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सुख-दुख...

भड़ास4मीडिया के चौथे बर्थडे आयोजन पर उत्कर्ष सिन्हा की रिपोर्ट

ये अपना यशवंत भाई भी गज़ब का मौलिक है. कल शाम मैं दिल्ली में था, bhadas4media के चौथे जन्मदिन पर यशवंत ने एक कार्यक्रम रखा था. मैं और चितरंजन सिंह जब वहाँ पहुचे तो प्रभात खबर वाले हरिवंश जी का व्याख्यान चल रहा था. गज़ब का रेफेरेंस सेक्शन हैं भाई उनका. आज के दौर के एक संपादक को कीन्स और दूसरे फिलोसफेर्स के कोट के साथ सुनना अदभुत अनुभव था.

ये अपना यशवंत भाई भी गज़ब का मौलिक है. कल शाम मैं दिल्ली में था, bhadas4media के चौथे जन्मदिन पर यशवंत ने एक कार्यक्रम रखा था. मैं और चितरंजन सिंह जब वहाँ पहुचे तो प्रभात खबर वाले हरिवंश जी का व्याख्यान चल रहा था. गज़ब का रेफेरेंस सेक्शन हैं भाई उनका. आज के दौर के एक संपादक को कीन्स और दूसरे फिलोसफेर्स के कोट के साथ सुनना अदभुत अनुभव था.

''यह समय, मीडिया और मनुष्य की मुक्ति'' विषय पर केंद्रित व्याख्यान था. जब भड़ास सम्मान का दौर आया तो भी यशवंत भाई की मौलिकता को सलाम किये बिना नहीं रहा गया. आज जब बड़े नामों को सम्मानित करके अपना नम्बर बढ़ाने का दौर है, तब यशवंत ने चुना लक्ष्मण राव को. ये लक्ष्मण राव चाय की एक दुकान चलाते हैं, दिल्ली के हिंदी संस्थान के बाहर फुटपाथ पर. ये एक दर्जन से ज्यादा किताबे लिख चुके हैं. जरा सोच के देखिये, एक तरफ लक्ष्मण राव द्वारा लिखित किताब की विषयवस्तु व कहानी पर नाटक का मंचन हो रहा है इंडिया हैबिटैट सेंटर में और लक्ष्मण जी व्यस्त हैं अपनी दुकान पे लोगों को चाय पिलाने में.

दूसरा सम्मान पटना के एक साथी आशुतोष को दिया गया. ये आशुतोष बाइक चोरी हो जाने के कारण पैदल रिपोर्टिंग के दौरान और बाद के दिनों में बेरोजगारी की अवस्था में पटना के गाँधी मैदान में निराश बैठे चाय और बिस्कुट खाते हुए अपने साथ गिलहरियों को भी बिस्कुट खिला रहे हैं और देखते देखते कुछ ही महीनो में सैकड़ों गिलहरिया उनके शरीर पर कलरव करने लगती हैं. अदभुत काम हैं भाई. साहसी पत्रकारों के साथ इन लोगों के सम्मान समारोह में शरीक होना खुद को अच्छा लगा. कमाल तो तब हुआ जब सिद्धार्थ मोहन जी के सूफी बैंड द्वारा प्रस्तुत सूफी गीतों के बीच लंबी बीमारी से ताज़ा ताज़ा उठे भाई कुमार सौवीर ने नृत्य करना शुरू कर दिया. अपनी लंबी तोंद के साथ दमा दम मस्त कलंदर की तान पर कुमार सौवीर का नृत्य यह बता रहा था कि असल में सूफियों की दुनिया क्या होती है, बेखयाल मदमस्त हो लाल मेरी पट रखियो बला झुलेलालन …………. और इन सबके बीच टीवी पत्रकार गिरजेश ने जब मन्ना डे के गाए गीतों की प्रस्तुति दी तो वाह वाह के सिवा कुछ दूसरा नहीं कहा जा सकता….. कमाल के हो यशवंत गुरु ….जमाए रहो ………….. 

लेखक उत्कर्ष सिन्हा सोशल एक्टिविस्ट और जुझारू जर्नलिस्ट हैं. हाल में ही लोकमत, लखनऊ के संपादक पद से इस्तीफा दिया. इन दिनों घुमक्कड़ी के साथ साथ सामाजिक कार्यों में व्यस्त हैं.


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