यशवंतजी, टीवी100 में तो अब हद ही हो गई है। एडिटोरियल, आईटी, पीसीआर, आउटपुट, इनपुट, ग्राफिक्स तक की जिम्मेदारी सिर्फ एक शख्स को सौंप दी गई है। यही वजह है कि यहां के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। न्यूज़ चैनल के हिसाब से यहां किसी भी डिपार्टमेंट का कोई हेड नहीं है। चैनल में कोई भी गलती होने पर सिर्फ एक आदमी को ही सभी को सुनाने की जिम्मेदारी है। यही वजह है कि हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। डिसीप्लीन नाम की कोई चीज़ नहीं रही गई है।
काम का प्रेशर इतना ज्यादा है कि अगर बेरोजगारी का डर ना होता तो अब तक न जाने कितने लोग नौकरी छोड़ चुके होते। ऊपर से सीनियर का तानाशाह रवैया, काम करना मुश्किल हो गया है। दिक्कत इस बात की है कि सीनियर को अपनी ओहदे का गुमान हो गया है और वो हर पल अपने रसूख को दिखाने की होड में लगे रहते हैं। मैनेजमेंट तक बात इसलिए नहीं पहुंच पा रही है क्योंकि नौकरी जाने का खतरा है। इसलिए खामोशी से सब कुछ सहन करना पड़ता है। हद तक तब हो जाती है जब लड़कियों से भी बदसलूकी होती है, डूब मरने को मन करता है, ऐसी नौकरी से। चैनल में कई ऐसे चेहरे हैं जो जो मुफ्त की तनख्वाह ले रहे हैं। इन्हें बस सीनियर की चापलूसी करने की जिम्मेदारी दी गई है। साढे आठ घंटे की शिफ्ट पूरी कैसे करते हैं ये वही जाने।
हैरत की बात ये है कि ऐसे लोग किसी को नहीं खलते हैं। दिनभर इधर से उधर टहलने वालों को कभी कुछ नहीं कहा जाता है। जिन लोगों में टैलेंट है, जो लोग आगे बढ़ना चाहते हैं उन्हें पर पहले ही कतर दिए जाते हैं। सीनियर को अपनी कुर्सी के जाने का खतरा जो सताता रहता है। जिन पर बोस की मेहरबानी है उन्हें मौज मस्ती करने का पूरा अधिकार दिया गया है। वो आज़ादी के साथ अपनी शिफ्ट के दौरान कहीं भी टहलकर आ सकते हैं, लेकिन बाकी को सीनियर की आंखों के सामने हर पल रहना पड़ता है। ऐसे लोगों की सैलेरी में ही इनक्रीमेंट होता है और इसी तरह के लोगों को चैनल मालिक की नज़रों में अच्छा पेश किया जाता है। अपनी गोपनीयता रखनी ज़रूरी है क्योंकि नौकरी जाने का डर है। उम्मीद है आप अपनी वेबसाइट पर इसे जरूर पब्लिश करेंगे।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.