कर्मचारियों के हित के प्रति बेपरवाह माने जाने वाले भास्कर समूह ने अब अपने कर्मियों के दुख-दर्द को दूर करने की ठान ली है। भास्कर से कर्मचारियों के लगातार पलायन ने प्रबंधन चिंतित है। ग्वालियर से जिस तरह पिछले दिनों दो दर्जन लोग पीपुल्स समाचार जैसे नए अखबार के साथ चले गए, उसे प्रबंधन ने काफी गंभीरता से लिया है। इस पलायन को भास्कर की पालिसी का फेल्योर माना जा रहा है। बात सिर्फ ग्वालियर की ही नहीं है, राजस्थान में भी बुरा हाल है। मौका मिलते ही भास्कर वाले दूसरी जगह निकल ले रहे हैं। भास्कर से जाने वाले कर्मियों की शिकायत आमतौर पर अपने बास के पक्षपाती रवैए की होती है। राजस्थान में कई ऐसे विवाद हुए जिसमें संपादकीय प्रभारी ने अपनी मनमानी और अपनी निजी पसंद, ना-पसंद के आधार पर लोगों के साथ खराब अच्छा बुरा बर्ताव किया। इसी सबको देखते हुए भास्कर प्रबंधन ने अपने एचआर डिपार्टमेंट को सक्रिय कर दिया है।
एचआर के अधिकारियों को कह दिया गया है कि वे सभी यूनिटों का दौरा कर निचले स्तर के कर्मचारियों से उनका दुख-दर्द अकेले में पूछे। इसी क्रम में पता चला है कि राजस्थान के स्टेट हेड एचआर राकेश सिंह ने सीकर और अलवर का दौरा कर यहां काम कर रहे भास्करकर्मियों से अकेले में बातचीत की। सबसे उन्होंने उनकी दिक्कतें पूछीं। सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर कर्मचारियों ने कहा कि उनकी सबसे बड़ी दिक्कत वरिष्ठों के मिजाज के मुताबिक चलने की है। यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कर्मचारी संस्थान की पालिसी के हिसाब से चलें या स्थानीय संपादकों व मैनेजरों की बनाई हुई निजी पालिस के हिसाब से काम करें। सूत्रों का कहना है कि भास्कर समूह जल्द ही अपनी एचआर पालिसी को भी दुरुस्त करने जा रहा है ताकि उसके कर्मी उसका साथ छोड़कर दूसरी जगह न जाएं।