भारत में हर धनवान ये समझता है कि वह यहाँ के नियम-कानूनों से ऊपर है। कुछ दिन पहले तक आसाराम को भी ऐसा गुमान था, सो कानून ने उन्हें उनकी हैसियत दिखा दी। इन दिनों ऐसा ही गुमान सहारा श्री को लग रहा है, सो न सिर्फ कानून उनको उनकी सही जगह दिखाने की तैयारी है बल्कि उनकी सारी 'श्री' भी खतरे में है लेकिन फिर भी ये श्री मान नहीं रहे है। फर्क इतना है कि अब उनकी आवाज में शेर की दहाड़ नहीं बकरी का मिमियाना है। आज के सारे अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापन के जरिये उन्होंने स्वयं को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते हुए जनता बल्कि अपने निवेशकों के सामने मासूमियत दिखाई है और सारा दोष फिर से सेबी पर डाला है। विज्ञापन के अंत में कहा गया है जनहित में जारी।
सुप्रीम कोर्ट कह चुकी है कि सहारा श्री इतना बड़ा गोलमाल करके केवल इसलिए बचे है कि कोर्ट जनता का हित देख रही है वरना उन जैसों की सही जगह जेल में ही है। फिर भी वे जनहित का वास्ता दे रहे हैं। अदालत से हाजिरी माफ़ी की अपील कर रहे है। उनका ये भी कहना है कि कानून ऐसी कम्पनियों के साथ रहता है जो रातोंरात उड़ जाती है जबकि वे व्यापार कर रहे है। वे ये नहीं बता रहे है कि जनता से ५-६ सालों में डबल पैसा वापस करने की बात कह कर जिन योजनाओं के लिए उन्होंने पैसा लिया था उसे वहाँ लगाया ही नहीं। आज भी वे क्यू शॉप के नाम पर पैसा उगाह रहे है और उनकी अधिकाँश क्यू शॉप केवल कम्पनी के कर्मचारियों के दम पर खड़ी हैं। वे 12 लाख लोगों के कम्पनी से जुड़े होने की बात कर रहे है लेकिन ये भी कड़वा सच है कि आज ३ करोड़ लोगो की मेहनत का २४ हजार करोड़ रुपइया भी अधर में है और अभी ऐसे कितने ही घोटाले सामने आना बाकी है।
वे यह भी नहीं बताते कि आज वे पर्ल्स, सम्रद्धि जीवन, साईं प्रसाद, के एम जे, परिवार डेरी जैसे हजारों ठग विद्या में निपुण लोगों के रोल मॉडल है जिनका निशाना ही भारत के गरीब और अत्यंत गरीब तबके के लोगों की जमा पूंजी है। सबसे निंदनीय तथ्य तो ये है कि सहारा श्री तमाम आदर्शों और भारतीय मान्यताओं को धता बता कर अपनी माँ को ही आधार बना रहे हैं, अपनी रक्षा के लिए।
सुप्रीम कोर्ट अगर भारत की जनता से न्याय करना चाहता है तो उसे सुब्रत राय़ जैसे लोगों को सही जगह दिखा कर भारत की जनता के पैसे की लूट पर अंकुश लगाना ही होगा, भारत की न्याय व्यवस्था को चुनौती देने वाले भारत में कम ही है और सुब्रत राय उनमें से एक है.………
लेखक हरिमोहन विश्वकर्मा से [email protected] के जरिए सम्पर्क किया जा सकता है।