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लखनऊ

आऱटीआई में हुआ खुलासा, मायाराज के मुकाबले अखिलेशराज में महिलाओं का उत्पीड़न बढ़ा

प्रत्येक महिला दिवस पर सरकारों द्वारा इस बात का ज़ोर-शोर से प्रचार किया जाता है कि वे महिलाओं के उत्पीड़न से निपटने और महिलाओं के लिए भय मुक्त वातावरण बनाने के लिए क्या-क्या कदम उठा रहीं हैं। हमने उप्र सरकार के नारों की ज़मीनी हक़ीक़त को जानने के लिए उप्र राज्य महिला आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण करने का निर्णय लिया, जिससे पता चल सके कि महिला के विरुद्ध हो रहे अपराधों की वास्तविक स्थिति क्या है और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

प्रत्येक महिला दिवस पर सरकारों द्वारा इस बात का ज़ोर-शोर से प्रचार किया जाता है कि वे महिलाओं के उत्पीड़न से निपटने और महिलाओं के लिए भय मुक्त वातावरण बनाने के लिए क्या-क्या कदम उठा रहीं हैं। हमने उप्र सरकार के नारों की ज़मीनी हक़ीक़त को जानने के लिए उप्र राज्य महिला आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण करने का निर्णय लिया, जिससे पता चल सके कि महिला के विरुद्ध हो रहे अपराधों की वास्तविक स्थिति क्या है और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इस संदर्भ में हमले दिनांक 16.12.2013 को RTI के माध्यम से उप्र राज्य महिला आयोग से 11 बिन्दुओं पर सूचना मांगीं थी। हमले आयोग से जानना चाहा कि अखिलेश सरकार के प्रथम 21 महीनों में और मायावती सरकार के अंतिम 21 महीनों के दौरान कितने केस रिपोर्ट हुए, कितने केसों का निस्तारण हुआ और कितने केस एफआईआर में परिवर्तित हुए।

आयोग द्वारा दिनांक 17.01.2014 को पत्र संख्या 5364 के माध्यम से भेजी गई सूचना से पता चलता है कि अखिलेश सरकार के राज में आयेग के पास आने वाले महिला उत्पीड़न के केसों में 23% की वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि अखिलेश सरकार के 21 महीनों में आयोग के पास 49265 केस आए जिनमें, 27% निस्तारण की दर से मात्र 13429 केस ही निस्तारित किए गए। जबका मायावता सरकार के अंतिम 21 महीनें में आयोग के पास 40060 केस रिपोर्ट हुए थे जनमें से 28952 केसों का निस्तारण किया गया। स्पष्ट है कि मायावती सरकार में आयोग 72% की दर से केसों का निस्तारण कर रहा था। हम ये भी कह सकते हैं कि अखिलेश सरकार में आयोग द्वारा महिला उत्पीड़न के केसों के रिस्तारण में 54% की कमी आयी है।

आम तौर पर लोगों के ये मानना है कि महिला आयोग अपराध पीड़ित महिलाओं का आखिर तक साथ देता है। लेकिन उप्र राज्य महिला आयोग की स्थिति इसके ठीक विपरीत है। ये आयोग न तो अपराध पीड़ित महिलाओं की एफआईआर ही लिखवा पाता है औऱ ना ही इस प्रकार का कोई रिकॉर्ड ही रखता है जिससे पता चले कि कितने मामलों में एफआईआर लिखी गई। स्पष्ट है कि उप्र राज्य महिला आयोग एक सफेद हाथी है जो राज्य की पीड़ित महिलाओं की मदद न कर पाता है और न ही ऐसा करने में कोई दिलचस्पी लेता है। वास्तव में ये आयोग राज्य खज़ाने पर एक भार है।

जल्दी ही हम एक कैंपेन शुरू करने जा रहे हैं। हमारी मांग है कि उप्र राज्य महिला आयोग एक निश्चित समय सीमा के अन्दर अपने पास आने वाली शिकायतों का निस्तारण करे और इस बात की पूरी जानकारी रखे कि उसके द्वारा पुलिस को भेजे जा रहे मामलों में एफआईआर लिखी जा रही है य़ा नहीं।

हम चाहते हैं कि अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह की सलाह मानते हुए चाटुकारों के चंगुल से बाहर निकलें और एक प्रोफेशनल इंजीनियर, जो वो हैं, की तरह काम करें, जिसकी अपेक्षा राज्य की जनता उनसे करती है।

Urvashi Sharma
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption   9455553838
http://yaishwaryaj-seva-sansthan.hpage.co.in/
http://upcpri.blogspot.in/

 

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