देवभूमि उत्तराखण्ड में राजनेताओं के साथ-साथ राज्य के उच्च अधिकारियों पर भी यौन शोषण के आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में चर्चित यौन उत्पीड़न मामले में गिरफ्तार और अब निलंबित अपर सचिव जेपी जोशी और कांग्रेस नेत्री रितु कण्डियाल के खिलाफ कोर्ट में 192 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई है। पुलिस ने इस हाई-प्रोफाईल मामले में 40 दिन के अंदर पीड़िता, डाक्टर, पुलिस रेस्ट-हाउस, नैनीताल के स्टाफ कर्मचारीयों व दिल्ली पुलिस के अफसरों समेत 22 लोगों को गवाह बनाया है।
पुलिस द्वारा शनिवार को कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में जेपी जोशी के खिलाफ आईपीसी की धरा 376सी व धारा 506, नौकरी का झांसा देकर दुष्कर्म व जान से मारने की धमकी देना, जबकि रितु कण्डियाल के खिलाफ धरा 376सी व धारा 506 और 109, नौकरी का झांसा देकर दुष्कर्म को दुष्प्रेरित करना व जान से मारने की ध्मकीद देने का आरोप लगाया गया है। इस हाई-प्रोफाईल मामले में पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद माना जा रहा है कि पुलिस पीड़िता को सरकारी गवाह बना सकती है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला बीती 22 नवंबर को पीड़िता ने दुष्कर्म किये जाने का आरोप जोशी पर लगाया था और 22 नवंबर को ही यह मामला दिल्ली में दर्ज हुआ था। पीड़िता का यह भी आरोप था कि जोशी द्वारा उसकी अश्लील सीडी बनायी गई हैं। इतना ही नहीं पीड़िता ने कांग्रेस नेत्री रितु कण्डियाल पर जोशी से मिलाने और दुष्कर्म के लिए दुष्प्रेरित करने के साथ-साथ जान से मारने की ध्मकी देने का भी आरोप लगाया गया था। दिल्ली में मुकदमा कायम होने के बाद 25 नवंबर को यह मामला देहरादून ट्रांसपर्फर कर दिया गया था। उससे पहले 23 नवंबर को देहरादून के बसंत बिहार थाने में पीड़िता व उसके कुछ साथियों पर अश्लील सीडी के नाम पर ब्लैकमेलिंग किए जाने का मुकदमा जेपी जोशी द्वारा दर्ज कराया गया था। दोनों मामलों की जांच पुलिस मुख्यालय के स्पेशल सैल को सौंपी गई थीं। मामले की त्वरित जांच करते हुए पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। लेकिन अभी भी इस मामले में कई लोगों के चेहरे से नाकाब नहीं उतर सका है। वहीं, जेपी जोशी और रितु कण्डियाल को जेल में बंद हुए काफी समय हो गया है। रितु व जोशी की न्यायिक हिरासत 18 जनवरी तक तथा सपा नेता नीरज चैहान की न्यायिक हिरासत 15 जनवरी तक बढ़ा दी गई है।
इसी मामले में सुमन सिंह वल्दिया, अमित गर्ग, संजय बनर्जी आदि की गिरफ्तारी पुलिस पहले ही कर चुकी है। अब इस मामले में पुलिस की जांच पीड़िता के इर्द-गिर्द घूमती हुई नजर आ रही है। वहीं, पुलिस अभी तक इस बात का पता नहीं लगा पायी है के पीड़िता की सीडी किस मीडिया संस्थान में बनाई गयी थी। हालांकि एक निजी चैनल के कर्मचारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की है। पुलिस द्वारा बड़े स्तर पर इस मामले की जांच की जा रही है, जिसके चलते सचिवालय के साथ-साथ शासन स्तर पर भी यह मामला काफी किरकिरी करा चुका है। उत्तराखण्ड में इस मामले के उछल जाने के बाद सरकारी दफ्रतरों से लेकर प्राईवेट कंपनियों में भी महिलाओं को रखे जाने पर खासी सावधनी बरती जा रही है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.