एक दुखद सूचना। हिंदी अखबार ‘आज’ के संपादकीय विभाग के वरिष्ठ सहयोगी केके उर्फ कृष्ण कुमार उपाध्याय का इलाज के अभाव में बीती रात निधन हो गया। वे 46 वर्ष के थे। केके अपने मां-पिता के अकेले पुत्र थे। केके के पीछे उनकी पत्नी और इकलौती बिटिया हैं। बिटिया की शादी हो चुकी है। श्री उपाध्याय का 2006 में एसजीपीजीआई, लखनऊ में किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। गरीब और ईमानदार पत्रकार केके उपाध्याय के किडनी ट्रांसप्लांट पर होने वाले लाखों रुपये के खर्च को वहन करने के लिए गोरखपुर और लखनऊ के पत्रकारों ने मिलजुल कर अभियान चलाया। गोरखपुर के पत्रकारों और पत्रकार संगठनों ने जनसहयोग से करीब 3 लाख रुपये इकट्ठे किए। लखनऊ के पत्रकारों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर दबाव बनाकर सीएम फंड से भी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए धन सुलभ कराया था। उस जमाने में अंबरीश कुमार ने जनसत्ता में गरीब पत्रकार के इलाज के लिए पत्रकारों की मुहिम को केंद्र में रखते हुए चार कालम की खबर भी प्रकाशित की थी।
इस खबर के कारण शासन-प्रशासन ने भी केके की मदद की। किडनी ट्रांसप्लांट सफल रहा था और केके उपाध्याय ठीक हो भी गए थे। वे फिर से पत्रकारिता में सक्रिय हो गए थे। पिछले माह अचानक वे पक्षाघात के शिकार हो गए। उन्हें तुरंत एसजीपीजीआई, लखनऊ में भर्ती कराया गया। उनका यहां इलाज चल रहा था। एसजीपीजीआई के महंगे इलाज का खर्च उठा पाने में उनका परिवार सक्षम नहीं था। शुभचिंतकों और दोस्तों ने आपसी मदद के जरिए यथासंभव उनका इलाज कराया। पर पैसे न होने के कारण उनका इलाज बंद होने लगा तो परिजन उन्हें अपने साथ लेकर कल लखनऊ से गोरखपुर के लिए चले। रास्ते में रात 11 बजे केके उपाध्याय ने अंतिम सांस ली। श्री उपाध्याय के निधन से गोरखपुर औल लखनऊ के पत्रकार शोक संतप्त है। केके उपाध्याय पत्रकारिता में आने से पहले गोरखपुर स्थित गीता प्रेस में कर्मचारी थे। गीता प्रेस प्रबंधन के अनुचित व्यवहार से खफा होकर उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी थी और फिर पत्रकारिता में आ गए थे। अपने व्यवहार, काम और ईमानदारी के लिए विख्यात केके उपाध्याय सैकड़ों पत्रकारों के चहेते थे। लखनऊ के पत्रकारों में इस बात को लेकर रोष है कि गरीबों की सरकार कहे जाने वाली माया सरकार ने एक गरीब पत्रकार के समुचित इलाज के लिए कोई खास प्रयास नहीं किया।