 लाख लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।
 
2014 के लोकसभा चुनाव पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा, सोशल मीडिया के द्वारा एक निर्वाचन क्षेत्र की सड़कों और गलियों में जाकर चुनाव को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने की उम्मीद है। वैसे भी हम देख ही रहे हैं कि आज लगभग सभी राजनेता और राजनैतिक दल तकनीकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सभी को यहाँ उम्मीदें दिखाई देने लगी है, इसीलिए ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुँचने के लिए राजनैतिक दल, राजनेता इसका सहारा लेने पर हैं। साथ ही इसमें कोई शक नहीं कि सोशल मीडिया संचार का एक प्रभावी साधन है। जो आज अपनी एक अलग पहचान बना चुका है।

अगर हम सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने वाले लोगों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो आसानी से इसके बढ़ते प्रभाव को आँका जा सकता है। आज अगर देखें तो लगभग 72 फीसदी लोग शहरी क्षेत्रों में सोशल नेटवर्किंग का उपयोग करते हैं। आज फेसबुक, ट्विटर, ऑरकुट, लिंक्डइन के साथ साथ अनेकों सोशल मीडिया साइट्स हैं जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। अगर आज भारत में देखें तो मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगभग 39.7 लाख के आस पास है। साथ ही मोबाइल पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 82 फीसदी तक पहुँच चुकी है। हमारे देश में फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों का आंकड़ा लगभग 97 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है।

इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया कितना व्यापक हो चुका है, किस हद तक यह माध्यम अपने को हमारे बीच स्थापित कर चुका है। और किस हद तक यह हमारी राजनीति को प्रभावित कर सकता है। इसके उपयोग करने वालों की संख्या को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि आने वाले समय में सोशल मीडिया हमारे देश में एक बड़ा बदलाव और क्रांति के रूप में उभरने वाली है। खासकर युवाओं की भागीदारी इसे और अधिक प्रभावशाली रूप से कार्य करने को मजबूर कर देती है। युवा इसके तरफ निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं जो संकेत है एक बड़े बदलाव का, बड़ी क्रांति का, देश के बदलते परिप्रेक्ष्य का। यह हमारे लिए गर्व की ही बात है कि हम दुनिया के महत्वपूर्ण देशों की कतार में सोशल मीडिया के इस्तेमाल में तीसरे स्थान पर हैं, ये एक बड़ी उपलब्धि ही मानी जायेगी। हमारा युवा वर्ग आज सक्षम हैं और तकनीकी के विकास ने उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर दिया है। आज वो अपने ग्रुप्स बनाकर एक बदलाव को अंजाम दे सकते हैं। सोशल मीडिया आज की जरुरत बन चुकी है। जीवन का महत्वपूर्ण अंग हो चुकी है।

पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया ने बड़े पैमाने पर हमारे देश में अपने पैर पसारे है। अपने दायरे को जो अभी तक विदेशों तक ही सीमित था, उसे व्यापक किया है। दुसरे देशों की तुलना में हम भी एक तकनीकी से लैस देश बनकर दुनिया के सामने उभरे हैं। परन्तु सोशल मीडिया के अच्छे और बेहतर प्रभावों के बीच इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। जो हमारी देश की युवा महिलाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहे हैं। जहाँ सोशल मीडिया से हमें भविष्य में बदलाव की आशा है, आन्दोलन और जनता के बीच उमड़ रहे गुस्से को जाहिर करने का सशक्त माध्यम है। पर ये व्यापक स्तर पर हमें प्रभावित भी कर रह है। इसके दुष्परिणाम हमारे सामने आये दिन आते रहते हैं। हाल ही में ख़बरों के माध्यम से जानकारी मिली के एक युवती को सोशल मीडिया साइट्स पर चैटिंग के बाद हवस का शिकार बना लिया गया। किसी का खून कर दिया गया, किसी के अकाउंट को हैक करके उसमें बदलाव कर दिया गया आदि। अगर जल्द ही ऐसी घटनाओं को रोका नहीं गया तो आने वाला समय घातक साबित होगा। इसके चंगुल में हर कोई आ चूका है। अब निकलना मुश्किल है इसलिए सुरक्षा के मानकों पर अभी कार्य करने की जरुरत है। जिससे इन घटनाओं को रोका जा सके। भविष्य में इसमें सुधार जरुरी है। क्योंकि आज इससे सबसे अधिक युवा जुड़े हैं और हम पहले भी यह बात शायद आजमा चुके है की हमारे देश के युवाओं को जल्द ही बरगलाया जा सकता है। जामिया की घटना हमें याद ही है। अगर सुरक्षा के मानको पर काम नहीं किया जाता तो भविष्य में समस्या गंभीर रूप ले सकती है। आतंकवादी घटनाओं को अभी से काबू करने के लिए सोशल मीडिया में बदलाव बेहद आवश्यक है।

 

युवा लेखक अश्वनी कुमार विभिन पत्र-पत्रिकाओं में सक्रीय लेखन करते हैं, इसी के साथ एक निजी फ़र्म में कंटेंट राइटर के रूप में कार्य भी कर रहे। इनका ब्लॉग पता हैः samay-antraal.blogspot.com

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