भड़ास4मीडिया, वो नाम जिसे कमजोर,मजबूर और शोषित पत्रकारों की आवाज कहा जाता था , जोकि पत्रकारों के साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता था| लेकिन आज वो भड़ास4मीडिया शांत है क्यूंकि अपने काले कारनामे जगजाहिर होने से घबराये और तिलमिलाए कुछ तथाकथित सफेदपोश मीडिया मालिकों ने भड़ास के खिलाफ उत्तरप्रदेश की कर्तव्यनिष्ठ और जुझारू पुलिस के साथ मिलकर एक ऐसी घिनोनी साजिश रची जिसमे भड़ास4मीडिया के कर्ता-धर्ता यशवंत फंसते ही चले गये|
वो यशवंत जिसके नाम का खौफ तमाम तथाकथित मीडिया हाउसों के मालिकों व मैनेजमेंट में है| और हो भी क्यों न, खुद को कॉर्पोरेट कहने वाली इन दुकानों के अंदर की सच्चाई को यशवंत दुनिया के सामने जो लाते आये हैं| न रुपयों से इन्हें खरीदा जा सका और न ही धमकियों से डराया जा सका| यशवंत तो बस धुन में प्रबंधन के सताए कमजोर पत्रकारों का एक मजबूत सहारा बनकर हमेशा उनके साथ खड़े रहे और मीडिया जगत की काली सच्चाई को उजागर करने में ही लगे रहे और इसी का सिला आज उन्हें मिला|
इन लोगों ने मिलकर यशवंत के खिलाफ ऐसा जाल बुना कि आज यशवंत इस जाल से खुद को निकालने के लिए संघर्षरत हैं| यशवंत को एक दुर्दांत अपराधी साबित करने की कोशिश की गयी, और पुलिस ने भी इन धन्नासेठों का साथ देते हुए यशवंत पर वो धाराएँ लगा दीं जोकि वो एक खतरनाक वांटेड अपराधी पर लगाती है| अब हालत ये हैं कि बहती गंगा में हाथ धोने सभी उतर रहे हैं और यशवंत के खिलाफ ताबड़तोड़ मुक़दमे दर्ज करवाकर अपने मन में भरी भड़ास को निकाल रहे है| बेचारे यशवंत, उन्हें एक मामले में जमानत मिलती है तो दूसरे
मुक़दमे में सुनवाई होने के कारण उन्हें जेल में ही रहना पड़ता है| पहले साक्षी जोशी द्वारा दर्ज करवाए गये मुक़दमे में उन्हें जमानत मिली लेकिन विनोद कापड़ी द्वारा दर्ज करवाए गये मुक़दमे की सुनवाई के कारण महीने भर तक जेल में रहना पड़ा और अब जब कापड़ी द्वारा दर्ज करवाए गये मुक़दमे में भी जमानत मिली तो फिर दैनिक जागरण की ओर से दर्ज करवाए गये मुक़दमे में सुनवाई के कारण उन्हें अब भी जेल में रहना पड़ रहा है|
और तो और यशवंत के अनुपस्थिति में भी भड़ास को चलाने वाले और यशवंत की जमानत के लिए भागदौड करने वाले उनके सहयोगी अनिल को भी अब पुलिस ने जागरण की ओर से दर्ज करवाए गये मुक़दमे में आरोपी बनाकर हिरासत में ले लिया है जिससे भड़ास4मीडिया को बंद करवाया जा सके| ऐसा करने का सीधा सा कारण ये है कि यशवंत ने अब तक बिना दबे-बिना डरे इन समूहों की पोल-पट्टी को सबके सामने उजागर किया है जिससे कई बार इन समूहों में उच्च पदों पर आसीन लोगों की कुर्सियां हिल गयीं और समूह की साख पर भी बट्टा लग गया|
यशवंत को परेशान देख ये मीडिया मालिक शायद सोच रहे हों कि अब यशवंत डर जाएगा-दबने लगेगा, लेकिन यशवंत के व्यक्तित्व को जानने वाला हर इंसान ये जानता है कि ऐसी मुसीबतों का सामना करने की आदत यशवंत को है और वो उनमे से हैं जोकि मुसीबतों के सामने डटकर खड़े होते हैं, अपने घुटने नहीं टेकते| यहाँ एक बात याद आती है और वो ये कि “सच परेशान हो सकता है,थक सकता है लेकिन हार नहीं सकता”| हम सब जानते हैं कि यशवंत जल्द ही खुद को इस मकड़जाल से बाहर निकल लेंगे और अब जब वो वापस लौटेंगे तो एक घायल शेर की भांति जिसका सामना करने की हिम्मत किसी भी झूठ के सौदागर की नहीं होगी |
शिवम भारद्वाज
आगरा
(शिवम भारद्वाज ने अपनी यह टिप्पणी भड़ास के पास 13 अगस्त को मेल किया. तत्कालीन आपाधापी और भड़ास के संस्थापक यशवंत व संपादक अनिल के जेल में होने के कारण इसे प्रकाशित नहीं किया जा सका. अगर आपने भी जुलाई-अगस्त महीने में कुछ लिखकर भड़ास के पास भेजा और उसका प्रकाशन नहीं हो पाया तो उसे फिर से भड़ास के पास [email protected] के जरिए भेज दें. -एडिटर, भड़ास4मीडिया)
संबंधित अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें… Yashwant Singh Jail