यशवंत जी, मुझे लगता है, आप किसी का भी मेल आता है, तो सीधे उसे अपनी साईट पर चला देते हैं. शायद, अपनी लोकप्रियता बढ़ने के लिए आप ऐसा करते हैं, पर मेरा सुझाव होगा कि पहले आप सच्चाई जानने की कोशिश करें. मैं पहले ही यह स्पस्ट कर दे रहा हूँ कि मुझे विशु प्रसाद जी के मामले से कुछ लेना-देना नहीं है. आपने संत शरण जी द्वारा प्रताड़ित लोगों की जो सूची छापी है, उस पर आपत्ति है, उसमे कई नाम (आशीष झा, अमिता झा आदि) ऐसे हैं, जो ज्ञानेश्वर जी के समय ही जागरण छोड़ कर प्रभात खबर में आ गए थे. जहाँ तक नदीम अख्तर और निराला कि बात है, तो पता कीजिये इन्हें सिटी चीफ कौन बनाया था? मैं भी रांची में ही सक्रिय पत्रकारिता करता रहा हूं, जहां तक मुझे पता है, इन दोनों को युवा देखकर अवस्थीजी ने सिटी चीफ बनाया.
पर दोनों उनकी उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर सके. और, खुद जागरण छोड़ कर भाग खड़े हुए. निराला ने हिंदी पाक्षिक ‘माइंड’ में शरण ली. ‘माइंड’ बंद होने पर प्रभात खबर में आये. जबकि नदीम ने प्रभात खबर वाया प्रभात खबर होते हुए ‘दी पब्लिक एजेंडा’ से नाता जोड़ा. मैंने यहां इसलिए अपना कमेंट्स दिया, ताकि रिपोर्ट की सत्यता और लिखने वाले की नीयत का अंदाजा लगाया जा सके.
धन्यवाद
रवि प्रकाश सिन्हा
रांची