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दिवंगत पत्रकारों को किया गया याद, अब 10 फरवरी को मनेगा ‘पत्रकार श्रद्धांजलि दिवस’

नई दिल्ली : भारत में सम्भवतः पहली बार ऐसा हुआ है कि पत्रकारों के लिए पत्रकारों द्वारा कोई श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया हो. ऐसा पहली बार न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के तत्वाधान में १० फरवरी को किया गया. एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. एम. आर गौड़ जी की दूसरी पुण्य तिथि पर नई दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में देश कई गणमान्य पत्रकारों ने डॉ. गौड़ को श्रद्धांजलि दी और उनके साथ पिछले दिनों दिवंगत कई पत्रकारों के व्यकित्व और कृतित्व को भी याद किया गया.

नई दिल्ली : भारत में सम्भवतः पहली बार ऐसा हुआ है कि पत्रकारों के लिए पत्रकारों द्वारा कोई श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया हो. ऐसा पहली बार न्यूज़ पेपर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के तत्वाधान में १० फरवरी को किया गया. एसोसिएशन के संस्थापक डॉ. एम. आर गौड़ जी की दूसरी पुण्य तिथि पर नई दिल्ली के गाँधी शांति प्रतिष्ठान में देश कई गणमान्य पत्रकारों ने डॉ. गौड़ को श्रद्धांजलि दी और उनके साथ पिछले दिनों दिवंगत कई पत्रकारों के व्यकित्व और कृतित्व को भी याद किया गया.

इसकी पहल की थी एसोसिएशन के महासचिव विपिन गौड़  ने. जिसमें शरीक हुए देश के कई जाने माने पत्रकार बंधू और बांधव. वरिष्ठ पत्रकारों में सुनील डांग, कुमार राकेश, संजीव चौहान, प्रो दिलीप कुमार, कनाडा से आये रूबी बेदी, इन्दर बेदी के अलावा दिल्ली के कई मीडिया संस्थानों के सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थियों ने इस सभा में शिरकत की. इस दिवस को “पत्रकार श्रद्धांजलि दिवस“ के तौर पर प्रति वर्ष मनाने का निर्णय किया गया. इस एक प्रस्ताव भारत सरकार और दिल्ली सरकार को भी सूचनार्थ भेजे जाने पर आम सहमति बनी.

इस सभा में पत्रकार स्वर्गीय सचिन विजय सिंह (निर्देशक, जेल डायरी न्यूज़ एक्सप्रेस), स्वर्गीय रवि भारती (संवादाता आजतक), स्वर्गीय राघवेन्द्र मुद्गल (न्यूज़ एक्सप्रेस), स्वर्गीय कमल शर्मा (संवादाता आजतक), स्वर्गीय प्रदीप राय (जी न्यूज) व अन्य सभी उन दिवंगत पत्रकारों को भी याद किया गया, जिनके बारे में सभा को आजतक पूरा विवरण कई कारणों से नहीं मिल सका. दिवंगत पत्रकारों के परिवारवालों को शाल और सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया. इस सभा के दुसरे सत्र में “पत्रकारिता और लोकतंत्र में महिलाओ की भूमिका”विषय पर एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ताओं के अलावा दिल्ली के कई मीडिया संस्थानों के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया और अपने अपने विचार रखे.

वरिष्ठ पत्रकार और डे आफ्टर समूह के प्रधान सम्पादक श्री सुनील दांग ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ मीडिया की अलग पहचान है. देश मे कई स्वनामधन्य पत्रकार है जिन्होंने देश में पत्रकारिता में एक बड़े पैमाने पर विशव के सामने रखा है, उन्हें मेरा शत शत नमन है. श्री डंग ने पत्रकारिता में महिलाओं के योगदान की भी सराहना की, जिन भारत को गर्व है. श्री डंग ने पत्रकारिता को समाज सेवा का सबसे बेहतर माध्यम बताया. देश में राजनीति, संसद, प्रशासन सहित वैदेशिक मामलों पर गहरी पकड़ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुमार राकेश ने पत्रकारिता में सच की ताक़त को विश्व की असीम ताक़त बताया. उन्होंने कहा कि आज की पत्रकारिता पूर्व की तुलना में काफी बदल गयी लगती है, तथाकथित बाजारवाद के नाम पर सच्ची पत्रकारिता का गला घोंटा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सच सदैव खरा है. पहले भी था और भविष्य में भी रहेगा. सच से बड़ा कोई नहीं. श्री राकेश ने अपने युवा साथियों से अपील की वे इस पेशे को अन्य पेशों की तरह न लेकर समाज के सर्वांगीण विकास से जोड़कर देखे. उन्होंने कहा कि-आज समाज को कुछ स्वार्थपरक तत्वों ने जिस खतरनाक मोड़ पर खड़ा कर दिया है. वह चिंता की बात है. उसे उस दशा से बाहर निकालने के लिए हम सबको एक नए सिरे से बहुत काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सच्चाई का कोई विकल्प नहीं हो सकता. महिला पत्रकारों के योगदान की चर्चा करते हुए श्री राकेश ने कहा कि देश में कई स्वनामधन्य महिला पत्रकारों ने राष्ट्र हित में सराहनीय कार्य किये हैं, जिनमें सुचेता दलाल, सीमा मुस्तफा, सरोज नागी, चित्रा सुब्रह्मण्यम, ओल्गा टेलिस जैसों के अप्रतिम योगदान को नहीं भुलाया जा सकता.
 
अपराध पत्रकारिता को समाज से जोड़ कर उसे नई परिभाषा देने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव चौहान ने कहा कि आज का मीडिया, मीडिया नहीं "बाजार" बनता जा रहा है. पत्रकारिता उद्देश्यों से भटक रही है. कोई भी मीडिया हाउस अब मालिक उसमें झोंकी हुई रकम को मुनाफे के साथ वापस पाने के लिए "मीडिया-हाउस" खोलता है. ऐसी पत्रकारिता जो मुनाफे के उद्देश्य से शुरु होती हो, उसका भविष्य क्या होगा, कहने की जरुरत नहीं है. सब कुछ हाल-फिलहाल सबके सामने है. श्री चौहान ने कहा कि अब पत्रकार और पत्रकारिता की जरुरत मीडिया-हाउस को कम होने लगी है. उन्होंने आगे कहा कि पत्रकार वही है, जिसकी जेब में खबर है. बाकी सब पद व्यर्थ के हैं. पत्रकार और खबर ही एक दूसरे के पूरक होते हैं.

श्री चौहान के मुताबिक जरुरी नहीं है कि किसी चैनल का प्रमुख या फिर किसी अखबार का संपादक बहुत अच्छा पत्रकार भी हो. ये सब भी आज के बाजारवाद से साफ जाहिर है. मौजूदा मीडिया में आज तमाम ऐसे नाम हैं, जिन्हें अपनी की हुई शायद ही कोई ऐसी खबर याद हो, जिससे देश-समाज का भला हुआ हो. या उनकी खबर सुर्खियों में रही हो, लेकिन "जुगाड़" के सहारे आज वे भी संपादक/ चैनल हेड बने बैठे हैं.

जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के प्रोफ़ेसर डॉ. दिलीप कुमार ने अपनी लोक प्रिय शैली में छात्रों को पत्रकारिता के कई गुर बताये और पत्रकारिता के सामाजिक योगदन पर भी प्रकाश डाला. युवा पत्रकार और एसोसियेशन के महासचिव विपिन गौड़ ने युवाओं को देश की ताक़त बताया. उन्होंने सभी साथियों से अपील कि महात्मा गाँधी की एकमात्र पसंदीदा पुस्तक “गीता” के आदर्शों को जीवन से जोड़कर देखे. गीता में बड़ी शक्ति है. क्योंकि उस महान ग्रन्थ में कर्म को प्रधानता दी गयी है. कर्म ही जीवन है. श्री गौड़ ने इस महान दिवस को “पत्रकार श्रंद्धांजलि दिवस” घोषित किये का प्रस्ताव किया, जिसे सभा ने में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.

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