जादूगोड़ा। देश की सबसे पुराने और एकमात्र यूरेनियम खदानों पर अब माओवादियों का नज़र पड़ गयी है। यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.(यूसिल) प्रबंधन के पीके नायक और एससी भौमिक के नाम पत्र लिखकर सीपीआई माओवादी ने यूसिल से पाँच करोड़ प्रतिमाह टैक्स की मांग की है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पर चिंता व्यक्त की है। यूसिल प्रबंधन के पीके नायक औऱ एससी भौमिक को संयुक्त रूप से लिखे पत्र में माओवादियों ने कहा है कि बागजाता तथा अन्य खदानों को चालू हुए करीब 10 साल से अधिक बीत चुका है, लेकिन यूसिल प्रबंधन ने खदान खोलने के समय स्थानीय लोगो से जो वादे किए थे वो अभी पूरे नहीं किए गए हैं। उचित मुआवजा, पुनर्वास और नौकरी की बता अब भुला दी गई है। खदान क्षेत्र से विस्थापित लोग वर्षों से यूसिल के दफ्तर के चक्कर काट कर निराश हो गए है। अपने हक़ की बात उठाने के कारण मजदूरों पर झूठे केस लादे जा रहे हैं। बागजाता खदान से 110 तथा तुरामडीह खदान से 341 मजदूरों को निकाल दिया गया है। यूसिल प्रबंधन कमल, दीपक तथा प्रसाशन ने मिलकर मजदूर तथा अन्य लोगो का हजारो करोड़ रुपैया हजम कर दिया यह काम यूसिल प्रबंधन, प्रशासन के सहयोग के बिना संभव नहीं है।
माओवादियों द्वारा भेजा गया पत्र
माओवादियों की छः मांगें हैः तुरमडीह, बानदुहुदांग के सभी मजदूरो को तुरंत नौकरी पर बहाल करना होगा। बागजाता खदान के सभी छंटनी किए गए सभी 110 मज़दूरो को नौकरी पर पुनरबहाल करना होगा, फाइलू हांसदा समेत सभी विस्थापितों को एक माह के भीतर स्थायी नौकरी और मुआवजा देना होगा। प्रभावित क्षेत्र के बाकी स्थानीय बेरोजगारो को रोजगार देने की प्रक्रिया ग्राम सभा मे अविलंब शुरू करना होगा। बागजाता खदान से श्रमिक विरोधी दशरथ मार्डी, छोटाराय सोरेन, हरिपोदो सोरेन, मंगल हांसदा, पीरू हेंबरम, को तुरंत निकाल बाहर किया जाए। कमल, दीपक सिंह व अन्य दोषियों को अविलंब गिरफ्तार करना होगा निवेशको का पैसा सूद सहित वापस करना होगा। सीपीआई(माओवादी) को हर साल 5 करोड़ टेक्स देना होगा।
यूसिल के सीएमडी दिवाकर आचार्या ने कहा की अगर हमारे कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का खतरा हुआ तो उसी दिन बागजाता खदाने बंद कर दी जाएंगी। गौरतलब है की इस मामले को लेकर कुछ दिन पहले यूसिल प्रबंधन और प्रसाशनिक अधिकारियों की बैठक यूसिल गेस्ट हाउस में हो चुकी है।
जादूगोड़ा से संतोष अग्रवाल की रिपोर्ट।