सतना के सभी प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों पर पुलिस ने एक साथ इस्तगासा लगवाया। इसके पीछे की कहानी यह है- एक दलित की मौत के बाद पुलिस की ज्यादती से नाराज परिजनों ने जब उसकी लाश थाने के सामने रख प्रदर्शन किया तो उसके कवरेज को सतना का पूरा प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया पहुचा। अपनी नाकामी छुपाने के लिए तब पुलिस ने मीडिया पर लाठीचार्ज किया। इससे नाराज मीडिया ने जब प्रशासन व मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों का बहिष्कार शुरू किया तब जाकर संबंधित जिम्मेदार टीआई को हटाया गया तथा इसकी प्रशासनिक जांच के आदेश दिये गये। इस जांच में मीडिया जगत के 22 लोगों ने अपने बयान दिये।
जांच अभी पूरी हुई नहीं थी कि उधर पुलिस ने अपने एक आदमी की सहायता से उन्हीं 22 लोगों के खिलाफ इस्तगासा लगवा दिया। यहां मजेदार तथ्य यह है कि उस फरियादी को सभी पत्रकारों की पूरी जन्म कुण्डली मालूम थी। यह पहला इस्तगासा देखने को मिला जिसमें फरियादी को 22 आरोपियों के नाम के अलावा पिता का नाम, पूरा पता, उम्र आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी थी।
बाद में पता चला कि प्रशासनिक जांच के लिये पत्रकारों ने जो जानकारी अपने वयान में दी थी, वही जानकारी संबंधित अधिकारी ने पुलिस को लीक कर दी और वही नाम इस्तगासे में है। इसमें जिस मीडिया के लोग बतौर आरोपी शामिल है उनमें दैनिक भास्कर, नवभारत, दैनिक जागरण, विन्ध्य भारत, एनडीटीवी, ईटीवी, सहारा टीवी, बी टीवी आदि प्रमुख हैं।