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अटेन्डेन्स पूरी करने के लिए 15 हज़ार मांग रहा उ़ज्जैन का कॉलेज

महोदय, मैं आपका ध्यान शिक्षा प्रदान करने के नाम पर व्यापार कर रहे संस्थान की ओर दिलाना चाहता हूं। उज्जैन में महाराजा कॉलेज डी. एड., बी. एड., और एम. एड. कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त है। यहाँ कोई भी शिक्षक नेट क्वालिफाइड नहीं है, और न ही एजुकेशन में पीएचडी है फिर भी इन्हें बी. एड. और एम. एड. की मान्यता मिल गयी। यहाँ डी. एड. पढ़ाने के लिए एम. एड. शिक्षक जरुर हैं लेकिन वे ही एम. एड. और बी. एड. के विद्यार्थियों को भी पढ़ाते हैं। कॉलेज प्रबंधन क्वालिफाइड फैकल्टी इसलिए नहीं रखता क्योंकि वह 5-7 हज़ार रूपये ही वेतन देता है तो क्यों क्वालिफाइड टीचर यहाँ आयेंगे। बी. एड. के लिए 29 हज़ार रूपये फीस लेने के बाद भी विद्यार्थियों से 15-15 हज़ार रूपये वसूले जा रहे हैं और कम उपस्थिति बताकर परीक्षा फॉर्म रोका जा रहा है। यही हाल एम. एड. का है जिसकी 60 हज़ार रूपये फीस लेने के बाद भी 15-15 हज़ार रूपये लेकर उपस्थिति पूरी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

महोदय, मैं आपका ध्यान शिक्षा प्रदान करने के नाम पर व्यापार कर रहे संस्थान की ओर दिलाना चाहता हूं। उज्जैन में महाराजा कॉलेज डी. एड., बी. एड., और एम. एड. कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त है। यहाँ कोई भी शिक्षक नेट क्वालिफाइड नहीं है, और न ही एजुकेशन में पीएचडी है फिर भी इन्हें बी. एड. और एम. एड. की मान्यता मिल गयी। यहाँ डी. एड. पढ़ाने के लिए एम. एड. शिक्षक जरुर हैं लेकिन वे ही एम. एड. और बी. एड. के विद्यार्थियों को भी पढ़ाते हैं। कॉलेज प्रबंधन क्वालिफाइड फैकल्टी इसलिए नहीं रखता क्योंकि वह 5-7 हज़ार रूपये ही वेतन देता है तो क्यों क्वालिफाइड टीचर यहाँ आयेंगे। बी. एड. के लिए 29 हज़ार रूपये फीस लेने के बाद भी विद्यार्थियों से 15-15 हज़ार रूपये वसूले जा रहे हैं और कम उपस्थिति बताकर परीक्षा फॉर्म रोका जा रहा है। यही हाल एम. एड. का है जिसकी 60 हज़ार रूपये फीस लेने के बाद भी 15-15 हज़ार रूपये लेकर उपस्थिति पूरी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

वास्तव में कॉलेज प्रबंधन स्वयं ही नहीं चाहता कि विद्यार्थी नियमित आयें क्योंकि वह क्वालिफाइड फैकल्टी नहीं रखना चाहता। अनियमित विद्यार्थियों से उपस्थिति पूरा करने के नाम पर अवैध पैसा भी माँगना है, तो छात्रों को नियमित आने के लिए कहा जाए। फिर नियमित विद्यार्थी तो क्वालिफाइड टीचर की मांग करेगा और असंतुष्ट होने पर विरोध भी प्रकट करेगा। इन्होने शिक्षा को व्यापार बना लिया है और 90 फ़ीसदी प्रवेश ये कहीं नौकरी कर रहे लोगों को देते हैं जो नौकरी पर अपना वेतन लेते रहें और उपस्थिति के नाम पर अवैध हज़ारों रूपये कॉलेज को देते रहें। नियमों के अनुसार ये नौकरी पर रहते बी. एड., एम. एड. नहीं कर सकते लेकिन नियमों का उल्लंघन तो होता ही है। जांच की जाए तो ये निजी संस्थानों में नौकरी करते मिलेंगे।  

कॉलेज प्रबंधन ने विद्यार्थियों के भविष्य से नया खिलवाड़ करते हुए अपने शिक्षकों को जबरन छुट्टी पर भेजना शुरू कर दिया है क्योंकि बीएड का जनवरी में शुरू होने वाला सत्र इस बार जुलाई में शुरू होगा। कॉलेज प्रबंधन कहता है कि फीस जुलाई में आएगी तो तनख्वाह कहाँ से दें। एम. एड. और डी. एड. के सत्र तो शुरू हैं और पिछले साल बी. एड. के विद्यार्थियों से 29 लाख रूपये फीस के मिले वह कहाँ गए। एम. एड. के विद्यार्थियों से 21 लाख रूपये हासिल हुए वह कहाँ गए। फिर करीब 125 विद्यार्थियों से उपस्थिति पूरा करने के नाम पर अवैध जमा 18 लाख 75 हज़ार भी तो हैं, फिर भी स्टाफ को छुट्टी पर भेजा जा रहा है और नियमित आने वाले विद्यार्थियों की कोई चिंता नहीं है। कृपया मामले को गम्भीरता से लेते हुए जांच कराएं और शिक्षा के नाम पर व्यापार बंद कराएं।

 

भड़ास4मीडिया को भेजा गया एक पत्र।

 

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