आलोक मेहता की लोग कितनी भी आलोचना करें पर वे बड़े दिल के पत्रकार हैं. आप उनके साथ कैसा भी बरताव करिए वे अहित करने वाला कोई कदम नहीं उठा सकते हैं. हां, यह अलग बात है कि दूसरों का नहीं बल्कि अपना अहित करने वाला कदम. अब नेशनल दुनिया की प्रिंट लाइन से आलोक मेहता का नाम हट चुका है. उनकी जगह समूह संपादक के रूप में कुमार आनंद तथा प्रधान संपादक के रूप में मालिक शैलेंद्र भदौरिया का नाम जा रहा है. इसके बाद भी आलोक मेहता डटे हुए हैं ताकि कोई अहित न हो सके.
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नेशनल दुनिया में झऊआ भर संपादकों के बीच से गायब था आरई और एनई का पद
आलोक मेहता का नाम ऐसे ही बड़े संपादकों में शुमार नहीं होता है, बल्कि उन्होंने इस तरह के काम कर डाले हैं अपने पत्रकारीय जीवन में जो बड़े-बड़े संस्थान और बड़े-बड़े लोग भी नहीं कर पाए हैं. ये आलोक मेहता ही हैं जो रातों रात इस तरह से अखबार बदल दिया कि नईदुनिया अगले दिन नेशनल दुनिया हो गया और पाठकों को पता नहीं चल पाया. इसके लिए कुछ प्रचार प्रसार भी नहीं करना पड़ा था. बस कहा गया कि नाम बदला है काम कुछ भी नहीं बदला.
नेशनल दुनिया से विक्रम शर्मा एवं अजय औदिच्य का इस्तीफा
नेशनल दुनिया, नोएडा से खबर है कि विक्रम शर्मा ने इस्तीफा दे दिया है. वे यहां पर स्टाफ रिपोर्टर के पद पर कार्यरत थे. विक्रम ने अपनी नई पारी नोएडा में ही हिंदुस्तान के साथ शुरू की है. उन्हें यहां भी रिपोर्टर बनाया गया है. विक्रम को आलोक मेहता का नदजीकी माना जाता था. वे नेशनल दुनिया से पहले नई दुनिया को भी अपनी सेवाएं दे रहे थे. वे इसके पहले भी महामेधा समेत कई संस्थानों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
सत्ता बदलते ही बदलने लगा नेशनल दुनिया का तेवर
नेशनल दुनिया में आलोक मेहता का राज समाप्त होने का असर अखबार पर भी दिखने लगा है. पिछले कुछ दिनों में अखबार का लुक चेंज नजर आने लगा है. केवल लुक ही नहीं कंटेंट का तेवर भी पूरी तरह बदला-बदला दिख रहा है. अब तक यह अखबार अपनी ही बातों को झुठलाने या ज्यादातर हवाहवाई खबर लिखने वाला पम्पलेट नजर आता था, पर प्रदीप सौरभ के संपादक बनने के बाद उनकी सोच और कार्यप्रणाली का असर इस अखबार पर दिखने लगा है.
नेशनल दुनिया से सुमन कुमार एवं विवेकानंद झा का इस्तीफा
नेशनल दुनिया से खबर है कि दो लोगों ने इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने वालों में चीफ सब एडिटर सुमन कुमार एवं विवेकानंद झा शामिल हैं. खबर है कि अब तक इन लोगों को प्रबंधन की तरफ से नहीं हटाया गया है बल्कि अब काम के लगातार बढ़ते दबाव के चलते इन लोगों ने खुद इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि संपादक प्रदीप सौरभ खुद ऑफिस में चौदह से सोलह घंटे जमे रहकर काम पर नजर रख रहे हैं, जिसके चलते आलोक मेहता के राज में किसी तरीके से नौकरी कर लेने वाले लोग परेशान हैं.
नेशनल दुनिया से धनंजय, रास बिहारी समेत आधा दर्जन का संबंध समाप्त
: आलोक मेहता के नजदीकी प्रबंधन के निशाने पर : नेशनल दुनिया में मेहतावादियों के लिए अब कोई जगह नहीं है. उनके खास लोगों का प्रबंधन लगातार फाइनल सेटेलमेंट करता जा रहा है. इसके साथ यह भी साबित हो गया कि इस अखबार से आलोक मेहता का दौर खतम हो चुका है. अखबार से आलोक मेहता के नजदीकी माने जाने वाले छह लोगों का बोरिया बिस्तर बांध दिया गया है. ठीक उसी तरह जैसे पिछले साल फरवरी में नईदुनिया से आलोक मेहता ने छंटनी की थी.
आलोक मेहता का विकल्प तलाश रहे हैं शैलेंद्र भदौरिया!
: कानाफूसी : यह चर्चा बहुत तेज है कि नेशनल दुनिया के नए प्रधान संपादक की खोज शुरू हो चुकी है. नेशनल दुनिया अखबार के मालिक शैलेंद्र भदौरिया अब फ्रंट फुट पर आकर खेलने लगे हैं. उन्होंने आलोक मेहता एंड कंपनी को किनारे लगाने के लिए रणनीतिक तरीके से काम शुरू कर दिया है. सबसे पहले तो उन्होंने खुद 26 जनवरी को अपना बयान अपने अखबार में छपवा कर और मेरठ एडिशन की लांचिंग की घोषणा कर इन खबरों को विराम दे दिया कि नेशनल दुनिया अखबार बंद होने वाला है.
नेशनल दुनिया में छपने वाली झूठी खबरों को शैलेंद्र भदौरिया पढ़ते हैं या नहीं? देखिए एक कटिंग
जो लोग पाठकों की स्मृति को कमजोर मानते हैं या खुलेआम अपने पाठकों की आंख में धूल झोंकने को अपना अधिकार मानते हैं उनमें से एक आलोक मेहता भी हैं. आलोक महेता और उनके लोग किस तरीके की एजेंडा पत्रकारिता करते हैं और अनाप-शनाप खबरें छापते हैं, इससे हर कोई वाकिफ है. पर शर्मनाक स्थिति तब पैदा होती है जब अपने ही झूठ को सच साबित करने के लिए ये लोग फिर से एक बड़ा झूठ बोल देते हैं.
नेशनल दुनिया का प्रकाशन 30 मार्च से मेरठ से भी : शैलेंद्र भदौरिया
नेशनल दुनिया हिंदी अखबार के 26 जनवरी के अंक में इस अखबार के मालिक शैलेंद्र भदौरिया का भाषण छपा है. भाषण में उन्होंने ढेर सारी घोषणाएं की हैं. प्रताप यूनिवर्सिटी वाले शैलेंद्र भदौरिया ने जानकारी दी है कि वे 30 मार्च से मेरठ से नेशनल दुनिया का प्रकाशन शुरू करने वाले हैं. 30 मार्च से ही नेशनल दुनिया का दिल्ली कार्यालय नोएडा के सेक्टर 11 में शिफ्ट हो जाएगा. भदौरिया का पूरा लेक्चर नेशनल दुनिया अखबार के पेज नंबर एक पर छपा है.