लखनऊ।। वरिष्ठ लेखक और अधिवक्ता रूप नारायण सोनकर ने फिल्म कृष-3 के निर्माता, लेखक और कलाकारों के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच के समक्ष रिट पेटिशन ( M/B-12092- 2013) दाखिल कर फिल्म पर अपने उपन्यास सूअरदान के तथ्यों की चोरी का आरोप लगाया है।
इसी के साथ नारायण सोनकर ने फिल्म निर्माता राकेश रोशन से पचास करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। लखनऊ निवासी और हाईकोर्ट में अधिवक्ता श्री सोनकर ने संविधान के आर्टिकल 226 के तहत दायर कराये गये अपने मुकदमे में कृष-3 के निर्माता पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनके उपन्यास- सूअरदान से बिना बताये हू-ब-हू तथ्यों को उठा लिया हैं। इस संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में डबल बेंच के द्वारा फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश पारित कर दिया गया है।
सोनकर ने अपने पेटिशन में फिल्म निर्माता राकेश रोशन पर भारतीय कॉपी राइट एक्ट 1957 के उल्लंघन का आरोप लगाया है। मुकदमे में राकेश रोशन के अतिरिक्त अभिनेता अमिताभ बच्चन, रितिक रोशन, विवेक ओबराय, सह रचनाकार राबिन भट्ट, अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, कंगना रनाउत, केंद्र सरकार, राज्य सरकार व बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन को पक्षकार बनाया गया है। फिल्म कृष-3 की स्क्रिप्ट फिल्म राईटर्स एसोसिएशन, मुंबई में वर्ष-2011 में पंजीकृत है और फिल्म एक नवंबर, 2013 को रिलीज हुई, जबकि सोनकर का उपन्यास सूअरदान वर्ष 2010 में प्रकाशित हो गया था।
लेखक रूप नारायण सोनकर के इस उपन्यास के पात्र रामचंद्र त्रिवेदी, सज्जन खटिक, घसीटे चमार और सलवंत यादव उत्तर प्रदेश के सिंहासन खेड़ा गांव में एक पिगरी फार्म खोलते हैं। ये चारों इंग्लैंड से उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त हैं और गांव के विकास के लिए अपना जीवन अर्पण करते हैं। चारों मानवतावादी सोच के हैं तथा विश्वबंधुत्व में यकिन रखते हैं। दूसरी तरफ आपराधिक प्रवृति का एक ग्राम प्रधान है जो अपने आतंक के बल पर गांव में राज करता है तथा अपना विरोध करने वाले लोगों का कत्ल करा देता है। वह अपंग है और ह्वील चेअर पर चलता है। समाज विरोधी व वर्चस्व की समस्त गतिविधियां बावजूद अपंगता वह अपने सहयोगियों के साथ व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे संपन्न कराता है। वह गांव के एक कमजोर वर्ग की लड़की का अपहरण कराकर उसे रखैल बना लेता है। वह प्रेग्नेंट हो जाती है। यह उपन्यास का सुपर विलेन है।
पिगरी फार्म के पार्टनर अपने पिगरी फार्म में अमेरिका के वैज्ञानिकों की मदद से नये-नये वैज्ञानिक प्रयोग करते रहते हैं। सूअर और गाय के संगमन से एक नयी ब्रीड सूगाय उत्पन्न करते हैं। यह एक हाई ब्रीड है। लेखक द्वारा मानव के प्रथम दो अक्षर -मान और जानवर के अंतिम दो अक्षर- वर तो मिलाकर मानवर संज्ञा गढ़ा गया है। यह उपन्यास सूअरदान में पहली बार आया शब्द है, किसी शब्दकोश में नहीं है।
आप कृष-3 फिल्म देखें तो उसमें काल (विवेक ओबेराय) मानव और जानवर के डीएनए से मानवर नाम का ही हाई ब्रिड उत्पन्न कराता है। काल भी अपंग है, व्हीलचेयर पर ही चलता है। वह फिल्म की हीरोइन प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) का अपहरण कर लेता है और वह प्रेग्नेंट हो जाती है।
उपन्यास सूअरदान में भयंकर बीमारियां हवा के माध्यम से फैलती हैं, वही फिल्म कृष-3 में पानी के जरिये फैलती हैं।
सूअरदान का एक पात्र सज्जन खटिक अमेरिका के न्यू जर्सी शहर में भारतीय मूल के डॉक्टर स्नेही लाल से मिलता है। पुजारी दयाशंकर की लाइलाज बीमारी एड्स का इलाज करवाता है, इसी तरह फिल्म कृष-3 में रोहित मेहरा (रितिक रोशन का डबल रोल) सिंगापुर में भारतीय मूल के डॉक्टर सिद्धांत आर्या से मिलता है और मुंबई में काल द्वारा फैलायी जा रही लाइलाज बीमारियों का हल चाहता है।
इतनी समानताएं महज संयोग नहीं हो सकतीं। देखना है कि लेखक रूपनारायण सोनकर को न्याय मिल पाता है कि नहीं और मिलता है तो कब मिलता है।
रूप नारायण सोनकर
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