मुरादाबाद मे टीएमयू (TMU) यानि Teerthanker Mahaveer University नामक एक यूनिवर्सिटी है जिसको यहां का पुराना लाटरी व्यापारी चला रहा है. इसमें मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत तमाम कोर्स चल रहे हैं. बताया जाता है कि वो अखबारों को 10 करोड़ रुपया सालाना का विज्ञापन देता है. पिछले दिनों तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी (टीएमयू) के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के पहले साल में पढ़ाई कर रही एक लड़की की डेड बाडी मिली. यह लड़की फरीदाबाद के आरएसएस कर्मचारी की बेटी थी. लड़की की मौत कैसे हुई, इसको लेकर दो बातें सामने आई.
टीएमयू प्रबंधन का कहना है कि लड़की ने छत से कूदकर जान दे दी. लेकिन लड़की की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह दम घुटना बताया गया. डेड बॉडी पर नाखूनों के खरोंच के निशान भी थे, जो रेप की तरफ इशारा कर रहे थे. इसको लेकर परिजनों ने काफी हंगामा किया, तब रिपोर्ट दर्ज हुई. इससे पहले यहां की आठ छात्राओं के साथ भी ऐसा ही हुआ है. इन सभी मामलों को विवि प्रबंधन ने सुसाइड बताया. मुरादाबाद से प्रकाशित अमर उजाला पर इस विज्ञापनदाता यूनिवर्सिटी के चेयरमैन का ऐसा दबाव है कि खबर को गोलमोल करके छाप दिया. अमर उजाला के लिए यह घटना भैंस को करंट लगने से ज्यादा की नहीं थी. यही कारण है कि इस पूरे प्रकरण का अमर उजाला में कवरेज बेहद घटिया और निराशाजनक रहा.
हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण में पहले दिन ठीकठाक कवरेज हुआ. इन दोनों अखबारों में पीड़ित परिवार की आवाज उठाई गई. दैनिक जागरण ने दूसरे दिन भी सच्चाई को सामने रखा लेकिन हिन्दुस्तान अगले दिन टीएमयू प्रबंधन की गोद में बैठता सा दिखा. सबसे खराब अमर उजाला का कवरेज रहा जिसने पूरे मामले को सुसाइड का रूप दिया, जो कि विवि प्रबंधन चाहता था. क्या आज मीडिया में विज्ञापन व विज्ञापनदाता इतने हावी हो गए हैं कि किसी भी व्यक्ति के अपराध को मीडिया बचा-छुपा सकता है. मीडिया अपने माध्यम से पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं दिला सकता तो कम से कम आवाज तो उठा ही सकता है ताकि आगे किसी छात्र-छात्रा के साथ ऐसा न हो.
arun golwalkar