Sanjeev Chandan : सुना है कि दारोगा कुलपति विभूति राय के गैंग के लोग हिंदी विश्वविद्यालय के निलंबित आदिवासी शिक्षक Sunil Kumar 'suman' को पिछड़ा विरोधी सिद्ध करने में लगे हैं… इस प्रकार कोशिश हो रही है, दलित-आदिवासी अस्मिता को पिछड़ों की अस्मिता से टक्कर देने की.
मित्रों, सुनील कुमार सुमन को पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ते हुए हमने 2006 में देखा था. एक आक्रामक रणनीतिकार के रूप में, जिसने तब 'यूथ फॉर इक्वलिटी' से बखूबी टक्कर लिया था. उन दिनों मैं जेएनयू में वर्धा से निर्वासित जीवन जी रहा था. रात-रात भर हम कैम्पेन करते थे, क्यों Vinay भाई ..!
उस दौरान हमने कई प्रगतिशील मित्रों के भीतर जाति का उबाल देखा था, तब Samar भी कमर कस कर मंडल २ के समर्थन में थे. मजेदार था कि कुछ पिछड़े भी अर्जुन सिंह की पहल को या तो राजनीति मान रहे थे, या आरक्षण की जरूरत न होने की बात कहते थे.
योगेन्द्र यादव का आरक्षण सम्बन्धी फार्मूला तभी आया था, जो कई द्विज चिंतकों को रास आ रहा था. सुनील यदि पिछड़ों की आलोचना करते है तो वह वैसी ही आलोचना होती है जैसी Dilip C Mandal की होती है. मंडल जी का व्यंग्य मुझे आज भी मजेदार लगता है, जब उन्होंने लिखा था, 'दलितों से अनुरोध है कि वे पिछड़ों के हित में सक्रिय हों, पिछड़े अभी कांवड़ यात्रा पर हैं.'
सुनील हमारे लिए राजनीतिक ट्रेनर रहे हैं. उन दिनों उनके द्वारा प्रोत्साहन के बाद ही हमने वर्धा से नागपुर पदयात्रा की थी आरक्षण के समर्थन में. तब Ashok Meshram की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी. इस यात्रा में हिंदी विवि का एक मित्र संदीप सपकाले था, जो आज दारोगा के डर से हमारी मित्र सूची में नहीं है. एक Surendra Shyamkul, सुना है कि उसे भी पीएचडी में दिक्कतें पहुंचाई जा रही हैं.
संदीप, जो कि आजकल वही शिक्षक है, अपने ही विवि से पीएचडी करने योग्य नहीं बताया जा रहा है, जबकि उसका चयन प्राध्यापकी के लिए सामान्य सीट पर हुआ था, विजिटर नौमिनी मदन गोपाल सिंह के दवाब में. कुल मिलाकर सुनील जी के खिलाफ पिछड़ों की जो भटकी हुई जमात काम कर रही है, वह अंततः अपने खिलाफ , बहुजन हितों के खिलाफ काम कर रही है. (संजीव चंदन के फेसबुक वॉल से.)
Samar Anarya : हाँ, Sunil Kumar 'suman' हम सब के राजनैतिक ट्रेनर रहे है। क्या बात है संजीव भाई, संघर्ष के क्या दिन याद दिलाये हैं। वह भी तब जब मुख्यधारा वाला नेतृत्व सदमे मे था। Vinay का लेफ्टीनेंट नाम भी मंडल 2 की उसी लड़ाई की गुरिल्ला कार्यवाहियों का नेता होने के चलते पड़ा था। बाक़ी कुछ साथियों के नाम आपसे छूट गये। अब IRS कामरेड Kundan Yadav, सुमेल सिंह सिद्धू, सत्यमेव जयते से देश भर में मशहूर हुई कामरेड कौशल्या और अपने पसमांदा ब्रिगेड के नेता कामरेड Azam Ansari! फिर लड़ेंगे साथी, फिर जीतेंगे। (समर अनार्या के फेसबुक वॉल से.)