दुनिया की सबसे ज्यादा प्रसार वाली पत्रिका, ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ वित्तीय संकट में है और अमेरिका में कर्जदाताओं से कानूनी संरक्षण के लिए अपने को दिवालिया घोषित किए जाने का आवेदन करने का फैसला किया है। कंपनी ने कहा है कि उसके इस फैसले से अमेरिका के बाहर उसके कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ की बिक्री भारत सहित दुनिया के करीब एक दर्जन देशों में होती है। रीडर्स डाइजेस्ट एसोसिएशन (आरडीए) ने दिवालिया संरक्षण के लिए आवेदन करने का फैसला किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि वह अपने कर्ज का बोझ 75 फीसद तक घटाना चाहती है ताकि भविष्य की वित्तीय स्थिति मजबूत की जा सके।
आरडीए एक बहु ब्रांड मीडिया और मार्केटिंग कंपनी है और दुनिया के 44 देशों में इसके कार्यालय हैं। यह कंपनी किताबें, पत्रिकाएं, संगीत, वीडियो और शिक्षा उत्पाद बेचती है। दुनिया के 78 देशों में कंपनी के ग्राहकों की संख्या 13 करोड़ है। आरडीए 94 पत्रिकाओं का प्रकाशन करती है, जिसमें रीडर्स डाइजेस्ट के 50 संस्करण हैं। यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसार वाली पत्रिका है। आरडीए हर साल करीब 4 करोड़ पुस्तकों, म्यूजिक ओर वीडियो उत्पादों की बिक्री करती है। कंपनी ने कहा कि उसका अपने कर्जदाताओं के साथ उसके कर्ज को 2.2 अरब डालर से घटाकर 55 करोड़ डालर पर करने के लिए सैद्धांतिक समझौता हुआ है और उसके कर्जों को शेयर भागीदारी में पुनर्गठन को ज्यादातर कर्जदाताओं का समर्थन हासिल है। साभार : जनसत्ता
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